11.7 C
Uttarakhand
Thursday, January 23, 2025

कुंभ मेला 2025: जानें इसका महत्व, इतिहास और शाही स्नान की तिथियां

कुंभ मेला: विश्व का सबसे बड़ा और पवित्रतम धार्मिक आयोजन

कुंभ मेला, भारत का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन, विश्वभर में अपने अद्वितीय महत्व के लिए जाना जाता है। यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपराओं और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। कुंभ मेला हर बारह साल में चार पवित्र स्थानों—हरिद्वार, प्रयागराज (इलाहाबाद), उज्जैन और नासिक—पर आयोजित होता है। यह आयोजन न केवल भारत के धार्मिक इतिहास को सहेजता है, बल्कि इसे एक वैश्विक पहचान भी प्रदान करता है।

कुंभ मेले का इतिहास: अमृत की खोज से कुम्भ तक

कुंभ मेले का इतिहास पौराणिक है। यह समुद्र मंथन की पवित्र कथा पर आधारित है।  जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया, तो उस समय 14 रत्न उससे निकले, जिनमें हालाहल विष जिसका सृष्टि की रक्षा के भगवान महादेव पान कर उसे अपने कंठ मे धारण किया और ज़ब अमृत का कलश प्राप्त हुआ तो इसे लेकर देवताओं और असुरों के बीच संघर्ष छिड़ गया। इस घमासान के दौरान ज़ब अमृत कलश को लेकर गरुड़देव जा रहे थे तो अमृत की कुछ   बूंदें पृथ्वी पर गिर गईं। ये जिन स्थानों पर गिरी वह थे- हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक। यही कारण है कि इन स्थानों को अति पवित्रतम माना जाता है और कहा जाता है की कुंभ के दौरान माँ गंगा का वह जल अमृत बन जाता है। यह कथा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं की गहराई को भी दर्शाती है

khumbh mela 2025

ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार, कुंभ मेले का आरंभ आठवीं शताब्दी में हुआ था। इसे आदि शंकराचार्य ने वैदिक ज्ञान के प्रचार-प्रसार और साधु-संतों को एकजुट करने के लिए प्रारंभ किया था। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी प्रयागराज के कुंभ मेले का उल्लेख अपने यात्रा वृतांत में किया है। मुगल काल में भी कुंभ मेला अपने धार्मिक महत्व के कारण जीवित रहा। यहां तक कि अकबर ने भी प्रयागराज में कुंभ स्नान किया था। ब्रिटिश शासन के दौरान इस आयोजन की भव्यता और भी बढ़ गई।

कुंभ, अर्द्धकुंभ और महाकुंभ: इन तीनों के बीच क्या है अंतर?

  • कुंभ :-कुंभ का अर्थ होता है कलश या घट । प्रत्येक तीन वर्ष में उज्जैन को छोड़कर अन्य स्थानों पर कुंभ का आयोजन होता है।
  • अर्द्धकुंभ :-अर्ध का अर्थ होता है आधा। अर्द्धकुंभ मेले का आयोजन प्रत्येक छः छः वर्ष में प्रयागराज और हरिद्वार में होता है।
  • पूर्णकुंभ :- पूर्णकुंभ का आयोजन प्रत्येक 12 वर्ष में होता है। जैसे  उज्जैन में कुंभ का अयोजन हो रहा है, तो उसके बाद अब तीन वर्ष बाद हरिद्वार, फिर अगले तीन वर्ष बाद प्रयाग और फिर अगले तीन वर्ष बाद नासिक में कुंभ का आयोजन होगा। उसके तीन वर्ष बाद फिर से उज्जैन में जो कुंभ का आयोजन होगा वह पूर्णकुम्भ होगा । ऐसे ही जब हरिद्वार, नासिक या प्रयागराज में 12 वर्ष बाद कुंभ का आयोजन होगा तो उसे पूर्णकुंभ कहेंगे।इसी तरह तीन तीन वर्ष के अंतराल मे चारों जगह होने के बाद 12वे वर्ष मे पूर्णकुम्भ आयोजित होता है
  • महाकुंभ :-इस साल प्रयागराज मे होने वाला कुंभ महाकुंभ है। जब  12 बार पूर्णकुंभ हो जाते हैं, तो उसे एक महाकुंभ कहा जाता है। महाकुंभ 12 पूर्णकुंभ हो जाने के बाद  लगता है। महाकुंभ का आयोजन 144 सालों में एक बार होता है।

कुंभ मेले का धार्मिक महत्व

कुंभ मेले का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप समाप्त हो जाते हैं और आत्मा को शुद्धि प्राप्त होती है। यह स्नान आत्मिक शांति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। पवित्र नदियों में स्नान करना न केवल एक धार्मिक क्रिया है, बल्कि यह आत्मा और शरीर दोनों को शुद्ध करने का माध्यम भी है। शास्त्रों के अनुसार, कुंभ मेले के दौरान स्नान करने से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है और मनुष्य  ईश्वर प्राप्ति के करीब पहुंचता है।

khumbh mela 2025

इसके अतिरिक्त, कुंभ मेले में आने वाले साधु-संतों के प्रवचन और सत्संग श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करते हैं। यहां विभिन्न संप्रदायों के साधु और संत एकत्र होते हैं, जो अपने-अपने दर्शन और परंपराओं का प्रचार-प्रसार करते हैं। यह आयोजन धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने का कार्य करता है।

