कैलाश मानसरोवर यात्रा का आयोजन :
विदेश मंत्रालय इस कैलाश यात्रा का आयोजन प्रत्येक वर्ष जून से सितंबर के दौरान दो अलग-अलग मार्गों लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड), और नाथू ला दर्रा (सिक्किम) के माध्यम से करता है। हर साल लगभग 900 भारतीय श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर यात्रा (KMY) करते हैं। यह अपने धार्मिक मूल्य और सांस्कृतिक महत्व के लिए जानी जाती है।
यात्रा की रूपरेखा
यह हर साल सैकड़ों लोगों द्वारा चलाया जाता है। भगवान शिव के निवास के रूप में हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण होने के नाते, यह जैन और बौद्धों के लिए भी धार्मिक महत्व रखता है।कैलाश मानसरोवर यात्रा (KMY) वैध भारतीय नागरिकों के लिए खुला है, जो वैध भारतीय पासपोर्ट रखते हैं, जो धार्मिक उद्देश्यों के लिए कैलाश-मानसरोवर की ओर बढ़ना चाहते हैं। विदेश मंत्रालय यात्रियों को कोई सब्सिडी या वित्तीय सहायता प्रदान नहीं करता है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा (KMY) इस साल 30 जून से फिर से शुरू होने जा रही है। पिथौरागढ़ जिले के लिपुलेख दर्रे से होते हुए जाने वाली यह यात्रा सुरक्षा, स्वास्थ्य व मौसम के लिहाज से बेहद संवेदनशील मानी जाती है।
यही कारण भी है कि जिला प्रशासन ने सेना, ITBP, BRO व स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर सभी तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। जिला अधिकारी विनोद गोस्वामी ने कहा कि इस बार यात्रियों को गूंजी में दो दिन रुकना है , ताकि उच्च हिमालयी मौसम के अनुरूप खुद को ढाल सकें। स्वास्थ्य सुरक्षा की पूर्ण तैयारी व बंदोबस्त किया गया है।
यात्रा का मार्ग और पड़ाव
यात्रा का पहला दल 30 जून को नई दिल्ली से रवाना होगा। पहले दिन टनकपुर में यात्री विश्राम होगा, फिर धारचूला होते हुए दल गूंजी पहुचेगा। गूंजी में ही यात्रियों को आदि कैलाश और ॐ पर्वत के दर्शन कराए जाएंगे। कैलाश मानसरोवर यात्रा (KMY) 2020 के बाद कोविड-19 और चीन के साथ कुछ मामलों में मतभेद के चलते इसे रोकना पड़ा था। लेकिन 5 साल बाद राज्य व केंद्र सरकार के सहयोग व प्रयास से पुनः यात्रा प्रारंभ हो सकी है। एन. डी .आर. एफ की एक टीम भी बाकी सैन्य टुकड़ियों के साथ गूंजी में रहेगी।
यात्रा शुरू होने से सीमांत क्षेत्र में अर्थिकी फिर से दौड़ेगी। वहाँ के स्थानीय लोगों का कहना है कि इस यात्रा से उन्हे रोजगार प्राप्त होगा तथा इसके साथ वह यात्रियों को अपनी संस्कृति व परंपराओं से अवगत कराना चाहते हैं। इसके लिए वे लोग भी तैयारी में जुट गए हैं।
1. ऐतिहासिक और धार्मिक पृष्ठभूमि :-
- कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। यह स्थान शिव और पार्वती के दिव्य निवास के रूप में वर्णित है। यह चारधामों के बराबर ही अत्यंत पूज्यनीय है।
- बौद्ध धर्म में इसे “मेरु पर्वत” के रूप में जाना जाता है जो ब्रह्मांड का केंद्र माना गया है। गौतम बुद्ध ने यहां ध्यान लगाया था, ऐसा विश्वास किया जाता है।
- जैन धर्म में इसे वह स्थान माना जाता है जहां पहले तीर्थंकर “ऋषभदेव” को “मोक्ष” की प्राप्ति हुई थी।
- बोन धर्म में यह प्राचीन तिब्बती धर्म (बोन) का पवित्र स्थान है। वे इसे “सिपुर्ग” मानते हैं, जहां आध्यात्मिक शक्तियाँ वास करती हैं।
2.भौगोलिक दृष्टि से कैलाश मानसरोवर यात्रा :-
तिब्बत (चीन के स्वायत्त क्षेत्र) :- कैलाश पर्वत की ऊँचाई लगभग 6,638 मीटर (21,778 फीट), मानसरोवर झील की ऊँचाई लगभग 4,590 मीटर (15,060 फीट), मानसरोवर झील पवित्र मानी जाती है, जिसमें स्नान करने से पापों का नाश होता है।
कौन कर सकता है कैलाश मानसरोवर यात्रा?
