जस्टिस संजीव खन्ना 24 अक्टूबर को देश के नए मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर दिए गए। जस्टिस खन्ना देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश बने हैं। उन्होंने 11 नवंबर को इस पद की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने जस्टिस खन्ना को राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में पद की शपथ दिलाई। जस्टिस खन्ना ने अपना करिअर 1983 में शुरू किया। सुप्रीम कोर्ट से पहले जस्टिस संजीव खन्ना तीस हजारी डिस्ट्रीक्ट कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट समेत कई कोर्ट में प्रैक्टिस कर चुके हैं। जस्टिस संजीव संजीवखन्ना ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच के साथ मिलकर कई अहम फैसले लिये हैं। जैसे –
1. इलेक्टोरल बॉन्ड केस :
जस्टिस खन्ना उस बेंच में थे जिसने 2024 के एक एतिहासिक फैसले में इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया था। इस बेंच में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़,जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई,जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र थे। इस मामले में बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन करता है क्योंकि इसमें इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली जानकारी सिर्फ बैंक के अफसरों तक ही सीमित रहती है।
2. अनुच्छेद 370 का केस :
अनुच्छेद 370 संघवाद के अनुरूप नहीं है । इसे खत्म करने से भारत के संघीय ढांचे पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
3. VVPAT के 100 फीसदी वेरीफिकेशन का मामला :
साल 2024 में एसोसिएशन फॉर डेमक्रैटिक रेफॉर्म्स बनाम भारत निर्वाचन आयोग के फैसले में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के वोटों के 100 फीसदी VVPAT वेरीफिकेशनकी मांग करने वाली ADR यानि एसोसिएशन फॉर डेमक्रैटिक रेफॉर्म्स की याचिका को खारिज कर दिया था।
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4. चीफ जस्टिस के दफ्तर को आरटीआई दायरे में लाने का फैसला :
3 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था मुख्य न्यायाधीश का दफ्तर अब आरटीआई के दायरे में होगा। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार करते हुए अदालत ने कहा था कि पारदर्शिता से न्यायिक आजादी प्रभावित नहीं होती। जिस बेंच ने ये फैसला सुनाया था जस्टिस संजीव खन्ना उसका हिस्सा थे।
4. सेंट्रल विस्टा : जब जस्टिस खन्ना ने दिया बेंच से अलग फैसला:
सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा को जनवरी 2021 अनुमति दी थी। इस प्रोजेक्ट के तहत बाकी निर्माण कार्य के अलावा नई संसद भवन भी बनाया गया । तीन जजों की बेंच ने 2 – 1 के मत से फैसला सुनाया। इस फैसले में जस्टिस संजीव खन्ना के साथ जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस एएम खलविलकर भी शामिल थे। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस एएम खलविलकर ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को अनुमति दी थी जबकि जस्टिस संजीव खन्ना ने इसके खिलाफ इसका फैसला सुनाया था।
CJI संजीव खन्ना ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया, जो कि अब NALSA के पैट्रन-इन-चीफ हैं। जब कि जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई वर्तमान में NALSA कार्यकारी अध्यक्ष हैं।