यह वही प्रतिष्ठित झील है जिसने कई फिल्मों में अपनी सुंदरता बिखेरी है। पैंगोंग त्सो की खासियत है इसके पानी के रंग का लगातार बदलते रहना - कभी गहरा नीला, कभी फ़िरोज़ी और कभी हरा। यहाँ कैंपिंग और तारों भरी रात का अनुभव ज़रूर करें।
लेह से खारदुंगला दर्रे को पार करने के बाद आप नुब्रा घाटी पहुँचेंगे। यहाँ के रेतीले टीले, दो-कूबड़ वाले ऊंट और हरे-भरे गाँव एक अनोखा विरोधाभास प्रस्तुत करते हैं। दिसकिट मठ और हुंडर गाँव यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं।
लेह से कुछ ही दूरी पर स्थित शांति स्तूप, शांति और एकांत का प्रतीक है। यह एक सफेद गुंबद वाला बौद्ध स्तूप है जिसे जापान के बौद्ध भिक्षुओं ने बनवाया था। यहाँ से लेह शहर और आसपास की घाटियों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है।
लद्दाख का सबसे बड़ा और समृद्ध मठ, हेमिस मठ, अपनी वार्षिक हेमिस महोत्सव के लिए प्रसिद्ध है। यह बौद्ध धर्म और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जहाँ आप प्राचीन थांगका (धार्मिक चित्रकला) और मूर्तियों को देख सकते हैं।
यह एक ऐसा स्थान है जहाँ प्रकृति का एक अद्भुत रहस्य छिपा है। ऐसा माना जाता है कि मैग्नेटिक हिल पर रखी हुई गाड़ी खुद-ब-खुद ऊपर की ओर खींचने लगती है। यह एक ऑप्टिकल इल्यूजन है या प्राकृतिक चुंबकत्व, इसका अनुभव आपको खुद करना होगा!
लेह-मनाली राजमार्ग सिर्फ एक सड़क नहीं, बल्कि एक साहसिक यात्रा का प्रतीक है। यह मार्ग रोहतांग पास, बारालाचा ला और तंगलंग ला जैसे ऊँचे दर्रों से होकर गुजरता है, जो रास्ते भर शानदार नज़ारे पेश करता है।
5,359 मीटर (17,582 फीट) की ऊंचाई पर स्थित खारदुंगला दर्रा, दुनिया के सबसे ऊँचे मोटर योग्य दर्रों में से एक है। यहाँ से नुब्रा घाटी और शिओक घाटी के मनोरम दृश्य दिखाई देते हैं। यह एक ऐसा स्थान है जहाँ पहुँचकर आपको खुद पर गर्व होगा।
लेह से कुछ दूरी पर स्थित गुरुद्वारा पत्थर साहिब, सिख धर्म का एक पवित्र स्थान है। यह गुरु नानक देव जी की यात्रा से जुड़ा है और यहाँ एक बड़ा पत्थर है जिस पर उनके शरीर का निशान माना जाता है। यहाँ एक शांत और आध्यात्मिक वातावरण है।