कुछ जगहें ऐसी होती हैं जो दिल में बस जाती हैं। नैनीताल भी ऐसी ही एक जगह है। मैंने हाल ही में नैनीताल की एक छोटी लेकिन दिल को छू जाने वाली यात्रा की और सच बताऊं तो अब भी मन वही अटका है। ठंडी-ठंडी हवा, पहाड़ों के बीच झील, सुबह की धूप, और झील किनारे चाय का कप – सब कुछ जैसे किसी फिल्म का सीन हो, दिन में झील रंग बिरंगी नावों से घिरी रहती है। अगर आप भी गर्मियों में कहीं घूमने का सोच रहे हैं तो एक बार नैनीताल जरूर आइए, और यकीन मानिए, वापस जाते वक्त दिल थोड़ा भारी होगा।
Nainital घूमने का सबसे अच्छा समय
यू तो नैनीताल साल भर खूबसूरत लगता है, लेकिन अगर आप गर्मी से भागकर आए हैं मेरी तरह तो मार्च से जून सबसे सही समय है। उस वक्त यहां का मौसम 18-22 डिग्री के आसपास रहता है – न बहुत ठंडा, न गर्म।
अगर बर्फबारी देखनी हो तो दिसंबर से जनवरी के बीच आएं, लेकिन थोड़ा ठंड झेलनी पड़ेगी।
Nainital कैसे पहुंचे?
- सड़क मार्ग: दिल्ली से नैनीताल लगभग 310 किलोमीटर दूर है। दिल्ली के आनंद विहार ISBT से रोज़ाना नैनीताल के लिए Volvo और सामान्य बसें मिलती हैं। आप नैनीताल 7-8 घंटे में पहुंच सकते हैं। रास्ते में मुरादाबाद, रामपुर और हल्द्वानी जैसे शहर पड़ते हैं।
अगर आप खुद गाड़ी चला रहे हैं तो हल्द्वानी होते हुए सड़क भी बहुत अच्छी है, बस हल्की पहाड़ी ड्राइविंग का ध्यान रखें। - ट्रेन: नजदीकी रेलवे स्टेशन है काठगोदाम, जो नैनीताल से सिर्फ 35 किमी दूर है। दिल्ली से काठगोदाम के लिए कई ट्रेनें मिलती हैं – Ranikhet Express, Shatabdi Express, Uttarakhand Sampark Kranti आदि। स्टेशन से टैक्सी या शेयरिंग गाड़ियां आसानी से मिल जाती हैं।
- हवाई मार्ग: नैनीताल का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है पंतनगर एयरपोर्ट (लगभग 65 किमी)। यहाँ से टैक्सी लेकर आप 2-3 घंटे में नैनीताल पहुँच सकते हैं।
Nainital की वो जगहें, जो मिस नहीं करनी चाहिए
1. नैनी झील – नैनीताल की जान
नैनी झील एक आँख के आकार की झील है, जिसके चारों ओर पहाड़ और हरियाली फैली हुई है। सुबह-सुबह जब सूरज की किरणें पानी पर पड़ती हैं, तो पूरा नज़ारा जादू जैसा लगता है। यहां बोटिंग करना सबसे खास अनुभव होता है – चाहें पैडल बोट लें या रोइंग बोट, झील के बीच में जाकर जो शांति मिलती है, वो कहीं और नहीं।
- टाइमिंग: सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक
- फीस: ₹150-₹300 बोट के हिसाब से
- टिप: सूरज डूबने से पहले का समय बोटिंग के लिए सबसे अच्छा होता है।
2. नैना देवी मंदिर – श्रद्धा और शांति का संगम
नैना झील के उत्तरी किनारे पर स्थित यह मंदिर माँ नैना देवी को समर्पित है। यह एक शक्तिपीठ माना जाता है और कहा जाता है कि यहाँ माँ सती की आंखें गिरी थीं। मंदिर में घुसते ही घंटियों की आवाज़ और हल्की हवा मन को बहुत शांति देती है। आप यहाँ बैठकर कुछ देर ध्यान भी कर सकते हैं।
- टिप: मंदिर के पास चप्पल उतारने के बाद झील के किनारे थोड़ा वक़्त बिताएं, बहुत सुकून मिलेगा।
3. स्नो व्यू पॉइंट – हिमालय की झलक
अगर आप बर्फीली पहाड़ियों का नज़ारा देखना चाहते हैं, तो स्नो व्यू पॉइंट जरूर जाएं। यहाँ से नंदा देवी, त्रिशूल और नंदा कोट जैसी हिमालय की चोटियाँ साफ दिखती हैं। यहाँ पहुँचने के लिए आप रोपवे (केबल कार) ले सकते हैं, जो मॉल रोड से ही चलती है। ऊपर एक छोटा सा मंदिर, चाय की दुकानें और एक टेलीस्कोप स्टैंड भी है जहाँ से आप दूर-दूर की पहाड़ियाँ देख सकते हैं।