कुंभ मेले का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

कुंभ मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं है; यह भारतीय समाज की सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है। यह वह स्थान है जहां जाति, धर्म, वर्ग और भाषा की भिन्नताएं समाप्त हो जाती हैं और सभी लोग एक समान आस्था में बंध जाते हैं। इस मेले में करोड़ों लोग एक साथ स्नान करते हैं, भोजन करते हैं और अपने अनुभव साझा करते हैं। यह सामाजिक समरसता और भाईचारे का अद्भुत उदाहरण है।

khumbh mela 2025

कुंभ मेले में लोक कलाओं और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का भी विशेष महत्व है। यहां विभिन्न राज्यों से आए कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। नृत्य, संगीत, भजन और नाट्य प्रस्तुतियां मेले को और भी रंगीन और जीवंत बना देती हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु न केवल आध्यात्मिक अनुभव करते हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति के विविध रंगों का भी आनंद लेते हैं।

कुंभ मेले में अखाड़ों की भूमिका

महाकुंभ में अखाड़ों का सम्बन्ध  साधु संतों से होता है। जिनका विशेष महत्व है।साधु-संतों के संगठित समूह को अखाड़ा कहा जाता है,  इसमें अलग-अलग मत और संप्रदाय के साधु-संत अगल-अलग अखाड़ों में शामिल होते हैं। इन अखाड़ों का अपना सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्त्व है, अखाड़े न केवल धार्मिक संगठन हैं, बल्कि ये वैदिक ज्ञान और योग साधना के भी केंद्र हैं।

हिंदू धर्मग्रंथो और मान्यताओं के अनुसार  आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा कुछ ऐसे संगठन तैयार किए गए थे जो शास्त्र एवं शस्त्र विद्या दोनों का ज्ञान जानते थे। उस समय आदिगुरु शंकराचार्य ने इन संगठनों को हिंदू धर्म की रक्षा के लिए तैयार किया और इन्हें अखाड़ों का नाम दिया। इन अखाड़ों मे शामिल साधु-संत हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों की रक्षा करने के साथ धार्मिक स्थलों की भी रक्षा करते हैं।

कुछ अखाड़ों के संत महंत का मानना है कि  इन अखाड़ों की स्थापना 547 ईस्वी के लगभग हुई थी। और उसके बाद 1547  पुनर्स्थापना की गई।  इसकी स्थापना आदि गुरू शंकराचार्य से पहले हुई है. इन अखाड़े की स्थापना के बाद इन्हें सनातन धर्म की रक्षा के लिए कई बार युद्ध भी लड़ना पड़ा है।

khumbh mela 2025

भारत में कुल 13 प्रमुख अखाड़े हैं, ये 13 अखाड़े उदासीन, शैव और वैष्णव पंथ के संन्यासियों के हैं। इसमें 7 अखाड़े शैव संप्रदाय के सन्यासियों के हैं, तो 3 अखाड़े वैरागी वैष्णव संप्रदाय के हैं। वहीं, शेष 3 अखाड़े उदासीन संप्रदाय के हैं। ये सभी अखाड़े सनातन संस्कृति की धर्म ध्वजा हैं। इन 13 अखाड़ों मे सबसे बड़े जूना और निरंजनी अखाड़ा हैं जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज हैं और निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर साध्वी संजनानंद गिरी हैं।

प्रमुख अखाड़े:

शैव संन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़े
  1. श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी- दारागंज प्रयाग (उत्तर प्रदेश)।
  2. श्री पंच अटल अखाड़ा- चैक हनुमान, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)।
  3. श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी- दारागंज, प्रयाग (उत्तर प्रदेश)।
  4. श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती- त्रंब्यकेश्वर, नासिक (महाराष्ट्र)
  5. श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा- बाबा हनुमान घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)।
  6. श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा- दशाश्वमेघ घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)।
  7. श्री पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा- गिरीनगर, भवनाथ, जूनागढ़ (गुजरात)
बैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े
  1. श्री दिगम्बर अनी अखाड़ा- शामलाजी खाकचौक मंदिर, सांभर कांथा (गुजरात)।
  2. श्री निर्वानी आनी अखाड़ा- हनुमान गादी, अयोध्या (उत्तर प्रदेश)।
  3. श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा- धीर समीर मंदिर बंसीवट, वृंदावन, मथुरा (उत्तर प्रदेश)।
उदासीन संप्रदाय के 3 अखाड़े :
  1. श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा- कृष्णनगर, कीटगंज, प्रयाग (उत्तर प्रदेश)।
  2. श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन- कनखल, हरिद्वार (उत्तराखंड)।
  3. श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा- कनखल, हरिद्वार (उत्तराखंड)।

