परिचय:-
तवांग Tawang, भारत के सबसे उत्तर-पूर्वी छोर पर स्थित अरुणाचल प्रदेश का एक खूबसूरत शहर है जो अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमोत्तर भाग में स्थित है। यह समुद्र तल से 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस जिले का क्षेत्रफल लगभग 2,172 वर्ग किलोमीटर है। तवांग Tawang की उत्तर-पूर्व दिशा में तिब्बत, दक्षिण-पश्चिम में भूटान और दक्षिण-पूर्व में पश्चिम कमेंग ज़िला स्थित है। तवांग अपनी प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह शहर भारत-चीन सीमा के पास स्थित है और हिमालय की तलहटी में बसा है। तवांग अपनी बौद्ध मठों, प्राचीन मंदिरों और झीलों के लिए प्रसिद्ध है।
इतिहास:-
ऐसा माना जाता है कि तवांग का नाम तवांग Tawang टाउनशिप के पश्चिमी भाग के साथ चलने वाली पहाड़ी के किनारे पर स्थित ग्रैंडियोस तवांग मठ से लिया गया है। ता का अर्थ है घोड़ा और वांग का अर्थ है चुना हुआ। ऐसा माना जाता है कि वर्तमान मठ का स्थान मेरा लामा लोद्रे ग्यात्सो के घोड़े द्वारा चुना गया था, जो मठ स्थापित करने के लिए उचित स्थान की तलाश में था, परन्तु उन्हें कोई उचित स्थान नहीं मिल रहा था| अंततः उन्होंने मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना करने का फैसला किया। प्रार्थना के बाद जब उनकी आखे खुली तो उन्होंने पाया की उनका घोडा वहा पर उपस्थित नहीं था| वह अपने घोड़े की तलाश में निकले तो उन्होंने अपने घोड़े को ताना मांडेखांग नामक पहाड़ी की चोटी पर पाया, इस स्थान पर कभी राजा काला वांगपो का महल हुआ करता था। इसे एक शुभ शगुन मानते हुए, मेरा लामा लोद्रे ग्यात्सो ने इस स्थान पर स्थानीय लोगों की मदद से मठ का निर्माण किया जो की पूर्ण 1681 के अंत में हुआ|
तवांग Tawang के प्रमुख पर्यटन स्थल:-
तवांग मठ Tawang Monastery:-
तवांग मठ (Tawang Monastery) समुद्र तल से लगभग 3,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मठ हैं, भारत का सबसे बड़ा बौद्ध मठ है। और इसे गोल्डन नामग्याल ल्हासे के नाम से भी जाना जाता हैं। मठ के इतिहास से पता चलता हैं कि यह 400 साल पुराना है और इसे एक बड़ी हवेली के रूप में निर्मित किया गया था जोकि 300 से भी अधिक भिक्षुओं के लिए आश्रय स्थल के रूप में जाना जाता हैं। यहां भिक्षुओं का जीवन देखने, प्राचीन कलाकृतियों का अवलोकन करने और शांतिपूर्ण वातावरण का आनंद लेने का अवसर मिलता है।
गोरीचेन पीक Gorichen Peak:-
गोरीचेन पीक अरुणाचल प्रदेश राज्य की सबसे ऊंची चोटी है। यह अरुणाचल प्रदेश के तवांग और पश्चिम कामेंग जिले के बीच में स्थित हैं और समुद्र तल से 21,300 फीट से अधिक की ऊंचाई पर है। इतनी ऊंची होने के कारण, गोरीचेन साल भर बर्फ से ढका रहता है स्थानीय रूप से इस चोटी को त्सा-नगा-फू के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है देवता का साम्राज्य। इस चोटी का एक बेहतर नजारा बोमडिला और तवांग के बीच सड़क पर देखा जा सकता है। स्थानीय रूप से, लोग अक्सर इसे विशाल सफेद हाथी के रूप में इसे उल्लेखित करते हैं क्योंकि यह चोटी साल भर बर्फ की चादर ओढ़े रहता है| ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए यह एक स्वर्ग है, जहाँ से हिमालय के मनोरम दृश्य देखने को मिलते हैं|
पी टी त्सो झील P.T Tso Lake:-
यह एक शांत और सुरम्य झील है, जो तवांग शहर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। पर्यटन के लिहाज से यह बेहद ही आकर्षित स्थान हैं यह झील अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। पी टी त्सो झील के आसपास का खूबसूरत व शांत वातावरण पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
नूरानांग वॉटरफॉल Nuranang Falls:-
यह एक बहुस्तरीय झरना है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। नूरानांग के बारे में जानने योग्य बात यह है कि इसे एक स्थानीय महिला ‘नूरा’ के नाम से जाना जाता है। ऐसा बताया जाता है कि 1962 में भारत-चीन युद्ध के वक्त नूरा नामक इस महिला ने भारतीय फ़ौज की खूब मदद की थी। तवांग के खूबसूरत जंगल में स्थित यह वॉटरफॉल देश के सबसे अच्छे झरनों में गिना जाता हैं यह वॉटरफॉल नूरनांग नदी का एक अहम हिस्सा है जोकि सेला दर्रे से निकलता है। शांत वातावरण और हरियाली से घिरा यह वॉटरफॉल पिकनिक और ट्रेकिंग के लिए एक आदर्श स्थान है।
तवांग युद्ध स्मारक Tawang War Memorial:-
