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Wednesday, March 26, 2025

महाकुंभ 2025: महाकुंभ का हुआ आगाज, महाकुंभ में आज सुबह 9.30 बजे तक साठ लाख श्रद्धालुओ ने किया स्नान।

प्रयागराज: संगम की रेती पर पौष पूर्णिमा के पहले स्नान के साथ ही महाकुंभ 2025 का आगाज हो गया है। कड़ाके की ठंड के बावजूद संगम के तट पर आस्था का जन सैलाब उमड़ पड़ा है। ब्रह्म मुहूर्त से ही श्रद्धालुओं का रेला संगम तट की ओर चल रहा है. लोग मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाने को आतुर नजर आ रहे हैं। पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ ही एक माह तक चलने वाले कल्पवास की भी शुरुआत हो जाएगी. तमाम संत महात्मा और गृहस्थ कल्पवास का संकल्प लेकर कल्पवास शुरू करेंगे. कल्पवास यानि काया का कल्प करने के कठिन व्रत में संत महात्मा और श्रद्धालु संगम की रेती पर बने तंबूओं में नियमित और संयमित जीवन व्यतीत करते हुए कठिन साधना करते हैं. तीन पहर गंगा स्नान,भूमि पर शयन और एक पहर का भोजन करते हैं।

khumbh mela 2025

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144 साल बाद दुर्लभ संयोग में रविवार की आधी रात संगम पर पौष पूर्णिमा की प्रथम डुबकी के साथ महाकुंभ का शुभारंभ हुआ। विपरीत विचारों, मतों, संस्कृतियों, परंपराओं स्वरूपों का गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी के तट पर महामिलन 45 दिन तक चलेगा। इस अमृतमयी महाकुंभ में देश-दुनिया से 45 करोड़ श्रद्धालुओं, संतों-भक्तों, कल्पवासियों और अतिथियों के डुबकी लगाने का अनुमान है।

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कोहरा-कंपकंपी पीछे छूटी, आगे आस्था का जन ज्वार

घना कोहरा, थरथरा देने वाली कंपकंपी आस्था के आगे मीलों पीछे छूट गई। संगम पर आधी रात लाखों श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। कहीं तिल रखने की जगह नहीं बची। आधी रात से ही पौष पूर्णिमा की प्रथम डुबकी का शुभारंभ हो गया। इसी के साथ संगम की रेती पर जप, तप और ध्यान की वेदियां सजाकर मास पर्यंत यज्ञ-अनुष्ठानों के साथ कल्पवास भी आरंभ हो गया। समुद्र मंथन के दौरान निकले कलश से छलकीं अमृत की चंद बूंदों से युगों पहले शुरू हुई कुंभ स्नान की परंपरा का आज से आगाज हो गया। इस बार महाकुंभ में 183 देशों के लोगों के आने की उम्मीद है। इन विदेशी मेहमानों के स्वागत और आतिथ्य के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से भव्य तैयारियां की गई हैं।

महाकुंभ 2025: महाकुंभ का हुआ आगाज, महाकुंभ में आज सुबह 9.30 बजे तक साठ लाख श्रद्धालुओ ने किया स्नान।

आपको बता दें कि 12 वर्ष बाद प्रयागराज में महाकुंभ लगा है। 2013 कुंभ मेले के लिए 1214 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया थाा। उस दौरान 160 किमी लंबी सड़कों का निर्माण कराया गया था। स्वच्छता के लिए 35 हजार शौचालयों का निर्माण कराया गया था। आंकड़ों के मुताबिक, 2013 के कुंभ मेले के दौरान शहर में करीब 70 लाख श्रद्धालु आए थे, लेकिन इस बार 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है।

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संगम पर महाकुंभ की सदियों पुरानी परंपरा

महाकुंभ कब से शुरू हुआ, इस संबंध में कुछ भी लिखित प्रमाण नहीं है। हालांकि, इस मेले का सबसे पहला लिखित प्रमाण बौद्ध तीर्थयात्री ह्वेनसांग के लेख में मिलता है। उन्होंने छठवीं शताब्दी में सम्राट हर्षवर्धन के शासनकाल में होने वाले कुंभ मेले का वर्णन किया है। वहीं, ईसा से 400 वर्ष पूर्व सम्राट चंद्रगुप्त के दरबार में आए एक यूनानी दूत ने भी ऐसे ही मेले का जिक्र अपने लेख में किया है।

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Manish Negi
Manish Negihttps://chaiprcharcha.in/
Manish Negi एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिनके पास राजनीति, अर्थव्यवस्था और सामाजिक मुद्दों जैसे विषयों पर अच्छा ज्ञान है। वे 2 से ज्यादा वर्षों से विभिन्न समाचार चैनलों और पत्रिकाओं के साथ काम कर रहे हैं। उनकी रूचि हमेशा से ही पत्रकारिता और उनके बारे में जानकारी रखने में रही है वे "चाय पर चर्चा" न्यूज़ पोर्टल में विभिन्न विषयों पर ताज़ा और विश्वसनीय समाचार प्रदान करते हैं"

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