- टिप: मौसम साफ हो तो ही जाएं, बादल या धुंध में कुछ नहीं दिखेगा।
- फीस: रोपवे की टिकट ₹300-₹400 तक
4. टिफिन टॉप (डोरोथी सीट) – ट्रेकिंग का मजा और कमाल का व्यू
अगर आप हल्की ट्रेकिंग पसंद करते हैं तो टिफिन टॉप जरूर जाएं। ये नैनीताल शहर से करीब 4 किलोमीटर ऊपर है। यहाँ से पूरा नैनीताल, झील और आस-पास की पहाड़ियाँ साफ दिखाई देती हैं। यह जगह “डोरोथी सीट” के नाम से भी जानी जाती है क्योंकि एक अंग्रेज महिला की याद में यहाँ एक स्टोन बेंच बनाई गई थी।
- कैसे जाएं: पैदल, घोड़े पर या ट्रेक करते हुए
- टिप: सुबह या शाम का समय बेस्ट होता है, भीड़ भी कम होती है और मौसम भी अच्छा।
5. मॉल रोड – दिल की धड़कन
नैनीताल की मॉल रोड झील के किनारे-किनारे बनी है। यहाँ शाम को टहलना, चाय पीना, लोकल दुकानें देखना, और सड़क के किनारे से झील का नज़ारा लेना – ये सब बहुत खास अनुभव होते हैं। यहाँ आपको बाल मिठाई, लकड़ी के खिलौने, ऊनी कपड़े और लोकल हस्तशिल्प भी मिलते हैं।
- टिप: भीड़ से बचना हो तो सुबह या दोपहर में जाएं। शाम को ये रोड पैदल चाल के लिए रिज़र्व कर दी जाती है।
- स्पेशल: यहाँ की ‘सोनम मोमो स्टॉल’ बहुत फेमस है, ट्राय जरूर करें!
6. चिड़ियाघर (गवर्नमेंट ज़ू) – बच्चों और वाइल्डलाइफ लवर्स के लिए
यह नैनीताल का एक हिलटॉप चिड़ियाघर है जहाँ ट्रेक करके जाना होता है। यहाँ आप तेंदुआ, हिमालयन भालू, घुरल, मोर, भालू, और कई पक्षियों को देख सकते हैं। यहाँ बच्चों को बहुत मज़ा आता है और साथ ही थोड़ा फिटनेस का टेस्ट भी हो जाता है।
- टिप: चढ़ाई थोड़ी तेज़ है, आरामदायक जूते पहनें।
- टिकट: ₹50-₹100
7. हिमालय दर्शन और लवर्स पॉइंट – रोमांटिक और शांत जगहें
हिमालय दर्शन पॉइंट से आप दूर हिमालय की चोटियों को निहार सकते हैं। वहीं लवर्स पॉइंट थोड़ा हटके, शांत और कम भीड़ वाली जगह है, जहाँ कपल्स अक्सर बैठकर झील और घाटी का नज़ारा लेते हैं।
- टिप: यहाँ के लिए टैक्सी या टट्टू आसानी से मिल जाते हैं।
नैनीताल घूमने का 3 दिन का प्लान (फैमिली और कपल्स के लिए)
अगर आप नैनीताल आने का सोच रहे हैं, तो 3 दिन का समय यहां की खूबसूरती को अच्छे से देखने के लिए बिल्कुल परफेक्ट है। नीचे एक ऐसा प्लान है जिससे आपकी यात्रा संतुलित और यादगार बन सकती है।
1.पहला दिन – नैनी झील, मंदिर दर्शन और मॉल रोड
पहले दिन सुबह तक नैनीताल पहुंचना अच्छा रहता है। काठगोदाम स्टेशन से नैनीताल की टैक्सी लेकर 1.5 घंटे में यहाँ पहुंचा जा सकता है।
- होटल में चेक-इन और थोड़ा आराम करने के बाद नैनीताल की यात्रा की शुरुआत होती है नैनी झील से। बोटिंग करते हुए झील के बीचों-बीच से शहर को देखना एक अनोखा अनुभव होता है।
- नैनी झील के पास ही नैना देवी मंदिर है, जहां दर्शन के लिए ज़रूर जाना चाहिए।
- शाम के समय मॉल रोड पर घूमना, लोकल स्ट्रीट फूड खाना और झील किनारे चाय पीना दिन का परफेक्ट एंड बन जाता है।
2.दूसरा दिन – व्यूपॉइंट्स, ट्रेकिंग और शांत शाम
दूसरा दिन नैनीताल के ऊंचाई वाले हिस्सों और व्यूपॉइंट्स को देखने का होता है।
- सुबह स्नो व्यू पॉइंट तक रोपवे की सवारी की जा सकती है। यहां से हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियाँ साफ दिखाई देती हैं।
