34 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष (Atul Subhash) की आत्महत्या ने भारतीय न्याय व्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। दहेज प्रताड़ना और झूठे आरोपों के तहत कानूनी लड़ाई से टूट चुके अतुल ने 9 दिसंबर 2024 को अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। उनके सुसाइड नोट और वीडियो में उन्होंने सिस्टम की खामियों और अपने ऊपर हुए अन्याय का जिक्र किया, जिसमें झूठे मुकदमों, कोर्ट के चक्कर और मानसिक उत्पीड़न ने उन्हें मौत को गले लगाने पर मजबूर कर दिया। उनकी यह घटना न केवल व्यक्तिगत पीड़ा को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे कानून का दुरुपयोग लोगों की जिंदगियां तबाह कर रहा है।
कौन है न्याय व्यवस्था से हार कर मौत को गले लगाने वाला अतुल सुभाष?
34 साल के एक सॉफ्टवेयर इंजिनियर जो इस न्याय व्यवस्था के नरसंहार की बली चड़ गया। जिसने इस सिस्टम से हार कर आत्महत्या कर ली। वो 90 मिनट की वीडियो रिकार्डिंग और एक सुसाइड नोट लिख कर पंखे मे लटक गया।
एक मैट्रिमोनी साइट से मिलने के बाद अतुल सुभाष ने उत्तर प्रदेश की जौनपुर निवासी निकिता सिंघानिया से शादी कर ली थी। दोनों का एक बेटा हुआ। उन दोनों के बीच कुछ ही महीनों में तनाव इतना बढ़ गया था कि 2021 में निकिता बेटे को लेकर बेंगलुरु से चली गई उसने अतुल और उसके परिवार के खिलाफ 9 मामले दर्ज कराए। इनमें मर्डर और अप्राकृतिक यौनाचार का केस भी शामिल था।
इस दौरान इन मामलों की सुनवाई के लिए अतुल को 40 बार बेंगलुरू से जौनपुर पेशी के लिए जाना पड़ा।
9 दिसंबर 2024 को अतुल ने बेंगलुरु के फ्लैट में खुदकुशी कर ली।
केदारनाथ सिंह जी की ये पंक्तियाँ यहाँ सटीक बैठती हैं –
चुप्पियाँ बढ़ती जा रही हैं
उन सारी जगहों पर,
जहाँ बोलना जरूरी था।
अतुल ने अपनी वीडियो मे कहा है कि –मुझे लगता है कि मेरा मर जाना ही बेहतर होगा, क्योंकि जो पैसे मैं कमा रहा हूं उससे मैं अपने दुश्मन को बलवान बना रहा हूं। मेरे ही टैक्स के पैसे से ये अदालत, ये पुलिस और पूरा सिस्टम मुझे और मेरे परिवार और मेरे जैसे और भी लोगों को परेशान करेगा।
अतुल ने कहा कि मेरी पत्नी ने ये केस सेटल करने के लिए पहले 1 करोड़ रुपए की डिमांड की थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 3 करोड़ रुपए कर दिया। जब मैंने 3 करोड़ रुपए की डिमांड के बारे में जौनपुर की फैमिली कोर्ट की जज को बताया तो उन्होंने भी पत्नी का साथ दिया।
मैंने जज से कहा- NCRB की रिपोर्ट बताती है कि देश में बहुत सारे पुरुष झूठे केस की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं तो मेरी पत्नी बीच में बोल उठी कि -तुम भी आत्महत्या क्यों नहीं कर लेते हो। इस बात पर जज हंस पड़ीं और कहा कि ये केस झूठे ही होते हैं, तुम अपने परिवार के बारे में सोचो और केस को सेटल करो। मैं केस सेटल करने के 5 लाख रुपए लूंगी।
कैसी होगी उस समय मनोदशा-
क्या मनोदशा रही होगी उस समय उस व्यक्ति की जिसने इतना बड़ा कदम उठा लिया और अपनी देह का त्याग कर दिया। क्या उसे समय उसके सामने उसके मां-बाप का चेहरा नहीं आया होगा जिन्होंने उसे जन्म दिया? भाई बहनों के साथ सगे संबंधियों के साथ वह बड़ा हुआ क्या उस समय उनका ख्याल उसे नहीं आया होगाजब वह फांसी के फंदे से लटकने वाला था? क्या उसे नहीं लगा होगा कि सब सही हो जाएगा और मैं फिर से एक खुशहाल जिंदगी शुरू करूंगा। ऐसे अनगिनत सवाल उस व्यक्ति के दिमाग में घूम रहे होंगे परंतु उसे अपने तनाव के सामने यह सब छोटे लग रहे होंगे, वह कितने तनाव में था इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है।
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हम लोग छोटी-मोटी समस्या आने पर भी तनाव में आ जाते हैं तो उसे व्यक्ति ने तो अपना शरीर ही नष्ट कर दिया। बहुत बड़ा कलेजा चाहिए खुद की जान लेने के लिए। परंतु उसने मान लिया था कि इस सिस्टम के आगे वह इतना मजबूर हो गया है कि अब उसके पास आत्महत्या के अलावा कोई और रास्ता ही नहीं है उस व्यक्ति की मनोदशा बताना हमारे बस की बात नहीं है
परन्तु कुछ प्रतिशत यह प्रश्न भी उसके समक्ष आए होंगे।
- क्या हम यह मान सकते हैं कि दहेज़ प्रताड़ना पर बने क़ानून का दुरूपयोग हो रहा है?
- महिलाएँ इस क़ानून का दुरूपयोग कर रहीं, ये कहाँ का न्याय है कि बिना किसी गलती के एक व्यक्ति तनाव मे आ कर अपनी जान दे देता है।
- कौन सही कौन गलत ये तो न्यायालय ही तय करेगा परन्तु अतुल सुभाष की ये आत्महत्या पूरे सिस्टम पर एक प्रश्नचिन्ह लगा गई है।
उन्होंने अपनी वीडियो मे कहा है “कि अगर मुझे न्याय नहीं मिलता है तो मेरी अस्थियां अदालत के पास ही किसी गटर मे डाल देना।”
आप सभी अपनी राय अवश्य दें।
सच में,बहुत ही दुखद
हाँ. बस अब गुनहगारो को सजा मिले तभी बात है