देवाल विकासखंड के वाण गांव में स्थित सिद्ध पीठ लाटू देवता मंदिर के कपाट खोल दिए गए हैं. कपाट आगामी 6 महीने तक खुले रहेंगे।
चमोली: भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जो रहस्यों से भरे हुए हैं. इसके अलावा कुछ मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं और मान्यताओं के लिए जाने जाते हैं. आज हम एक ऐसे ही रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां भक्तों को सीधे मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं है. ऐसी ही एक अनोखी परंपरा उत्तराखंड के रहस्यमयी लाटू मंदिर में कई सालों से चली आ रही है. उत्तराखंड के लाटू मंदिर में भगवान के सीधे दर्शन संभव नहीं हैं. यही वजह है कि मंदिर के पुजारी गर्भगृह में प्रवेश करने से पहले भक्तों की आंखों पर पट्टी बांधते हैं. चलिए जानते हैं आखिर इस मंदिर में इतनी अजीब परंपरा क्यों है। कहा जाता हैं कि मां नंदा के भाई माने जाने वाले लाटू देवता के धाम वाण मंदिर में कोई प्रवेश नहीं करता है। पुजारी भी आंख पर पट्टी बांधकर मंदिर में प्रवेश करते हैं।
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दर्शन करने के लिए आंखों पर पट्टी क्यों बांधी जाती है?
ऐसा माना जाता है कि लाटू मंदिर में नागराज अपनी मणि के साथ विराजमान हैं और मणि की तेज रोशनी भक्त को अंधा कर सकती है इसलिए मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने से पहले पुजारी भक्तों की आंखों पर पट्टी बांधता है. साथ ही यह भी कहा जाता है कि पुजारी के मुंह की गंध लाटू देवता तक न पहुंचे इसके लिए पुजारी के मुंह पर भी पूजा-अर्चना के दौरान पट्टी बंधी होती है. लाटू देवता मंदिर के गर्भगह में रखी मूर्ति के दर्शन नहीं किए सकते हैं. सिर्फ पुजारी ही मंदिर के भीतर पूजा-अर्चना के लिए जा सकता है।
केवल एक बार खुलते है कपाट
वही लाटू देवता मंदिर के कपाट साल में केवल एक बार वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि के दिन खुलते हैं. कपाट खुलने में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन के लिए उमड़ती है. मार्गशीर्ष माह की अमावस्या के दिन कपाट बदं कर दिए जाते हैं. आज लाटूधाम वाण मंदिर के कपाट 23 अप्रैल को विधि विधान से श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खाेले जाएंगे। लाटू मंदिर के पुजारी खीम सिंह व मंदिर समिति के संयोजक कृष्णा बिष्ट ने बताया कि 23 अप्रैल को मंदिर में होम यज्ञ व पूजा अर्चना के बाद दोपहर एक बजे मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस मौके पर यहां पर पारंपरिक झोड़ा, झूमेला व भंडारे का आयोजन रखा गया है। उन्होंने सभी भक्तों से पहुंचने की अपील की। कपाटोद्घाटन के लिए सुबह से मंदिर में श्रद्धांलुओं की भीड़ जुटी है। यहां मंदिर में कोई प्रवेश नहीं करता है। पुजारी भी आंख पर पट्टी बांधकर मंदिर में प्रवेश करते हैं। इस मंदिर की ये ख़ास परंपरा है। लाटू को मां नंदा का भाई माना जाता है।
रहस्यमयी मंदिर क्यों कहा जाता है?
आपको बता दे कि इस मंदिर को उत्तराखंड का रहस्यमयी मंदिर कहा जाता है। यह अनोखा मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले के देवाल ब्लॉक के वाना में स्थित है. लाटू मंदिर में लाटू देवता की पूजा की जाती है. पौराणिक कथा के अनुसार, यहां के स्थानीय लोग लाटू देवता को उत्तराखंड की नंदा देवी का धार्मिक भाई मानते हैं और अत्यधिक श्रद्धा के साथ उनकी पूजा करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि यहां मांगी गई हर मनोकामना जरूर पूरी होती है।
लाटू देवता की पौराणिक कथा
लाटू देवता की पौराणिक कथा है कि पौराणिक कथाओं के अनुसार लाटू देवता उत्तराखंड की आराध्य देवी नंदा के भाई हैं. देवी नंदा माता पार्वती का ही स्वरूप हैं. जब देवी पार्वती का भगवान शिव से विवाह हुआ तो उनके विदा करने के लिए लाटू समेत उनके सभी भाई कैलाश पर्वत तक गए. इस बीच लाटू देवता को प्यास और वह पानी के लिए इधर-उधर भटकने पर उन्हें एक कुटिया मिली. कुटिया में एक साथ दो मटके रखे थे, जिनमें से एक में पानी और दूसरे में मदिरा थी. लाटू ने गलती से मदिरा पी ली और उत्पात मचाने लगे. जिससे नाराज होकर नंदा देवी यानि माता पार्वती ने उन्हें श्राप दे दिया और बांधकर कैद करने का आदेश दिया।
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