अतुल सुभाष आत्महत्या केस: अतुल सुभाष ने बीते दिनों बेंगलुरू में आत्महत्या कर ली थी। यह मामला सुर्खियों में बीते काफी दिनों से बना हुआ है। इस मामले में अतुल सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया, उनकी मां और भाई के खिलाफ पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है। इस मामले में अब अतुल सुभाष की पत्नी और उनके परिवार ने बेंगलुरू के एक स्थानीय अदालत में जमानत याचिका दाखिल की है। बता दें कि बेंगलुरु की स्थानीय कोर्ट में इस मामले पर 30 दिसंबर को सुनवाई होगी। गौरतलब है कि अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर को बेंगलुरू में आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या से पूर्व अतुल सुभाष ने सोशल मीडिया पर लाइव भी किया था, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और उसके परिवार पर कथित उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
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निकिता का परिवार ने स्थानीय कोर्ट का किया रुख
इस घटना के बाद पुलिस ने निकिता को हरियाणा के गुरुग्राम से गिरफ्तार किया था, जबकि निकिता की मां निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया को सुभाष को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में 14 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से गिरफ्तार किया गया था। उन्हें बेंगलुरू की स्थानीय अदालत में पेश करने के बाद 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। इसी मामले में अब निकिता सिंघानिया और उनके परिवार ने स्थानीय अदालत में जमानत के लिए अर्जी दाखिल की है।
Men’s हेल्पलाइन नंबर पर आई इस कॉल का जिक्र करते हुए इससे जुड़े सदस्य ने कहा कि ये भी कोई अतुल सुभाष था जिसे हमने बचा लिया. आज वो अपना मुकदमा लड़ रहा है. ऐसी तमाम कॉल्स हम हर दिन अटेंड कर रहे हैं. तो आइए जानते हैं कि आखिर ऐसी हेल्पलाइन का होना आज कितना जरूरी हो गया है।
बैंड बाजे के साथ घर में आई बहू अगर अचानक दहेज का मुकदमा कर देती है तो पूरा परिवार सकते में आ जाता है. फिर अगर ये मुकदमा पूरी तरह झूठ की बुनियाद पर हो तो हालात और खराब हो जाते हैं. ऐसे में सामाजिक प्रतिष्ठा को चोट तो लगती ही है, कोर्ट कचहरी की एक अंतहीन यात्रा परिवार को बेदम कर देती है. अगर इन हालात पर कोई मर्द टूटकर बिखर जाता है और सिस्टम से लड़ने में अक्षम हो जाता है तो उसे अपने सामने अंधकार ही दिखता है, कई लोग अवसादग्रस्त होकर आत्मघाती कदम भी उठा लेते हैं. इस पूरी प्रोसेस के बीच अब जो वाजिब सवाल उठ रहा है, वो ये कि अगर पुरुष की कोई गलती न हो तो उसे सुनने वाला कौन है?
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पुरुषों को सुनने के लिए न कोई पुरुष आयोग है न सरकार की कोई हेल्पलाइन. लेकिन, आज फर्जी तरीके से महिलाओं के केसेज में फंसे ऐसे ही पुरुषों की आवाज सुनने वाले कई मंच बन गए हैं. इन्हीं में से एक है मेंस हेल्पलाइन यानी पुरुषों की ऐसी हेल्पलाइन जिसकी नींव रखने वालों से लेकर इसे संचालित करने वाले ज्यादातर लोग महिला कानूनों वाले मुकदमों से ही जूझ रहे हैं. इसी हेल्पलाइन का खास अंग सेव इंडियन फैमिली चंडीगढ़ के प्रेसिडेंट रोहित डोगरा से हमने बात की।
रोहित बताते हैं कि साल 2005 से एक पहल ऐसे लोगों द्वारा शुरू की गई जिन पर 498 का फर्जी केस था. इनमें दिल्ली से स्वरूप सरकार, वासिफ अली और चेन्नई से सुरेश राम आदि ने मिलकर अपने जैसे लोगों को जोड़ना शुरू किया था. रोहित आगे कहते हैं कि उस दौर में 498 का कानून बहुत सख्त होता था. तब परिवार में जिसका भी नाम एफआइआर में होता था, मां-बाप, बहन, रिश्तेदार, दोस्त या दूर के दोस्त सबको पुलिस उठा लेती थी. उस वक्त हमने याहू मेल पर आईडी बनाया जिससे लोग जुड़ने लगे. कई लोगों के जुड़ने के बाद साल 2014 में हमने हेल्पलाइन शुरू की।
