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Saturday, April 12, 2025

Tariff क्या है? Tariff का इतिहास, प्रकार और हालिया अमेरिकी टैरिफ

आजकल जब भी आप किसी अंतरराष्ट्रीय व्यापार की खबर पढ़ते हैं, तो एक शब्द बहुत बार सुनने को मिलता है — “Tariff”। लेकिन बहुत से लोगों को अब भी ठीक से नहीं पता कि ये टैरिफ आखिर होता क्या है? और क्यों अमेरिका जैसे देश अचानक दूसरों पर टैरिफ लगा देते हैं?

टैरिफ केवल एक व्यापारिक शब्द नहीं है, बल्कि ये एक आर्थिक हथियार है, जो कई बार देशों की राजनीति, उद्योग और आम जनता पर गहरा असर डालता है। इस ब्लॉग में हम टैरिफ को पूरी तरह समझेंगे – उसकी परिभाषा, इतिहास, प्रकार, फायदे-नुकसान, और आज की दुनिया में इसका क्या रोल है।

Tariff का इतिहास – कब और क्यों शुरू हुआ था?

टैरिफ का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है। जब देश सीमित संसाधनों पर निर्भर थे और अपनी सीमाओं के भीतर व्यापार करना चाहते थे, तभी से इसका चलन शुरू हुआ। प्राचीन भारत और चीन में, व्यापार मार्गों पर शुल्क लिया जाता था ताकि राज्य को राजस्व मिले। ये ही शुरुआती टैरिफ थे।

ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों ने 18वीं–19वीं सदी में टैरिफ को औद्योगीकरण को बढ़ावा देने और विदेशी प्रतिस्पर्धा को कम करने के लिए एक नीति के रूप में अपनाया। 1930 में अमेरिका ने Smoot-Hawley Tariff Act पास किया, जिससे वैश्विक व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ और ‘महामंदी’ और गहराई। 1947 में GATT (General Agreement on Tariffs and Trade) आया और फिर 1995 में WTO (World Trade Organization) की स्थापना हुई। इसके बाद से वैश्विक स्तर पर टैरिफ को रेगुलेट किया जाने लगा।

इतिहास हमें सिखाता है कि टैरिफ न केवल व्यापार की दिशा तय करता है, बल्कि कभी-कभी आर्थिक संकट का कारण भी बन सकता है।

Tariff क्या होता है? – आसान शब्दों में समझिए

Tariff एक सरकारी टैक्स होता है, जो किसी देश में आयात होने वाले (Import) या कभी-कभी निर्यात (Export) होने वाले सामान पर लगाया जाता है।

उदाहरण के लिए:-
अगर अमेरिका भारत से ₹100 का स्टील खरीदता है और 25% टैरिफ लगाता है, तो उसे अब ₹125 चुकाने होंगे। वो ₹25 सरकार को टैक्स के रूप में जाएगा।

टार्गेट क्या होता है? टैरिफ का मकसद होता है घरेलू सामान को सस्ते और विदेशी सामान को महंगे बनाना, ताकि लोग देश में बने सामान को खरीदें।

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टैरिफ कितने प्रकार के होते हैं? (Types of Tariff)

1. इम्पोर्ट टैरिफ (Import Tariff):- विदेश से आने वाले सामान पर टैक्स। सबसे सामान्य और प्रमुख टैरिफ प्रकार।

2. एक्सपोर्ट टैरिफ (Export Tariff):- देश से बाहर जाने वाले सामान पर टैक्स। भारत जैसे देशों में यह बहुत कम उपयोग होता है, पर कुछ खास मामलों में लगाया जाता है।

3. स्पेसिफिक टैरिफ (Specific Tariff):- हर यूनिट (जैसे प्रति किलो, प्रति लीटर) पर एक निश्चित राशि का टैक्स। जैसे ₹10 प्रति किलो गेहूं।

4. एड वेलोरम टैरिफ (Ad Valorem Tariff):- सामान की कुल कीमत का प्रतिशत। जैसे 20% मूल्य पर टैक्स।

5. संयोजन टैरिफ (Mixed Tariff):- स्पेसिफिक और एड वेलोरम दोनों का मिश्रण। कुछ फिक्स और कुछ प्रतिशत के रूप में।

