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Wednesday, November 20, 2024

भारत का मिनी स्विट्ज़रलैंड है कौसानी, जानिए कौसानी का रहस्य, क्यों कहा जाता है मिनी स्विट्ज़रलैंड ?

बागेश्वर: उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में 6075 फुट से ज्यादा की ऊंचाई पर बसा है खूबसूरत हिल स्टेशन कौसानी। दिलकश नज़ारों के चलते ही इस जगह को भारत का स्विट्जरलैंड कहा जाता है। कहीं-कहीं इसे कुमाऊं का स्वर्ग भी कहते हैं। कौसानी पहुंचकर आपको हिमालय की चोटियों का 350 किलोमीटर फैला नज़ारा एक ही जगह से देखने का मौका मिलता है। पहाड़ों से नीचे झांके तो कटौरी घाटी और गोमती नदी मन मोह लेती है। कौसानी पिंगनाथ चोटी पर बसा है। यहीं से नंदा देवी पर्वत की चोटी को करीब से देखा जा सकता है। इन खूबसूरत नजारों से रूबरू होने के लिए ही देश-दुनिया से टूरिस्ट कौसानी खिंचे चले आते हैं। रुद्रधारी फॉल्स, लक्ष्मी आश्रम, गांधी आश्रम और टी एस्टेट यहां के फेवरिट टूरिस्ट पॉइंट्स हैं।

कौसानी का इतिहास

कौसानी में अपने प्रवास के दौरान, महात्मा गांधी ने इस समृद्ध स्थान की प्राकृतिक भव्यता से प्रेरित होकर ‘गीता-अनाशक्ति योग’ पर अपनी यादगार टिप्पणी लिखी थी। महात्मा गांधी इससे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसे “भारत का स्विट्जरलैंड” कहना शुरू कर दिया। जिस गेस्टहाउस में महात्मा गांधी रुके थे उसे अब अनाशक्ति आश्रम के नाम से जाना जाता है।

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कौसानी क्यों जाएँ?

कौसानी हनीमून मनाने वालों के लिए एक आदर्श स्थान है और यह दिल्ली से सप्ताहांत गंतव्य के रूप में भी काम करता है। कौसानी दुनिया भर से साहसिक और प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करता रहा है। कौसानी उन लोगों के लिए आदर्श स्थान है जो बड़े शहरों की हलचल से मुक्ति चाहते हैं और प्रकृति की गोद में एक शांत छुट्टी बिताना चाहते हैं। कौसानी उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के बागेश्वर जिले में अल्मोडा से 47 किलोमीटर उत्तर में स्थित है।

कैसे पहुंचे कौसानी

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  • – दिल्ली से कौसानी सड़क मार्ग से जुड़ा है और इसकी दूरी करीब 410 किलोमीटर है।
  • – दिल्ली से कौसानी पहुंचने में करीब 9-10 घंटे का वक्त लगता है।
  • – नैनीताल कौसानी 120 किलोमीटर दूर है, जबकि अल्मोड़ा से इसकी दूरी सिर्फ 50 किलोमीटर है।
  • – कौसानी का नजदीकी एयरपोर्ट पंत नगर है। हालांकि एयरपोर्ट भी करीब 180 किलोमीटर दूर है।
  • – नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जहां से अल्मोड़ा होकर कौसानी की दूरी 140 किलोमीटर के आसपास है।
  • – मार्च से जून के बीच कौसानी घूमने-फिरने का बेस्ट सीजन है। फिर सितंबर से नवंबर का समय भी अच्छा है।

 

कौसानी का मौसम-यात्रा का सबसे अच्छा समय

कौसानी की जलवायु स्वास्थ्यप्रद है और यह स्वच्छ वातावरण प्रदान करती है। कौसानी की यात्रा वर्ष के किसी भी समय की जा सकती है। अगर आप उत्तराखंड की हरियाली देखना चाहते हैं तो जुलाई से मध्य सितंबर तक कौसानी जाएं। कौसानी दिसंबर से मध्य फरवरी तक बर्फ की चादर से ढका रहता है।

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  1.  गर्मियों में कौसानी: (अप्रैल, मई, जून, जुलाई) अधिकतम तापमान 26C, न्यूनतम तापमान 10C
  2.  सर्दियों में कौसानी: (नवंबर, दिसंबर, जनवरी, फरवरी) अधिकतम तापमान 15C, न्यूनतम तापमान 2C
  3.  कौसानी में बर्फबारी: जनवरी, फरवरी
  4.  कौसानी में वर्षा (मानसून): जुलाई, अगस्त, सितंबर

जाने माने चाय के बागान

कौसानी और आसपास के क्षेत्र में चाय के बागान भी ऐसी हरियाली का आनन्द देते हैं, मानो ईश्वर ने हरा कालीन बिछा दिया हो। चाय बागानों में घूमने के साथ-साथ फैक्ट्रियों में चाय को तैयार होते देख सकते हैं।

चाय के बागान।

 

रुद्रधारी फॉल्स: शिव और विष्णु का था वास

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सीढ़ीदार पहाड़ी धान के खेतों और हरे-भरे ऊंचे-ऊंचे देवदार के घने जंगलों के बीचों बीच रुद्रधारी फॉल्स कमाल की खूबसूरती संजोए है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक यह आदि कैलाश है। यहीं भगवान शिव और विष्णु का वास था। यहां आने-जाने का रास्ता कठिन नहीं है। कौसानी के पास 12 किलोमीटर ट्रेकिंग करते-करते भी यहां पहुंच सकते हैं। ठंडे पानी का झरना काफी ऊंचाई से गिरता है। झरने के साथ प्राचीन गुफा और सोमेश्वर मन्दिर भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है।

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कौसानी में कहाँ ठहरें

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कौसानी में बढ़ते पर्यटन के साथ, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों पर्यटकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए यहां कई होटल उपलब्ध हैं। गांधी आश्रम के पास शहर में अच्छे लक्ज़री होटल हैं, जो आकर्षक दृश्यों और आराम से धन्य हैं, और यदि आप उन होटलों और लॉज की तलाश कर रहे हैं जो आपके बजट में निचोड़ सकते हैं, तो मुख्य शहर क्षेत्र के पास निवास करें। कौसानी में रिसॉर्ट भी तेजी से बढ़ रहे हैं, और वे परिवारों के दौरे और हनीमून जोड़े के लिए बहुत अच्छे हैं।

 

 

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Manish Negi
Manish Negihttps://chaiprcharcha.in/
Manish Negi एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिनके पास राजनीति, अर्थव्यवस्था और सामाजिक मुद्दों जैसे विषयों पर अच्छा ज्ञान है। वे 2 से ज्यादा वर्षों से विभिन्न समाचार चैनलों और पत्रिकाओं के साथ काम कर रहे हैं। उनकी रूचि हमेशा से ही पत्रकारिता और उनके बारे में जानकारी रखने में रही है वे "चाय पर चर्चा" न्यूज़ पोर्टल में विभिन्न विषयों पर ताज़ा और विश्वसनीय समाचार प्रदान करते हैं"

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