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अतुल के भाई विकास सुभाष ने बताया कि अतुल की शादी 2019 में हुई थी. दोनों का दो साल का बेटा है. उसकी पत्नी और उसके पूरे परिवार ने उन्हें कई संगीन झूठे मामलों में फंसाया था. इससे अतुल बहुत परेशान रहने लगे थे. डिप्रेशन की वजह से ही उन्होंने अपनी जिंदगी खत्म कर ली. अपने ख़िलाफ़ दायर कई मुकदमों में न्याय का इंतज़ार करते-करते बेंगलुरु के 34 साल के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष इतना टूट गए कि ख़ुदकुशी कर ली. अतुल सुभाष का शव बेंगलुरु के उनके अपार्टमेंट में फंदे से लटका पाया गया. वो वैवाहिक जीवन के व्यक्तिगत तनाव से तो जूझ ही रहे थे, अपने ख़िलाफ़ दायर कई मुकदमों से भी काफ़ी परेशान थे।
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अतुल सुभाष ने ख़ुदकुशी से पहले डेढ़ घंटे के एक वीडियो में अपनी ये पूरी व्यथा रिकॉर्ड की है. साथ ही 24 पन्नों का एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है, जिसमें उन्होंने बारीकी से बताया है कि सालों से वो किस मानसिक तनाव से गुज़र रहे थे. थोड़ा हाथ से लिखा और थोड़ा टाइप किया हुआ अतुल सुभाष का ये सुसाइड नोट बता रहा है कि बीते कुछ साल से वो किस तरह की मन:स्थिति से गुज़र रहे थे. उन्होंने विस्तार से हर उस बात का ज़िक्र किया है, जो उनका दिल तोड़ चुकी थी. उन्हें ज़िंदगी से बेज़ार कर चुकी थी. इस सुसाइड नोट में पुलिस में उनकी पत्नी और उनके रिश्तेदारों द्वारा दायर की गई नौ शिकायतों का ज़िक्र है. बताया जाता है कि पत्नी ने अतुल से 3 करोड़ रुपये का गुजारा भत्ता मांगा था।
सुसाइड नोट की खास बातें
- अतुल सुभाष अपनी पत्नी से काफी समय से अलग रह रहे थे.
- पत्नी ने घरेलू हिंसा, हत्या की कोशिश, अप्राकृतिक यौनाचार के केस उनपर दर्ज कराए थे.
- कोर्ट में चल रहे केस के चलते अतुल का डिप्रेशन लेवल बढ़ गया था.
- सोमवार सुबह अतुल सुभाष की लाश पंखे से लटकती हुई मिली.
- कोर्ट से 120 तारीखें मिलीं, 40 बार अतुल खुद बेंगलुरु से जौनपुर जा चुके थे.
- अतुल के माता-पिता और भाई को भी कोर्ट के चक्कर काटने पड़ रहे थे।
34 साल के अतुल सुभाष बेंगलुरु सिटी में एक प्राइवेट फर्म में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में DGM के पद पर काम कर रहे थे.अतुल ने अपने मैसेज में कहा, “मुझे लगता है कि मेरे लिए मर जाना ही बेहतर होगा, क्योंकि जो पैसे मैं कमा रहा हूं… उससे मैं अपने ही दुश्मन को बलवान बना रहा हूं. मेरा कमाया हुआ पैसा मुझे ही बर्बाद करने में लग रहा है. मेरे ही टैक्स के पैसे से ये अदालत, ये पुलिस और पूरा सिस्टम मुझे और मेरे परिवार और मेरे जैसे और भी लोगों को परेशान करेगा. मैं ही नहीं रहूंगा तो ने तो पैसा होगा और न ही मेरे मां-बाप और भाई को परेशान करने की कोई वजह होगी.”
अतुल सुभाष के माता-पिता का दर्द
34 वर्षीय अतुल सुभाष के माता-पिता ने बताया कि वह बहुत तनाव में था और उसे अदालत की तारीखों के लिए बेंगलुरु और उत्तर प्रदेश के जौनपुर के बीच कम से कम 40 बार यात्रा करनी पड़ी. अतुल की मां ने अपने बेटे की मौत पर कहा, “उन्होंने मेरे बेटे को प्रताड़ित किया, उन्होंने हमें भी प्रताड़ित किया, लेकिन मेरे बेटे ने सब कुछ अपने ऊपर ले लिया. उसने सब कुछ सहा, उसने हमें कष्ट नहीं होने दिया. वह अंदर ही अंदर जलता रहा.” अतुल सुभाष के पिता ने कहा कि अतुल ने उन्हें बताया था कि फैमिली कोर्ट ने कानून का पालन नहीं किया. उसने बेंगलुरु और जौनपुर के बीच कम से कम 40 बार यात्रा की होगी. इतने सारे आरोप, एक मामला खत्म होता था और उसकी पत्नी दूसरे आरोप लगाकर केस कर देती थी. वह निराश था, लेकिन उसने हमें तकलीफ नहीं होने दी।
1 घंटा 20 मिनट का वीडिया संदेश किया जारी
आत्महत्या से पहले का #AtulSubhash का 63 मिनट का ये पूरा वीडियो सुनकर निःशब्द और विचलित हूं।
उफ़ ! #JusticeForAtulSubhash
— Vinod Kapri (@vinodkapri) December 10, 2024
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