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बाल दिवस: चाचा नेहरू और बच्चों का खास रिश्ता

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चाचा नेहरू
बाल दिवस: चाचा नेहरू और बच्चों का खास रिश्ता Happy Children's Day!

पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की संक्षिप्त जीवनी-

पंडित जवाहरलाल नेहरू (चाचा नेहरू) जी का जन्म 14 नवम्बर 1889 प्रयागराज मे हुआ था। जो मूलतः एक कश्मीरी पंडित समुदाय से थे, इन्हें पंडित नेहरू के नाम से भी जाना जाता था।उनके पिता, मोतीलाल नेहरू एक धनी बैरिस्टर थे और इनकी माता जी का नाम स्वरूपरानी थुस्सू था जो मोतीलाल नेहरू की दूसरी पत्नी थी।जवाहरलाल नेहरू जी की दो छोटी बहन थी वह अपने घर में सबसे बड़े थे।उनकी बहन विजया लक्ष्मी संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष बनी। जवाहरलाल नेहरू ने 1912 में विदेश से भारत लौटकर अपनी वकालत शुरू की। उनकी पत्नी का नाम कमला नेहरू था ।

सन् 1947  में भारत को आजादी मिलने के पश्चात जब भारत के प्रधानमन्त्री के लिये कांग्रेस में मतदान हुआ तो सरदार वल्लभ भाई पटेल जी को सर्वाधिक मत मिले। उसके बाद दूसरे नंबर पर सर्वाधिक मत आचार्य कृपलानी जी को मिले थे। परन्तु गांधीजी के कहने पर सरदार वल्लभ भाई पटेल जी और आचार्य कृपलानी जी ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमन्त्री बनाया गया। पंडित जवाहरलाल नेहरू एक राजनेता के साथ एक बहुत ही अच्छे लेखक भी थे।

बाल दिवस की शुरुआत और पहली बार का आयोजन

हर वर्ष 14 नवंबर को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप मे मनाया जाता है। पंडित जवाहर लाल नेहरू जी को बच्चे बहुत ही प्रिय थे और बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कह कर बुलाते थे। इस दिन सभी स्कूलों मे बच्चों के लिए खेल कार्यक्रम एवं सार्वजनिक सभाएँ आयोजित की जाती है। सन 1954 मे पहली बार बाल दिवस मनाया गया। उस समय दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में आयोजित बाल दिवस समारोह में 50,000 से अधिक स्कूली बच्चों ने भाग लिया था।

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14 नवंबर 1957 को विशेष आदेश द्वारा आधिकारिक तौर पर बाल दिवस घोषित किया गया। उस दिन का एक किस्सा काफ़ी चर्चा मे था उस दिन दिल्ली नेशनल स्टेडियम से नेहरू जी बहुत सारे सफ़ेद कबूतरों को छोड़ा, जिनमें से एक कबूतर आ कर उनके सिर पर बैठ गया था।

बच्चों के प्रति नेहरू जी की सोच

पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने सन 1955 में चिल्ड्रन्स फ़िल्म सोसाइटी इंडिया की स्थापना की थी उनका उद्देश्य था कि सभी बच्चे खुद को प्रतिनिधित्व करते हुए देख सकें और प्रसन्न मन रहें। नेहरू जी को हर बच्चे के अंदर भारत का सुनहरा भविष्य दिखता था। उनका मानना था कि भारत का भविष्य यहाँ के बच्चों पर निर्भर करता है। वो कहते थे कि बच्चे बगीचे के वह खिलते हुए फूल हैं जिनका लालन पालन अच्छे से नहीं हुआ तो वह मुरझा सकते हैं।

आज हम सभी पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को उनकी जयंती पर नमन करते हैं जो भारत के हर बच्चे में इस भारत भूमि का भविष्य देखते थे।

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