- तीर्थयात्री भारतीय नागरिक होना चाहिए।
- उसके पास चालू वर्ष के 01 सितंबर को कम से कम 6 महीने की शेष वैधता अवधि वाला भारतीय पासपोर्ट होना चाहिए।
- उसकी आयु चालू वर्ष की 01 जनवरी को कम से कम 18 और अधिक से अधिक 70 वर्ष होनी चाहिए।
- उसका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25 या उससे कम होना चाहिए।
- धार्मिक प्रयोजनार्थ यात्रा करने के लिए उसे शारीरिक रूप से स्वस्थ और चिकित्सा की दृष्टि से उपयुक्त होना चाहिए।
- विदेशी नागरिक आवेदन करने के पात्र नहीं हैं; अतः ओसीआई कार्डधारी पात्र नहीं हैं।
आवेदन कहाँ करें?
मंत्रालय द्वारा कुछ अन्य दिशा निर्देश भी दिए गए हैं जिसे आधिकारिक वेबसाईट पर देखा जा सकता है तथा Ministry of External Affairs की आधिकारिक वेबसाइट: kmy.gov.in पर आवेदन कर सकते हैं।
आवश्यक दस्तावेज़:
1. पासपोर्ट
2. मेडिकल फिटनेस रिपोर्ट
3. आधार कार्ड/आईडी प्रूफ
कैलाश मानसरोवर यात्रा का अनुमानित खर्च
यात्रा का खर्च लगभग ₹1.5 लाख से ₹2 लाख तक होता है जो मार्ग के आधार पर निर्भर करता है।
कुछ अन्य बातें : सुविधाएं और तैयारी
- यात्रियों को यात्रा से पूर्व तैयारियों और चिकित्सा जाँच के लिए दिल्ली में 3 या 4 दिन तक रूकना चाहिए।
- दिल्ली सरकार केवल यात्रियों के लिए साझा तौर पर खान-पान और ठहरने की सुविधाओं का निःशुल्क प्रबंध करती है।यात्री यदि चाहे तो दिल्ली में खान-पान और ठहरने की अपनी व्यवस्था कर सकते हैं।
- आवेदक ऑनलाइन पंजीकरण करने के पूर्व अपनी सेहत और तंदुरुस्ती की स्थिति सुनिश्चित करने के लिए कुछ बुनियादी जांच कर सकते हैं। तथापि, यह जाँच यात्रा से पहले दिल्ली में डीएचएलआई और आईटीबीपी द्वारा की जाने वाली चिकित्सा जाँचों के लिए वैध नहीं होगी।
- यह यात्रा उत्तराखंड, दिल्ली और सिक्किम राज्य की सरकारों और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के सहयोग से आयोजित की जाती है।
- कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) और सिक्किम पर्यटन विकास निगम (एसटीडीसी) तथा उनके संबद्ध संगठन भारत में यात्रियों के हर जत्थे के लिए सम्भारगत सहायता और सुविधाएं मुहैया कराते हैं।
- दिल्ली हार्ट एवं लंग इंस्टीट्यूट (डीएचएलआई) इस यात्रा के लिए आवेदकों के स्वास्थ्य स्तरों के निर्धारण के लिए चिकित्सा जाँच करता है।
परामर्श : सावधानियां और चेतावनी
कैलाश मानसरोवर यात्रा (KMY) यात्रा में प्रतिकूल हालात, अत्यंत खराब मौसम में ऊबड़-खाबड़ भू-भाग से होते हुए 19,500 फुट तक की चढ़ाई चढ़नी होती है और यह उन लोगों के लिए जोखिम भरा हो सकता है जो शारीरिक और चिकित्सा की दृष्टि से तंदुरुस्त नहीं हैं।
यात्रा कार्यक्रम अनंतिम है और उसमें शामिल स्थानों की यात्रा किसी भी समय स्थानीय हालात के अध्यधीन है। भारत सरकार किसी भी प्राकृतिक आपदा के कारण अथवा किसी भी अन्य कारण से किसी यात्री की मृत्यु अथवा उसके जख्मी होने अथवा उसकी संपत्ति के खोने अथवा क्षतिग्रस्त होने के लिए किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं होगी।
तीर्थयात्री यह यात्रा पूरी तरह से अपनी इच्छा शक्ति के बल पर तथा खर्च, जोखिम और परिणामों से अवगत होकर करते हैं। किसी तीर्थयात्री की सीमा पार मृत्यु हो जाने पर सरकार की उसके पार्थिव शरीर को दाह-संस्कार के लिए भारत लाने की किसी तरह की बाध्यता नहीं होगी।
अतः मृत्यु के मामले में चीन में पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार के लिए सभी तीर्थ यात्रियों को एक सहमति प्रपत्र पर हस्ताक्षर करना होता है।
नोट: यात्रा से पहले हर यात्री को खुद की सेहत का मूल्यांकन जरूर करवा लेना चाहिए और मानसिक रूप से भी इस कठिन यात्रा के लिए तैयार रहना चाहिए।
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