इनके आलावा भी साधु-संतों के अखाड़े हैं जो कुंभ स्नान में भाग लेते हैं। परन्तु प्रमुख 13 अखाड़े ही हैं।

शाही स्नान:

कुंभ मेले का सबसे बड़ा आकर्षण अखाड़ों का शाही स्नान है। यह एक भव्य आयोजन होता है, जिसमें साधु-संत भगवा वस्त्र पहनकर, विभूति लगाकर और जटाओं के साथ पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। यह दृश्य अत्यंत दिव्य और अद्भुत होता है। शाही स्नान के दौरान अखाड़ों के साधु एक निश्चित क्रम में स्नान करते हैं और इन अखाड़ों के स्नान का समय अलग-अलग होता है।इस आयोजन को देखने के लिए लाखों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं।

khumbh 2025

इस बार प्रयागराज में महाकुम्भ का आयोजन होने जा रहा है, जो 13 जनवरी से 26 फ़रवरी तक चलने वाला है. इस दौरान शाहीस्नान इन तिथियों मे होगा।

13 जनवरी (पूस पूर्णिमा )के दिन शाही स्नान.

14 जनवरी (मकर संक्रांति )के दिन शाही स्नान.

29 जनवरी (मोनी अमावस्या) के दिन शाहीस्नान.

03 फ़रवरी (बसंत पंचमी) के दिन शाही स्नान.

12 फरवरी (माघी पूर्णिमा) के दिन शाही स्नान.

26 फरवरी (महाशिवरात्रि )के दिन शाही स्नान होना है.

और जानिए  :-मकर संक्रांति 2025: तिथि, महत्व, अनोखी परंपराएँ और पौराणिक कथाएँ

कुंभ मेले का प्रबंधन और ज्योतिषीय गणनाएँ

कुंभ मेले का आयोजन एक जटिल प्रक्रिया है, जो ज्योतिषीय गणनाओं पर आधारित होती है। जब सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति विशिष्ट राशियों में आते हैं, तब कुंभ मेले का आयोजन होता है। यह समय धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है।

कुंभ मेले का प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है। लाखों श्रद्धालुओं के लिए अस्थायी नगर का निर्माण किया जाता है, जिसमें स्वच्छता, सुरक्षा और चिकित्सा सेवाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है। नदी घाटों का निर्माण और श्रद्धालुओं के स्नान के लिए विशेष प्रबंध किए जाते हैं। प्रशासन और सरकार इस आयोजन को सुचारू रूप से चलाने के लिए विभिन्न विभागों को एक साथ मिलाकर काम करती है।

कुंभ मेले का अनुभव

कुंभ मेला एक ऐसा अनुभव है जिसे शब्दों में व्यक्त करना कठिन है। यहां का वातावरण, मंत्रोच्चार की गूंज, आरती की मधुर ध्वनि और पवित्र नदियों का स्पर्श आत्मा को एक अनूठी शांति प्रदान करता है। सूर्योदय के समय पवित्र नदियों में स्नान का दृश्य अद्भुत होता है। लाखों लोग जब एक साथ “हर हर गंगे” के उद्घोष के साथ नदियों में स्नान करते हैं, तो वह दृश्य मन को दिव्यता से भर देता है।

khumbh mela 2025

कुंभ मेले में साधु-संतों के साथ चर्चा करना, उनके प्रवचन सुनना और उनके जीवन से प्रेरणा लेना एक अलग ही अनुभव है। यहां का हर पहलू—चाहे वह पवित्र स्नान हो, साधु-संतों का दर्शन हो या सांस्कृतिक प्रस्तुतियां—श्रद्धालुओं को एक नई ऊर्जा और आध्यात्मिकता से भर देता है।

कुंभ मेला भारतीय संस्कृति का प्रतीक

कुंभ मेला न केवल भारत की धार्मिक परंपराओं का प्रतीक है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और सामाजिक विविधता का भी उत्सव है। यह आयोजन हमें भारतीय समाज की गहराई और इसकी एकता का अनुभव कराता है। कुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है; यह एक जीवन अनुभव है, जिसे हर भारतीय को अवश्य महसूस करना चाहिए।

जय माँ गंगे!”

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Hemant Upadhyay
Hemant Upadhyayhttps://chaiprcharcha.in/
Hemant Upadhyay एक शिक्षक हैं जिनके पास 7 से अधिक वर्षों का अनुभव है। साहित्य के प्रति उनका गहरा लगाव हमेशा से ही रहा है, वे कवियों की जीवनी और उनके लेखन का अध्ययन करने में रुचि रखते है।, "चाय पर चर्चा" नामक पोर्टल के माध्यम से वे समाज और साहित्य से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हैं और इन मुद्दों के बारे में लिखते हैं ।

Related Articles

4 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

104FansLike
26FollowersFollow
7FollowersFollow
62SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles