बमनपुरी, द्वाराहाट: जल ही जीवन है, लेकिन जब यही जल दूषित हो जाए, तो यह कई बीमारियों का कारण बन सकता है। बमनपुरी गांव के ग्रामीण लंबे समय से स्वच्छ पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं। जल संस्थान द्वारा पानी की टंकियों की नियमित सफाई न किए जाने के कारण ग्रामीणों को गंदे पानी का उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। यह समस्या न केवल उनकी स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए खतरा बन रही है, बल्कि उनके जीवन के हर पहलू को प्रभावित कर रही है।
गंदे पानी की आपूर्ति से ग्रामीण परेशान
बमनपुरी गांव को जलापूर्ति करने वाला मुख्य टैंक ध्याड़ी गांव के निकट स्थित है। यह टैंक वर्षों से साफ नहीं किया गया है, जिसके चलते पानी की गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है। ग्रामीण इस दूषित पानी का उपयोग पीने और नहाने जैसे दैनिक कार्यों के लिए करने पर मजबूर हैं। पानी में गंदगी के कारण पेट से जुड़ी बीमारियां, त्वचा संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जल संस्थान को इस समस्या के बारे में कई बार अवगत कराया गया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। बार-बार शिकायतों के बावजूद सफाई कार्य में देरी ने ग्रामीणों के धैर्य की सीमा को पार कर दिया है।
नवयुवकों ने लिया सफाई का जिम्मा
समस्या को देखते हुए बमनपुरी गांव के नवयुवकों ने पहल करते हुए स्वयं ध्याड़ी गांव में बने टैंक की सफाई का बीड़ा उठाया। रविवार को युवाओं ने मिलकर टैंक की सफाई की ताकि ग्रामीणों को कम से कम कुछ समय के लिए स्वच्छ पानी मिल सके। युवाओं ने बताया कि टैंक में कचरा, कीचड़ और अन्य गंदगी जमा हो गई थी, जिसे हटाने में काफी मेहनत लगी।
सफाई अभियान में शामिल एक युवक ने कहा, “हमने कई बार जल संस्थान को इसकी शिकायत की, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। आखिरकार हमने खुद सफाई करने का फैसला किया।”
पानी की कमी और गर्मी का संकट
इन दिनों बढ़ती गर्मी ने जल संकट को और अधिक गंभीर बना दिया है। नलों में पानी की आपूर्ति पहले से ही सीमित है, और दूषित पानी की समस्या ने ग्रामीणों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। सफाई कार्य के कारण कुछ समय के लिए जलापूर्ति प्रभावित हो सकती है। इसको ध्यान में रखते हुए नवयुवकों ने ग्रामीणों से अपील की कि वे आवश्यक मात्रा में पानी का संग्रहण करें ताकि इस दौरान परेशानी कम हो।
ग्रामीणों की अपील और जल संस्थान की जिम्मेदारी
ग्रामीणों ने जल संस्थान से अपील की है कि टैंक की नियमित सफाई सुनिश्चित की जाए और स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति की जाए। ग्रामीणों का कहना है कि यह संस्थान की जिम्मेदारी है कि वह लोगों को साफ और सुरक्षित पानी उपलब्ध कराए।
यह घटना यह दिखाती है कि स्वच्छता और स्वास्थ्य को लेकर जब प्रशासनिक उदासीनता होती है, तो स्थानीय समुदाय को ही अपनी समस्याओं का समाधान करना पड़ता है। अब देखना यह है कि जल संस्थान इस समस्या को लेकर जागरूक होता है या नहीं। ग्रामीणों को उम्मीद है कि उनकी पहल प्रशासन को जगाने का काम करेगी और जल्द ही उनके लिए स्वच्छ जल की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
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