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Thursday, February 20, 2025

ऐपण लोककला को एक नया आयाम दे रही हैं अल्मोड़ा की प्रियंका भंडारी, दे रही है स्वरोजगार को बढ़ावा।

अल्मोड़ा: कल्पनाएं सभी के मस्तिष्क में उभरती हैं, लेकिन उसे साकार कुछ ही लोग कर पाते हैं। मगर जो कर पाते हैं, उनका काम दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाता है। ऐपण कला को नया आयाम देने वाली अल्मोड़ा की प्रियंका इसी प्रेरणा का नाम हैं। देश-विदेश में विख्यात कुमाऊं की मशहूर लोककला ऐपण से आज अगर हर कोई वाकिफ हैं तो उसका श्रेय देवभूमि उत्तराखंड के उन युवाओं को जाता है जो कुमाऊं की इस विलुप्तप्राय लोककला को बचाने के लिए प्रयासरत हैं। कुमाऊं मंडल के ये युवा अपने हुनर का सदुपयोग कर लोककला ऐपण का प्रचार-प्रसार भी कर रहे हैं और साथ ही उसे स्वरोजगार का भी रूप दे रहे है। कुमाऊं के ऐसे ही क‌ई होनहार युवाओं के कठिन प्रयासों का परिणाम है कि पारम्परिक विरासत ऐपण आज भी हमारे दिलो-दिमाग में छाई हुई है। ऐपण को आज सम्पूर्ण विश्वस्तर पर एक नया आयाम दे रही है। उत्तराखंड की अद्भुत लोक कला ऐपण को नया आयाम देने वाली कुमाऊं की ऐपण गर्ल प्रियंका भंडारी है जिनके बारे में आज हम आपको रूबरू करवा रहे है। मशहूर ऐपण कला की आर्टिस्ट जनपद अल्मोड़ा के अंतर्गत कपीना की रहने वाली प्रियंका भंडारी के बारे में बताने जा रहे है, जिन्होंने अपनी अपनी प्रारंभिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय अल्मोड़ा से प्राप्त की तथा उच्च शिक्षा सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण की है।

ऐपण लोककला को एक नया आयाम दे रही हैं अल्मोड़ा की प्रियंका भंडारी, दे रही है स्वरोजगार को बढ़ावा।

आपको बता दे कि प्रियंका भंडारी की ऐपण कला मे विशेष रुचि रही है जिसके चलते उन्होंने ऐपण का कार्य करना वर्ष 2020 से शुरू किया। प्रियंका भंडारी ने बताया कि उन्होंने ऐपण कला की बारीकियां घर की देहली पर लिखने व कलश चौकी बनाने से शुरुआत की, इतना ही नहीं बल्कि प्रियंका उत्तराखंड में ऐपण कला को स्वरोजगार का एक सशक्त माध्यम मानती है जिसके चलते वे अपनी आजीविका चलाने के लिए ऐपण कला को अपना हथियार बना रही है। प्रियंका ही नहीं उनकी जैसी अन्य कई सारी महिलाओं भी रोजगार के ओर अग्रसर हो रही है। जो ऐपण कला को स्वरोजगार का नया रूप दे रही है। जिससे उन्हें सिर्फ उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी विशेष पहचान मिल रही है।

ऐपण लोककला को एक नया आयाम दे रही हैं अल्मोड़ा की प्रियंका भंडारी, दे रही है स्वरोजगार को बढ़ावा।

ऐपण कला क्या है?

ऐपण कला एक पारंपरिक लोक कला शैली है जिसे उत्तर भारत के उत्तराखंड राज्य में विकसित किया गया था। यह एक सजावटी शिल्प है जिसमें चावल के आटे या चाक पाउडर से बने पेस्ट का उपयोग करके फर्श या दीवारों पर विस्तृत रूपांकनों और पैटर्न को उकेरा जाता है। पैटर्न, जिसमें अक्सर ज्यामितीय और पुष्प रूपांकन होते हैं जो प्रकृति से प्रेरित होते हैं, हाथ से बनाए जाते हैं और काफी जटिल हो सकते हैं। प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के मिट्टी के बर्तनों और अन्य कलाकृतियों पर इसी तरह के पैटर्न पाए गए थे, जहाँ ऐपण कला का इतिहास और उत्पत्ति का पता लगाया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि उत्तर भारत में योद्धाओं की एक जाति राजपूतों ने इस कौशल का अभ्यास किया था। उत्तराखंड का कुमाऊँ क्षेत्र, जहाँ आज भी इसका अभ्यास किया जाता है, ने समय के साथ ऐपण कला को अपनी संस्कृति और इतिहास के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में शामिल किया है।