1962 के भारत-चीन युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में बना यह स्मारक, वीरता और बलिदान को श्रद्धांजलि देता है। तवांग वॉर मेमोरियल (युद्ध स्मारक) की संरचना 40 फीट ऊँची हैं यहाँ से नवांग-चू घाटी दृश्य देखने लायक होता हैं। इस स्मारक पर आप लगभग 2420 शहीदों के अंकित नाम देख सकते हैं।
सेला दर्रा Sela Pass:-
समुद्र तल से 4170 मीटर की ऊँचाई पर स्थित सेला दर्रा और सेला झील को अरुणाचल प्रदेश के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है। सेला पास को अरुणांचल प्रदेश के लोगो की जीवन रेखा भी माना जाता हैं इसका मुख्य कारण यह है कि यह दर्रा भारतीय बौद्ध शहर तवांग को दिरांग और गुवाहाटी से जोड़ता है| यह भारत का सबसे ऊँचा मोटर योग्य दर्रा है और रोमांचकारी सड़क यात्रा का अनुभव प्रदान करता है। यह दर्रा राष्ट्रीय राजमार्ग 13 (पहले NH 229) को ले जाता है, जो तवांग को शेष भारत से जोड़ता है। भारत के पूर्वोत्तर में यह प्रकृति के आकर्षण का सुन्दर नमूना है। यह क्षेत्र आमतौर से वर्ष भर बर्फ से ढका होता है। इस दर्रे के शिखर के नजदीक स्थित सेला झील इस क्षेत्र में स्थित लगभग 101 पवित्र तिब्बती बौद्ध धर्म के झीलों में से एक है।
जसवंत गढ़ Jaswant Garh:-
तवांग का मशहूर जसवंत गढ़ सन 1962 में हुए भारत चीन युद्ध में मारे गए वीर शहीद जसवंत सिंह की याद में बनाया गया है। यह समाधी स्थल सेला दर्रे से लगभग 21 की दूरी पर तवांग की ओर स्थित हैं।
माधुरी झील Madhuri Lake:-
अगर आप तवांग की यात्रा पर हों तो संगतेसर झील देखने ज़रूर जाएँ। इस झील की ऊंचाई समुद्र तल से 12,000 फीट हैं तवांग से लगभग 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस झील को माधुरी झील भी कहा जाता है। यह झील प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है इस झील को माधुरी झील बोलने का कारण यह है कि बॉलीवुड फिल्म कोयला में फिल्माया गया माधुरी दीक्षित के गाने को इस झील में शूट किया था और तभी से यह झील लोगो के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हो गई हैं। और उन्ही के नाम पर इस झील का नाम माधुरी झील पड़ा हैं।
तवांग Tawang में मनाए जाने वाला प्रमुख त्यौहार:-
तवांग पर्यटन स्थल में लोसर का तिब्बती बौद्ध त्योहार प्रतिवर्ष फरवरी-मार्च के महीने में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता हैं।
स्थानीय संस्कृति:-
तवांग की संस्कृति बौद्ध धर्म से जुड़ी हुई है। यहां के लोग मुख्य रूप से मोनपा और मोमी जनजातियों के होते हैं। इन जनजातियों की अपनी भाषा, पोशाक और रीति-रिवाज हैं।
तवांग Tawang जाने का सही समय:-
तवांग जाने के लिए सबसे अच्छा समय मार्च से सितंबर माह के दौरान का माना जाता हैं। तवांग पर्यटन ग्रीष्मकाल और मानसून के दौरान घूमने के लिए अच्छा माना जाता हैं।
यह भी पढ़े:-प्रकृति प्रेमियों का स्वर्ग: हर्षिल घाटी Harsil Valley, उत्तराखंड Uttarakhand
कैसे पहुंचें:-
हवाई मार्ग द्वारा:-
तवांग Tawang पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा असम के तेजपुर में सलोनीबारी हवाई अड्डा है, जो तवांग से 317 किमी की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से आप बस या टैक्सी का चुनाव कर सकते हैं।
रेल मार्ग द्वारा:-
तवांग Tawang का अपना कोई रेलवे स्टेशन नही हैं और इसका सबसे नजदीकी रेल्वे स्टेशन तेजपुर हैं। यात्री स्टेशन से बस या कैब के माध्यम से तवांग पर्यटन स्थल तक आसानी से पहुँच जायेंगे।
सड़क मार्ग द्वारा:-
तवांग Tawang सड़क मार्ग के माध्यम से अपने आसपास के सभी शहरो से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं और यात्रा के लिए बसे नियमित रूप से चलती हैं। तेजपुर (असम) और बोमडिला से पर्यटकों सीधी बसे मिल जाएगी।
कुछ अतिरिक्त जानकारी:-
- तवांग बाजार: यह स्थानीय हस्तशिल्प, स्मृति चिन्ह और स्वादिष्ट भोजन के लिए प्रसिद्ध बाजार है।
- तवांग मठ का उत्सव: यह वार्षिक त्यौहार, बौद्ध धर्म और संस्कृति का उत्सव है, जिसमें नृत्य, संगीत और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।
- मोनपा जनजाति गांव: यह गांव, मोनपा जनजाति के लोगों के जीवन और रीति-रिवाजों को करीब से जानने का अवसर प्रदान करता है।
- तवांग में जाने के लिए आपको Inner Line Permit (ILP) की आवश्यकता होगी। आप इसे ऑनलाइन या तवांग पहुंचने पर प्राप्त कर सकते हैं।