नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इन 17 बच्चों को पुरस्कार देंगी। ये अवार्ड सात कैटेगरी में दिए जाते हैं। जिसमें आर्ट एंड कल्चर, बहादुरी, इनोवेशन, साइंस एंड टेक्नोलॉजी, सोशल वर्क, स्पोर्ट्स एंड एनवॉयरमेंट शामिल है। कार्यक्रम में PM नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे।
कार्यक्रम में 3500 बच्चे शामिल होंगे पीए मोदी इस कार्यक्रम में सुपोषित पंचायत योजना का भी शुभारंभ करेंगे और मार्च पास्ट को हरी झंडी दिखाएंगे। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी उद्घाटन भाषण देंगी। आयोजन में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेताओं और गणमान्य व्यक्तियों सहित लगभग 3,500 बच्चे इस कार्यक्रम में भाग लेंगे।
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प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार क्या है केंद्र सरकार की ओर से साल 1996 में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार की शुरुआत की गई थी। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से अलग-अलग क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धि हासिल करने वाले बच्चों को सम्मानित करने के मकसद से राष्ट्रीय बाल पुरस्कार को शुरू किया गया था। साल 1996 से ही पुरस्कार पाने वाले ये बच्चे कर्तव्यपथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लेते हैं।
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किन बच्चों को मिलता है ये अवार्ड महिला एवं बाल विकास मंत्रालय प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के लिए बच्चों का चयन करती है। ऐसे बच्चे जिनकी उम्र 5 साल से ज्यादा और 18 साल से कम है। जो भारत के नागरिक हैं और देश में ही रहते हैं। उन्हें ये पुरस्कार दिया जा सकता है। साल 2018 में बहादुरी के क्षेत्र में उपलब्धि हासिल करने वाले बच्चों को भी शामिल किया गया।
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7 कैटेगरी में अवार्ड दिया जाता है पहले यह पुरस्कार छह कैटेगरी में दिया जाता है। जिनमें कला और संस्कृति, बहादुरी, नवाचार (इनोवेशन), शैक्षणिक, सामाजिक सेवा और खेल शामिल था। अब इसमें साइंस और टेक्नोलॉजी भी जोड़ा गया है। अवार्ड जीतने पर क्या मिलता है प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के हर विजेता को एक मेडल और एक सर्टिफिकेट दिया जाता है। इसके साथ पुरस्कार विजेताओं को 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार भी मिलता है।
क्यों मनाया जाता है वीर बाल दिवस
वीर बाल दिवस हर साल 26 दिसंबर को मनाया जाता है. यह दिन विशेष रूप से सिख गुरु गोबिंद सिंह जी के दोनों साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहादत को समर्पित है. इन दोनों साहिबजादों ने अत्यंत छोटी उम्र में मुगल साम्राज्य के अत्याचारों का सामना करते हुए अपनी शहादत दी थी।
बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह लगभग 7 और 5 वर्ष के थे, जब उन्हें मुगल सेना ने गिरफ्तार किया था. सन् 1705 में 26 दिसंबर को इन महान सपूतों को धर्म नहीं बदलने पर वजीर खान ने उन्हें जिंदा दीवार में चिनवा दिया था. इस शहादत को नमन करने के लिए वीर बाल दिवस मनाया जाता है।9 जनवरी 2022 को गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को श्री गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहादत की स्मृति में ‘वीर बाल दिवस’ मनाया जाएगा. इस दिवस को सिख समुदाय में बड़े उत्साह से मनाया जाता है. यह दिन न केवल सिख धर्म के अनुयायियों के लिए बल्कि सभी भारतीयों के लिए प्रेरणादायक हैं. साहिबजादों की वीरता और बलिदान को याद करते हुए इस दिन विशेष कार्यक्रम और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
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2023 में 11 बच्चों को अवार्ड दिया गया था
2023 में यह पुरस्कार 11 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 11 बच्चों को दिया गया था। पुरस्कार विजेताओं में बहादुरी और सोशल वर्क की कैटेबरी में एक, इनोवेशन में दो, खेल में तीन और कला व संस्कृति कैटेगरी में चार बच्चे शामिल थे। इन 11 पुरस्कार विजेताओं में से 5 लड़कियां और 6 लड़के थे।
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