चाबियों के छल्ले
चाबियों के छल्ले

महिलाएं आमतौर पर ऐपण कला का अभ्यास करती हैं, जिसे वे अपनी माताओं और दादी से सीखती हैं। “मोहरी” नामक एक अनूठा उपकरण, जिसे चावल के आटे या चाक पाउडर के पेस्ट में डुबोया जाता है, का उपयोग डिज़ाइन बनाने के लिए किया जाता है। डिज़ाइन, जो छोटे, सीधे-सादे या विशाल, विस्तृत हो सकते हैं, अक्सर घर के फर्श या दीवारों पर बनाए जाते हैं। सभी बातों पर विचार करने पर, ऐपण कला एक आश्चर्यजनक और जटिल प्रकार की लोक कला है जिसकी भारत में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। जिन महिलाओं ने पीढ़ियों से इस कला का अभ्यास किया है और इसे आगे बढ़ाया है, उनकी सरलता और प्रतिभा की सराहना की जानी चाहिए।

पूजा thaal
पूजा थाल

ऐपण कला का महत्व

भारतीय लोक कला अविश्वसनीय रूप से विविध है। एक राज्य के भीतर भी कई अलग-अलग प्रकार की लोक कलाएँ हैं, और उनका उपयोग अक्सर धार्मिक समारोहों, शादियों और अन्य विशेष अवसरों के लिए किया जाता है। भारत के हिमालयी क्षेत्र की लंबाई और चौड़ाई में कई सभ्यताएँ मौजूद हैं। आज हम ऐपण कला के बारे में जानेंगे, जो उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में उत्पन्न हुई एक विशिष्ट कला है। यह एक औपचारिक लोक कला है।

करवाचौथ thaal
करवाचौथ थाल

ऐपण बनाने के लिए लाल, गीली गेरू मिट्टी या “गेरू” से तैयार की गई चिकनी सतह का उपयोग किया जाता है। पके हुए चावल को पानी के साथ पीसकर सफ़ेद पेस्ट बनाया जाता है। सतह को बिस्वार नामक पेस्ट का उपयोग करके डिज़ाइन से सजाया जा सकता है। पैटर्न महिलाओं द्वारा अपनी तर्जनी, अनामिका और मध्यमा उंगलियों का उपयोग करके बनाए जाते हैं। समुदाय की धार्मिक परंपराएँ और स्थानीय प्राकृतिक संसाधन पैटर्न और डिज़ाइन के लिए प्रेरणा का काम करते हैं। शंख, लताएँ, फूलों के पैटर्न, स्वस्तिक, देवी के पदचिह्न, ज्यामितीय पैटर्न और देवी-देवताओं की मूर्तियाँ विशिष्ट उदाहरण हैं। ऐपण में रेखाएँ जिस समारोह या त्यौहार के लिए खींची जाती हैं, उसका प्रतीक चिह्न होता है।

ऐपण लोककला को एक नया आयाम दे रही हैं अल्मोड़ा की प्रियंका भंडारी, दे रही है स्वरोजगार को बढ़ावा।

ऐपण बनाने की विधि

महिलाएं इस कला को बनाती हैं और माताएं सालों तक अपनी बेटियों को इसके बारे में सिखाती हैं। ऐपण दो बिंदुओं से बना होता है: शुरुआत और अंत। ब्रह्मांड के केंद्र को वहां स्थित बिंदु द्वारा दर्शाया गया है। अन्य सभी रेखाएं और पैटर्न इस केंद्र से निकलते हैं, जो इसके आसपास के वातावरण के बदलते आकार को प्रकट करते हैं।

ऐपण लोककला को एक नया आयाम दे रही हैं अल्मोड़ा की प्रियंका भंडारी, दे रही है स्वरोजगार को बढ़ावा।

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Manish Negi
Manish Negihttps://chaiprcharcha.in/
Manish Negi एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिनके पास राजनीति, अर्थव्यवस्था और सामाजिक मुद्दों जैसे विषयों पर अच्छा ज्ञान है। वे 2 से ज्यादा वर्षों से विभिन्न समाचार चैनलों और पत्रिकाओं के साथ काम कर रहे हैं। उनकी रूचि हमेशा से ही पत्रकारिता और उनके बारे में जानकारी रखने में रही है वे "चाय पर चर्चा" न्यूज़ पोर्टल में विभिन्न विषयों पर ताज़ा और विश्वसनीय समाचार प्रदान करते हैं"

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