- इसके बाद टिफिन टॉप (डोरोथी सीट) तक ट्रेक किया जा सकता है। चाहें तो घोड़े से भी वहां तक जाया जा सकता है। रास्ता हरियाली से भरा और नज़ारों से भरपूर होता है।
- शाम को लवर्स पॉइंट और हिमालय दर्शन जैसी जगहों से पूरे शहर का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है। ये स्थान खासकर सूर्यास्त के समय बेहद सुंदर लगते हैं।
- दिन के अंत में होटल लौटकर आराम करना अच्छा रहता है।
3.तीसरा दिन– चिड़ियाघर, लोकल मार्केट और विदाई
तीसरे दिन हल्का लेकिन प्यारा प्लान रखा जा सकता है, खासकर अगर शाम को वापसी की योजना हो।
- सुबह नैनीताल ज़ू देखा जा सकता है। यह एक पहाड़ी पर बसा हुआ चिड़ियाघर है जहां हिमालयन जानवर जैसे स्नो लेपर्ड, भालू और तेंदुआ देखने को मिलते हैं।
- ज़ू से लौटकर कुछ समय लोकल मार्केट में बिताया जा सकता है। बाल मिठाई, ऊनी कपड़े, हाथ से बने लकड़ी के आइटम जैसी चीज़ें यहां से ली जा सकती हैं।
- शाम को नैनीताल से काठगोदाम की वापसी की जा सकती है।
कुछ जरूरी टिप्स और पैकिंग लिस्ट:
क्या-क्या लेकर जाएं:
- गर्म कपड़े (मौसम ठंडा हो सकता है, खासकर रात में)
- आरामदायक जूते (ट्रेकिंग और घूमने में काम आएंगे)
- सनस्क्रीन और सनग्लासेस
- छोटा बैग – पानी की बोतल, स्नैक्स और कैमरा के लिए
कुछ छोटी लेकिन काम की बातें
- सुबह जल्दी उठकर झील के पास टहलना – असली नैनीताल का अनुभव वही है।
- अगर फोटोग्राफी पसंद है तो स्नो व्यू पॉइंट और टिफिन टॉप बेस्ट हैं।
- मॉल रोड पर लोकल दुकानदारों से मोलभाव करने में झिझकें नहीं।
- लोकल खाने में ‘बाल मिठाई’ और ‘भट्ट की चुरकानी’ ज़रूर ट्राई करें।
- नैनीताल में कैश रखें, कई बार नेटवर्क की वजह से कार्ड काम नहीं करते।
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नैनीताल का थोड़ा इतिहास जान लें:
नैनीताल यात्रा की दौरान जितना मुझे यहाँ के इतिहास के बारे में पता लगा पाया वो में आप को भी बताना चाहता हूँ नैनीताल उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में बसा है। यह खूबसूरत शहर सात पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जिन्हें ‘सप्त-श्रृंग‘ के नाम से जाना जाता है – अयारपाटा, देवपाटा, हांडी-बांडी, नैना, अल्मा, लारिया-कांटा और शेर-का-डांडा। इसका नाम ‘नैनी झील‘ से पड़ा है, जिसे ‘नयन‘ यानी आंखों से जोड़ा जाता है।
कहा जाता है कि जब माता सती का शरीर भगवान शिव ने उठाया था, तो उनकी एक आंख (नयन) यहां गिरी थी। इसीलिए यहां नैना देवी मंदिर है, जो काफी पवित्र माना जाता है। अंग्रेजों के जमाने में यह जगह गर्मियों में राहत पाने के लिए बनाई गई थी और तभी से ये हिल स्टेशन काफी लोकप्रिय है।
मेरा अनुभव – एक दोस्त की सलाह:
मैं जब नैनीताल गया था, तो सोचा था दो दिन में सब देख लूंगा, लेकिन वहां जाकर लगा कि यहां तो हर मोड़ पर एक नई कहानी है। झील के किनारे बैठकर खुद से बातें करना, मंदिर में घंटियों की आवाज़ में खो जाना, और मॉल रोड पर शाम की चहल-पहल – ये सब मन को फिर से जिंदा कर देते हैं। नैनीताल सिर्फ एक हिल स्टेशन नहीं, ये एक एहसास है – सुकून का, सादगी का, और सच्ची मुस्कान का।
गर्मियों में अगर पहाड़ों की गोद में कुछ वक्त बिताना चाहते हैं तो इस बार नैनीताल को अपने ट्रैवल लिस्ट में शामिल करें।और हां, लौटते वक्त एक वादा करें – फिर लौटेंगे!