गणतंत्र दिवस 2025: भारत 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस साल कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में एक बेहद खास सांस्कृतिक प्रस्तुति देखने को मिली। पहली बार गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में देशभर के अलग-अलग हिस्सों से आए 5 हजार कलाकारों ने एक साथ 45 से अधिक नृत्य शैलियों का प्रदर्शन किया। इसमे 11 मिनट की सांस्कृतिक प्रस्तुति ‘जयति जय मम् भारतम्’ शामिल थी।
5000 कलाकारों ने पूरे कर्तव्यपथ को किया कवर
ऐसा पहली बार था जब इस खास प्रस्तुति ने विजय चौक से लेकर सी-हेक्सागन तक पूरे कर्तव्य पथ को कवर किया। यह कार्यक्रम संस्कृति मंत्रालय द्वारा द्वारा आयोजित किया गया। इसमें भारत की जनजातीय और लोक प्रदर्शन कलाओं को देशभर के सामने रखा। इस प्रस्तुति में देश के कोने-कोने से आए 5000 से ज्यादा लोक और जनजातीय कलाकारों ने युवा शक्ति, नारी शक्ति, कलात्मक विरासत का प्रतिनिधित्व किया।
कर्तव्य पथ पर परेड के दौरान पेश की गई जाएगी झांकी
छऊ नृत्य दल के लीडर सह राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र के पूर्व निदेशक सह संगीत नाटक अकादमी अवॉर्डी छऊ गुरु तपन पटनायक ने बताया कि परेड के दौरान टीम झांकी पेश करेगी. झांकी में सरायकेला-खरसावां की उत्कृष्ट नृत्य शैली के साथ कला, संस्कृति व परंपरा से लेकर क्षेत्र के जल, जंगल, खनिज जैसे प्राकृतिक संसाधनों से अवगत कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि 21 कलाकारों का दल 17 जनवरी को ही दिल्ली पहुंच गया है. झांकी को लेकर दिल्ली के कर्तव्य पथ पर कलाकारों ने रिहर्सल किया।
1992 में दिल्ली के राजपथ पर पेश किया गया था छऊ नृत्य
इससे पूर्व गणतंत्र दिवस पर 1992 में दिल्ली के राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर छऊ नृत्य की झांकी निकाली गयी थी. इसमें सरायकेला के कलाकारों ने तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ आर वेंकट रमण समेत हजारों अतिथियों के सामने छऊ नृत्य की झांकी पेश की थी. छऊ गुरु सुशांत महापात्र ने राष्ट्रीय पक्षी निर्मित मोर (मयूर) के छऊ नृत्य में इस्तेमाल होने वाले मास्क को प्रदर्शित किया था. तब झांकी में 19 छऊ मुखौटों को प्रदर्शित किया गया था. नदी से मिट्टी लाने से लेकर मुखौटा तैयार करने और पहनने की कला झांकी में प्रदर्शित की गयी थी. झांकी में शामिल 18 कलाकारों ने मयूर नृत्य को प्रदर्शित किया था. इसमें सरायकेला के राज पैलेस का बैकग्राउंड लगाया गया था।
आपको बता दें कि झांकी के अगले भाग में उत्तराखंड की प्रसिद्ध ऐपण कला को बनाते हुए एक पारंपरिक वेशभूषा में महिला को दिखाया गया है। यह ऐपण आर्ट आज विश्वभर में प्रसिद्ध है। ऐपण कला उत्तराखंड की सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को दर्शाती है। इस कला को उत्तराखंडी महिलाएं पूजा कक्षों, घरों के प्रवेशद्वारों, फर्श और दीवारों पर बनाती हैं। इसे बनाने के लिए चावल का आटा व गेरू का उपयोग किया जाता है। झांकी के ट्रेलर पार्ट में उत्तराखंड के साहसिक खेलों एवं साहसिक पर्यटन को चित्रित किया गया है। जैसे – नैनीताल और मसूरी में हिल साइकिलिंग, फूलों की घाटी और केदारकांठा की ट्रेकिंग, ओली में स्नो स्कीइंग, ऋषिकेश में योगा, बंजी जंपिंग, जिप-लाइनिंग एवं रॉक क्लाइंबिंग की रोमांचकारी गतिविधियों को दर्शाया गया है।
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