देशों की जरूरत के अनुसार ये टैरिफ लगाए जाते हैं – कभी सुरक्षा के लिए, तो कभी संतुलन बनाए रखने के लिए।

Tariff क्यों लगाए जाते हैं? (Why Tariffs Are Imposed)

टैरिफ कई कारणों से लगाए जाते हैं, जिनमें आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और रणनीतिक उद्देश्य शामिल होते हैं। यहां उन कारणों को बेहतर ढंग से समझाया गया है:

1. घरेलू उद्योगों का संरक्षण:

  • जब किसी देश के घरेलू उद्योग विदेशी प्रतिस्पर्धियों से कड़ी चुनौती का सामना करते हैं, खासकर उन देशों से जहां उत्पादन लागत कम होती है, तो टैरिफ एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करते हैं।
  • सस्ते आयातित सामान की बाढ़ से घरेलू कंपनियों की बिक्री और लाभप्रदता कम हो सकती है, जिससे नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं और यहां तक कि कारखाने बंद भी हो सकते हैं।
  • टैरिफ लगाकर, सरकार आयातित वस्तुओं की लागत बढ़ा देती है, जिससे घरेलू उत्पाद अधिक प्रतिस्पर्धी बन जाते हैं। यह घरेलू उद्योगों को बढ़ने और विकास करने का अवसर प्रदान करता है।
  • उदाहरण के लिए, नवजात उद्योगों या रणनीतिक महत्व वाले क्षेत्रों (जैसे रक्षा या कृषि) को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए टैरिफ लगाए जा सकते हैं।

2.सरकारी राजस्व में वृद्धि:

  • टैरिफ आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला एक प्रकार का कर है। इस कर से प्राप्त होने वाला राजस्व सीधे सरकार के खजाने में जाता है।
  • यह राजस्व सार्वजनिक सेवाओं, बुनियादी ढांचे के विकास और अन्य सरकारी खर्चों को वित्तपोषित करने में मदद कर सकता है।
  • हालांकि, आधुनिक समय में, सरकारी राजस्व जुटाना टैरिफ का प्राथमिक उद्देश्य नहीं रह गया है, क्योंकि अन्य कर प्रणालियां राजस्व का अधिक महत्वपूर्ण स्रोत बन गई हैं।

3. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में दबाव और लाभ उठाना:

  • टैरिफ का उपयोग एक शक्तिशाली राजनीतिक उपकरण के रूप में किया जा सकता है। एक देश दूसरे देश पर टैरिफ लगाकर उसे अपनी व्यापार नीतियों या अन्य राजनीतिक मांगों को मानने के लिए मजबूर कर सकता है।
  • उदाहरण के लिए, अमेरिका ने अतीत में चीन और रूस जैसे देशों पर उनकी व्यापार प्रथाओं या अंतर्राष्ट्रीय नीतियों में बदलाव लाने के लिए टैरिफ लगाए हैं।
  • यह एक प्रकार की व्यापारिक वार्ता का हिस्सा हो सकता है, जहां टैरिफ को रियायतों के बदले में हटाने की पेशकश की जाती है। हालांकि, इस तरह के कदम से व्यापार युद्ध भी छिड़ सकता है, जहां लक्षित देश जवाबी टैरिफ लगाते हैं।

4. घरेलू बाजार में संतुलन बनाए रखना:

  • अत्यधिक मात्रा में आयात किसी देश के घरेलू बाजार को अस्थिर कर सकता है। यह घरेलू उत्पादकों के लिए मांग को कम कर सकता है और उन्हें उत्पादन कम करने या बंद करने के लिए मजबूर कर सकता है।
  • टैरिफ आयात की मात्रा को नियंत्रित करने और घरेलू और विदेशी उत्पादों के बीच एक स्वस्थ संतुलन बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
  • यह सुनिश्चित करता है कि घरेलू उद्योग जीवित रहें और अर्थव्यवस्था में अपना योगदान देते रहें।
  • इसके अतिरिक्त, कुछ मामलों में, टैरिफ का उपयोग “डंपिंग” को रोकने के लिए किया जाता है, जहां विदेशी कंपनियां अपने उत्पादों को घरेलू बाजार में उनकी उत्पादन लागत से भी कम कीमत पर बेचती हैं, जिससे घरेलू उद्योगों को नुकसान होता है।

