19.5 C
Uttarakhand
Wednesday, March 26, 2025

आखिर कहां गायब हो गए कौवे! अगर ये विलुप्त हुए तो पूरे इकोसिस्टम पर पड़ेगा गहरा दुष्प्रभाव,पक्षी विशेषज्ञ चिंतित।

क्या आप जानते हैं कि कौवो को सामूहिक रूप से रहना पसंद है। ये बेहद बुद्धिमान और तेज़ स्मरणशक्ति वाले पक्षी होते हैं। कौवे हर प्रकार का भोजन खाते हैं, यानी वे सर्वाहारी होते हैं। हम उनकी आवाज़ को कर्कश मानते आए हैं, लेकिन ये आवाज़ उनके संवाद का हिस्सा है। वे संवाद के लिए विभिन्न ध्वनियों का प्रयोग करते हैं। कौवे जटिल समस्याओं को हल करने में माहिर होते हैं अपने आसपास के खतरों को जल्दी भांप लेते हैं।

मकर संक्रांति 2025: मकर संक्रांति और उत्तरायणी पर्व पर कौवों का नदारद रहना बेहद चिंता का विषय है। दो-चार साल पहले तक गांव-गांव और घर-घर में कौवों का झुंड काफी संख्या में मंडराता था। लेकिन अब अचानक कौवों की प्रजाति विलुप्त सी हो गई है।

मकर संक्रांति पर्व पर अक्सर आसमान में काफी कौवे मंडराते हुए दिखाई देते थे। लेकिन कुछ वर्षों से यह गायब हो गए है। कई गावों में घुघुते खाने के लिए भी कौवे नजर तक नहीं आए। इससे सा़फ प्रतीत होता है कि अब कौवों की प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर है। यह पक्षी विज्ञानियों के लिए एक शोध का विषय भी है साथ की बेहद चिंता की बात भी है।

वही मकर संक्रांति के अगले दिन कुमाऊं में‘काले कौवा काले, घुघुती की माला खा ले’ गाकर बच्चे कौवों को बुलाते हैं लेकिन अब आह्वान के बावजूद यह पक्षी कम ही आता है। ऐसे में पक्षी विशेषज्ञों को चिंता है कि कहीं इनका जीवन खतरे में तो नहीं है। एक दौर था जब इस दिन कौवे पकवान खाने अवश्य आते थे, लेकिन पिछले कुछ सालों से कौवे दिखाई नहीं दे रहे हैं। जंगल कटान, शहरीकरण, कीटनाशकों का उपयोग, बदलती जलवायु और फैलता प्रदूषण इनके कम होने की वजह मानी जा रही है।

यह भी पढ़ें:जानिए अपना 14 जनवरी 2025 का राशिफल, कैसा रहेगा आपका दिन।

पर्वतीय अंचल मे मकर संक्रांति का घुघुतिया त्योहार व कौवे एक दूसरे के पूरक माने जाते रहे हैं, हाल के वर्षों मे कौए इस त्यौहार से नदारद होते जा रहे हैं। हालांकि माना जा रहा था कि बंदरों के आधिख्य से कौए दूर भाग रहे हैं लेकिन कौओं की संख्या मे अनपेक्षित कमी बड़ी चिंता का विषय है, पक्षी विज्ञानियों के लिए यह एक चुनौती है कि एकाएक कौवे क्यों कम होते जा रहे हैं, पर्यावरणीय असंतुलन, जगह जगह कूड़े के ढेरों मे पड़ा खाद्य आदि ऐसे कारण हो सकते हैं जिनके कारण कौए कम होते जा रहे हैं। हिन्दू धर्म के कर्मकाण्डों मे काक एक आवश्यक पक्षी है जिसे बचाया जाना अति आवश्यक है।

यह भी पढ़ें:

कौवो के कम दिखने के कारण

  • जंगलों की कटाई और शहरीकरण से कौओं के प्राकृतिक आवासों का खत्म होना।
  • प्रदूषण और रसायनिक खादों के बढ़ते उपयोग से पक्षियों के स्वास्थ्य पर बुरा असर।
  • मोबाइल टावरों से निकलने वाली तरंगें और जलवायु परिवर्तन भी एक कारण।

संरक्षण के उपाय

  • लोगों को जैव विविधता के महत्व के बारे में शिक्षित करना।
  • कौवों के लिए सुरक्षित आवास उपलब्ध कराना।
  • पर्यावरण अनुकूल खेती को बढ़ावा देना।

यह भी पढ़ें: महाकुंभ 2025: महाकुंभ का हुआ आगाज, महाकुंभ में आज सुबह 9.30 बजे तक साठ लाख श्रद्धालुओ ने किया स्नान।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Manish Negi
Manish Negihttps://chaiprcharcha.in/
Manish Negi एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिनके पास राजनीति, अर्थव्यवस्था और सामाजिक मुद्दों जैसे विषयों पर अच्छा ज्ञान है। वे 2 से ज्यादा वर्षों से विभिन्न समाचार चैनलों और पत्रिकाओं के साथ काम कर रहे हैं। उनकी रूचि हमेशा से ही पत्रकारिता और उनके बारे में जानकारी रखने में रही है वे "चाय पर चर्चा" न्यूज़ पोर्टल में विभिन्न विषयों पर ताज़ा और विश्वसनीय समाचार प्रदान करते हैं"

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

104FansLike
26FollowersFollow
7FollowersFollow
62SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles