Holi 2025: होली का पर्व 13 मार्च को मनाया जाएगाा। जिसमें पूर्णिमा तिथि सुबह 10.35 से प्रारंभ होगी। लेकिन 10.36 पर भद्रा प्रारंभ हो जाएगी, जो रात्रि 11.31 बजे तक रहेगी। जिससे होली पर भद्रा का साया रहेगा। लिहाजा रात्रि 11.32 से 12.37 बजे तक होली पूजन व दहन का शुभ मुहूर्त है। पंडित गोरी शंकर शर्मा ने बताया कि अबकी बार होली पर भद्रा का साया रहेगा, क्योंकि पूर्णिमा के साथ ही 13 मार्च की सुबह 10.36 भद्रा प्राारंभ हो जाएगी, जो रात्रि 11.31 बजे तक रहेगी। इस बीच भद्रा का वास पृथ्वी पर होने के कारण श्रद्धालुओं के लिए होली पूजन व दहन पर विचार करना आवश्यक है।
इसलिए रात्रि 11.32 से होली पूजन-दहन का शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएगा जो देर रात्रि 12.37 बजे तक रहेगा। इस बीच श्रद्धालु होली पूजन व दहन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि आवश्यक स्थिति में भद्रामुख त्याग कर भद्रापुच्छ काल में भी श्रद्धालु होलिका पूजन-दहन कर सकते हैं। भद्रापुच्छ काल रात्रि सात से 8.18 बजे तक रहेगा।
होली पर बढ़ने लगी भीड़, हर रूट पर दौड़ाई जा रही बसें त्योहारी सीजन नजदीक आ गया है। परिवहन निगम ने रीजन की सभी बसों को रूटों पर उतार दिया है। बसों की अपेक्षा यात्रियों की संख्या कम दिखाई पड़ी, लेकिन बस अड्डों पर अव्यवस्था हावी रही। क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय में कंट्रोल रूम क्रियाशील किए जाने के साथ बस अड्डों पर निगरानी के लिए अधिकारी भी तैनात कर दिए गए हैं।
पुराना बस अड्डा पर परिसर से लेकर रोड तक बसों की लाइन लगी रही। बसों में आधी सीटें भी नहीं भरी थीं, लेकिन उन्हें रूटों पर निकाला जा रहा था। डिपो के दोनों गेट पर बसों के अंदर जाने और निकलने के दौरान जाम की स्थिति बन रही थी।
नावेल्टी चौराहा और कालेज चौक पर यातायात पुलिस वाहनों को बस अड्डे की तरफ जाने से रोक रही थी, लेकिन ई-रिक्शा और टेंपो की लाइन लगी दिखी। इसी तरह के हालात सेटेलाइट बस अड्डा भी पर दिखाई दिए। एआरएम बरेली डिपो संजीव कुमार श्रीवास्तव और एआरएम रुहेलखंड अरुण कुमार वाजपेई डिपो पर स्थिति का जायजा लेते रहे।
होली पर लोगों की घर वापसी शुरू हो चुकी है। ट्रेनों में आरक्षित टिकट नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह से यात्रियों की भीड़ ट्रेनों में बढ़ती जा रही है। रीजन में 737 बसों को का विभिन्न रूटों पर संचालन किया जा रहा है। इनमें बरेली डिपो की 215, रुहेलखंड की 227, बदायूं की 183 और पीलीभीत डिपो की 112 बसें शामिल हैं।
इस समय दिल्ली रूट पर सबसे ज्यादा बसें लगाई गई हैं। यात्रियों की सहूलियत के लिए कंट्रोल रूम स्थापित करने के साथ अधिकारियों और कर्मचारियों की आठ से 18 मार्च तक के लिए शिफ्टवार ड्यूटी लगाई गई है।
होली का इतिहास
होली से जुड़ी कई धार्मिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें सबसे लोकप्रिय प्रह्लाद और होलिका की कथा है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को अपने पुत्र प्रह्लाद को जलाने का आदेश दिया था, क्योंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। होलिका को आग में न जलने का वरदान था, लेकिन जब वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठी, तो भगवान विष्णु की कृपा से होलिका जलकर भस्म हो गई और प्रह्लाद सुरक्षित बच गए। इसी घटना की याद में होलिका दहन किया जाता है। इसके अलावा, होली भगवान श्रीकृष्ण और राधा के दिव्य प्रेम का भी प्रतीक है। खासतौर पर मथुरा और वृंदावन में होली का उत्सव बहुत भव्य तरीके से मनाया जाता है।
होली का महत्व
होली न केवल रंगों और उत्सव का त्योहार है, बल्कि यह सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। इस दिन जाति, धर्म और वर्ग की सभी दीवारें टूट जाती हैं और लोग प्यार और खुशी के रंगों में सराबोर हो जाते हैं। होली का पर्व प्रकृति के परिवर्तन को भी दर्शाता है। ठंडी सर्दियों के बाद बसंत ऋतु का आगम होता है, जिससे खेतों में नई फसलें लहलहा उठती हैं। इस समय गेहूं, चना और जौ की कटाई शुरू होती है, जिससे किसानों में भी खास उत्साह रहता है।
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