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टैरिफ के फायदे (Benefits of Tariff)

  1. घरेलू कंपनियों को बढ़ावा मिलता है, जिससे स्थानीय रोजगार बढ़ता है।
  2. सरकार को टैक्स के रूप में आय मिलती है, जो विकास कार्यों में खर्च होती है।
  3. विदेशी निर्भरता कम होती है, खासकर जरूरी चीजों (जैसे दवाइयाँ, स्टील आदि) में।
  4. देश के छोटे कारोबारियों को सुरक्षित माहौल मिलता है।

टैरिफ के नुकसान (Disadvantages of Tariff)

  1. विदेशी सामान महंगा होता है, जिससे आम जनता की जेब पर बोझ बढ़ता है।
  2. महंगाई बढ़ सकती है, खासकर जब जरूरी चीज़ों पर टैरिफ लगता है।
  3. दूसरे देश भी जवाब में टैरिफ लगाते हैं, जिससे व्यापार युद्ध शुरू हो सकता है।
  4. कंपनियाँ आलसी हो सकती हैं, क्योंकि उन्हें विदेशी प्रतिस्पर्धा से कोई डर नहीं रहता।

भारत में टैरिफ नीति कैसी है?

भारत ने टैरिफ को एक संतुलन बनाने वाले उपकरण की तरह इस्तेमाल किया है। जब किसी उत्पाद पर विदेशी निर्भरता बहुत ज़्यादा बढ़ जाती है, या घरेलू उद्योग खतरे में पड़ते हैं, तब सरकार टैरिफ बढ़ा देती है।

उदाहरण:-

  • चीन से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद और खिलौनों पर भारत ने भारी टैरिफ लगाया है।
  • Free Trade Agreements (FTA) के जरिए भारत ने कई देशों के साथ कुछ उत्पादों पर टैरिफ खत्म भी किया है।

अमेरिका की नई टैरिफ नीति – 2025 अपडेट

2025 में अमेरिका ने कई देशों पर नए टैरिफ लगाए हैं। इसका मुख्य मकसद घरेलू निर्माण को बढ़ावा देना और विदेशी दबाव बनाना है।

➤ किस-किस पर टैरिफ लगाए गए?

  1. चीन: 125% टैरिफ लाया हैं, जिससे चीन के उत्पाद महंगे हो गए।
  2. मेक्सिको और कनाडा: 25% तक टैरिफ, खासकर ऑटो और स्टील उत्पादों पर।
  3. यूरोप: कुछ चुनिंदा उत्पादों पर सीमित टैरिफ।

➤ किन्हें नुकसान हुआ?

  • चीन, कनाडा, मेक्सिको — इन देशों की कंपनियों को अमेरिका में बिक्री में गिरावट देखने को मिली।

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➤ किसे फायदा हुआ?

  • अमेरिका की घरेलू कंपनियाँ (specially steel, automobile industries) को राहत मिली।
  • भारत को कोई नया टैरिफ नहीं झेलना पड़ा, जिससे भारतीय निर्यातकों को कुछ राहत मिली।
  • अमेरिका की ये नीति दिखाती है कि टैरिफ सिर्फ टैक्स नहीं, एक अंतरराष्ट्रीय रणनीति भी बन चुका है।

Tariff एक साधारण शब्द लग सकता है, लेकिन इसके पीछे की नीतियाँ और असर बहुत गहरे होते हैं। ये सरकारों के लिए एक तलवार और ढाल दोनों हो सकता है – एक तरफ यह घरेलू उद्योग को बचा सकता है, तो दूसरी तरफ वैश्विक व्यापार में संकट भी पैदा कर सकता है।

एक समझदार Tariff नीति न सिर्फ़ देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाती है, बल्कि जनता, किसानों और छोटे कारोबारियों को भी सहारा देती है। लेकिन यह जरूरी है कि इसका संतुलित उपयोग हो, न कि भावनात्मक या राजनीतिक मकसद से।

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Harish Negi "चाय पर चर्चा" न्यूज़ पोर्टल के लिए मूल्यवान सदस्य हैं। जानकारी की दुनिया में उनकी गहरी रुचि उन्हें "चाय पर चर्चा" न्यूज़ पोर्टल में विश्वसनीय समाचार प्रदान करने के लिए प्रेरित करती है।

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