नई दिल्ली: मंगलवार सुबह 6 बजकर 40 मिनट पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर समेत भारत के कई हिस्सों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। इन झटकों ने लोगों को हैरानी और डर से भर दिया। बिहार के पटना समेत कई जिलों में भी धरती कांपी, जिससे लोग घरों और दफ्तरों से बाहर निकलने पर मजबूर हो गए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.1 मापी गई है। इसका केंद्र नेपाल के लोबुचे क्षेत्र से 84 किलोमीटर उत्तर-उत्तर-पश्चिम में बताया जा रहा है। भूकंप की गहराई लगभग 10 किलोमीटर थी। नेपाल के काठमांडू, धाडिंग, सिंधुपालचौक, कावरे, मकवानपुर और कई अन्य जिलों में भी झटके महसूस किए गए। साथ ही, तिब्बत में भी भूकंप का प्रभाव देखा गया।
भूकंप के कारण लोग घबराहट में अपने घरों और इमारतों से बाहर निकल आए। हालांकि, फिलहाल जान-माल के नुकसान की कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है। स्थानीय प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है और प्रभावित इलाकों में सुरक्षा उपायों को तेज कर दिया गया है।
पृथ्वी सात प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटों से बनी है, जो लगातार अपनी जगह पर घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें आपस में टकराती या घर्षण करती हैं, तो ऊर्जा का उत्सर्जन होता है, जो भूकंप का कारण बनता है। नेपाल और भारत जैसे हिमालयी क्षेत्र इन प्लेटों की गतिविधियों के लिए संवेदनशील माने जाते हैं, जिससे यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं।
हाल के दिनों में भारत समेत अन्य देशों में भूकंप की घटनाओं में काफी वृद्धि देखी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि टेक्टोनिक प्लेटों की बढ़ती गतिविधियों और ग्लोबल वार्मिंग के कारण ये घटनाएं अधिक बार हो रही हैं।
विशेषज्ञों ने लोगों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और आपातकालीन स्थितियों के लिए तैयार रहें। भूकंप के दौरान सुरक्षित स्थान पर शरण लेना, खुले मैदान में जाना और इमारतों से दूर रहना सबसे अच्छा उपाय है।
इस तरह की प्राकृतिक आपदाएं हमें यह याद दिलाती हैं कि प्रकृति की ताकत के सामने मानवता कितनी कमजोर है। सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस दिशा में सतर्कता बढ़ाने और जागरूकता फैलाने की जरूरत है।