“मैं कुंजी कहता हिंदी को खुलता जिससे सामूहिक मन, क्षेत्रवृति से उठकर ही हम कर सकते जन राष्ट्र संगठन “-सुमित्रानंदन पंत
प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को ‘हिंदी दिवस’ मनाया जाता है, यह दिन हमारी गौरवशाली मातृभाषा हिंदी के महत्व को बताता है। वैसे तो हिंदी को खुद मां का दर्जा प्राप्त है जो किसी दिवस की मोहताज नहीं है, वह हर भारतीय के भीतर खुद ही विद्यमान है। हिंदी दिवस को मनाने का उद्देश्य हमारी मातृभाषा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना है और हिंदी के प्रति हमारे क्या-क्या कर्तव्य हैं उन्हें याद दिलाना है।
हिंदी राजभाषा या राष्ट्रभाषा
राजभाषा
14 सितंबर 1949 को भारतीय संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। इसी कारण 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।
राजभाषा से तात्पर्य है- संविधान द्वारा सरकारी कामकाज,प्रशासन, संसद और विधान मंडलों तथा न्यायिक कार्यकलापों के लिए स्वीकृत भाषा ।
राष्ट्रभाषा
हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त नहीं है परंतु हम बड़े गर्व के साथ यह कह सकते हैं की हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है।
राष्ट्रभाषा से तात्पर्य – किसी देश की उस भाषा से है, जिसे वहां के अधिकांश लोग बोलते हैं तथा जिसके साथ उनका सांस्कृतिक और भावात्मक जुड़ाव होता है।
वह भाषा उसे देश के अधिकांश व्यक्तियों द्वारा बोली जा सकती हो। वह भाषा पूरे देश में संपर्क सूत्र स्थापित करने में सक्षम हो। वह भाषा राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत को धारण करने में सक्षम हो। उस भाषा में साहित्य की रचना व्यापक तौर पर हुई हो तथा साहित्य देश के विभिन्न क्षेत्रों में रचा गया हो। यह सभी हिंदी में पूर्ण रूप से विद्यमान हैं इसलिए हम गर्व से यह कह सकते हैं कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने हिंदी या हिंदुस्तानी को राष्ट्रीय एकता की आवश्यक शर्त माना – “यदि हम लोगों ने तन मन धन से प्रयत्न किया तो वह दिन दूर नहीं है जब भारत स्वाधीन होगा और उसकी राष्ट्रभाषा होगी -हिंदी।”
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हिंदी के सम्बन्ध मे महत्वपूर्ण कथन
1- “हिंदी को हम राष्ट्रभाषा मानते हैं”- महात्मा गांधी
2- “अगर स्वराज अंग्रेजी बोलने वाले भारतीयों का और उन्हीं के लिए होने वाला हो तो निसंदेह अंग्रेजी ही राष्ट्रभाषा होगी, लेकिन अगर स्वराज करोड़ भूखे मरने वालों, निरक्षरों,दलित,और अंत्यजों का हो और उन सबके लिए होने वाला हो तो हिंदी ही एकमात्र राष्ट्रभाषा हो सकती है”।- महात्मा गांधी
3- “हिंदी अखिल भारत की जातीय भाषा या राष्ट्रभाषा बनने योग्य है”- केशव चंद्र सेन
4- “भारत के सभी स्कूलों में हिंदी की शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए” – एनी बेसेंट
5- “भारत को एक सूत्र में बांधने के लिए हिंदी को ही राष्ट्रभाषा होना चाहिए” – जवाहरलाल नेहरू
6- “हिंदी को ऊंची से ऊंची शिक्षा का माध्यम होना चाहिए” -डॉक्टर भीमराव अंबेडकर
वर्तमान समय मे हिंदी कि स्थिति
वर्तमान समय मे हिन्दी दुनिया की तीसरी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है,परन्तु इसके बावजूद आपको अपने ही देश मे हिंदी की उपेक्षा हर जगह देखने को मिल जाएगी,खासकर शहरी क्षेत्रों में। आजकल हिंदी बोलता हुआ व्यक्ति हीन दृष्टि से देखा जाता है और अंग्रेजी बोलते हुए व्यक्ति को शिक्षित समझा जाता है और बड़े सम्मान से देखा जाता है। अंग्रेजी बोलना कोई गलत नहीं है परन्तु हिंदी की उपेक्षा करना गलत है।
बचपन मे जिस भाषा मे आप बात करते थे, जिस भाषा में आपने अपनी सब हठ मनवाई थी बड़े होते होते उस भाषा की उपेक्षा करना कहाँ तक सही है आप खुद सोचिए। ऐसे बहुत से लोग है जो बहुत अच्छी अंग्रेजी जानते है,परन्तु हिंदी के गौरव के लिए हमेशा हिंदी मे बात और काम काज करते हैं। भाषा तो सब जरुरी है अंग्रेजी व्यापार की भाषा है परन्तु हिंदी प्यार और व्यवहार की भाषा है।
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हिंदी दिवस ऐसे मनाएँ
हिंदी दिवस को हमें ऐसे मनाना चाहिए जिससे हमें याद रहे कि हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं है,ये हमारा गौरव है,प्रतिष्ठा है, हमारा सम्मान और हमारे राष्ट्र की पहचान है। हमें हिंदी बोलने वाले लोगों को सम्मान से देखना चाहिए क्योंकि ये वही लोग हैं जो हमारी मातृभाषा को उसका उचित गौरव प्रदान कर रहे है। उन्ही से हिंदी की अस्मिता बनी हुई है। और इस हिंदी दिवस को शपथ लें कि जहाँ अंग्रेजी की जरूरत ना हो चाहे बैंक हो,कर्यालय हो या कहीं भी हिंदी में ही अपने सारे कार्य करेंगे।
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की यह कविता अवश्य पढ़े –
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।
अंग्रेज़ी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन। पै निज भाषाज्ञान बिन, रहत हीन के हीन ।।
उन्नति पूरी है तबहिं जब घर उन्नति होय। निज शरीर उन्नति किये, रहत मूढ़ सब कोय।।
निज भाषा उन्नति बिना, कबहुँ न ह्यैहैं सोय। लाख उपाय अनेक यों भले करो किन कोय ।।
इक भाषा इक जीव इक मति सब घर के लोग। तबै बनत है सबन सों, मिटत मूढ़ता सोग ।।
और एक अति लाभ यह, या में प्रगट लखात। निज भाषा में कीजिए, जो विद्या की बात ।।
तेहि सुनि पावै लाभ सब, बात सुनै जो कोय। यह गुन भाषा और महं, कबहूँ नाहीं होय ।।
विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार। सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार ।।
भारत में सब भिन्न अति, ताहीं सों उत्पात। विविध देस मतहू विविध, भाषा विविध लखात ।।
सब मिल तासों छाँड़ि कै, दूजे और उपाय। उन्नति भाषा की करहु, अहो भातगन आय ।।
पुनः एक बार आप सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ एवं बधाई।
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