चंद्रताल झील का नाम संस्कृत शब्द “चंद्र” (चाँद) और “ताल” (झील) से लिया गया है, जिसका अर्थ है “चाँद की झील”। और इस झील का आकार अर्धचंद्राकार है, इन्ही कुछ वजह से इसे चंद्रताल नाम प्राप्त हुआ है। चंद्रताल हिमालय पर लगभग 4,300 मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक प्राकृतिक झील है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में, लाहौल व स्पीति घाटियों की सीमा पर कुंजम पास से 9 किमी की दूरी पर स्थित यह खूबसूरत झील भारत के दो सबसे अधिक ऊंचाई वाले आर्द्रभूमियों में से एक है। हरे-भरे घास के मैदानों से घिरी हुई चंद्रताल झील का शांत वातावरण और बेजोड़ प्राकृतिक सुन्दरता कुछ ऐसी है जिसे एक बार देख लें तो नजर हटने का नाम नही लेती है। चंद्र ताल से चंद्र नदी का उद्गम होता है जो आगे चलकर भागा नदी से मिलकर चंद्रभागा और जम्मू-कश्मीर में जाकर चेनाब कहलाने लगती है। चंद्रताल 2.5 किमी चौड़ी मीठे पानी की झील है जो दुनिया भर से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यह झील विशाल घास के मैदानो से घिरी हुई है जो कभी ग्लेशियर हुआ करते थे। यह तिब्बत और लद्दाख के व्यापारियों के लिए एक लोकप्रिय व्यापारिक स्थल भी था। जो कि लाहौल स्पिति घूमने आये लोगों में आकर्षक का केंद्र बना हुआ है।
चंद्रताल झील का इतिहास और मान्यता:-
चंद्रताल झील के साथ अनेक किंवदंतियां जुड़ी हुई हैं उनमे से कुछ यह हैं।
- ऐसा माना जाता है कि पौराणिक काल में यक्षों ने इस झील में स्नान किया था।
- सबसे प्रसिद्ध लोककथा दो प्रेमीयो की है, चंद्रा जो चंद्रमा भगवान की प्यारी बेटी है और भागा, जो सूर्य भगवान का तेजस्वी पुत्र है। दोनों एक दूसरे से बेहद प्यार करते थे, लेकिन नियति के अनुसार, उनके माता-पिता को उनका रिश्ता मंजूर नहीं था। उन्होंने बारालाचा ला दर्रे से भागने का फैसला किया, जहाँ वे पहली बार मिले थे। किसी तरह, वे वहाँ नहीं मिल पाए, लेकिन किसी और जगह मिले जहाँ उन्होंने एक दिव्य विवाह किया। आप उस स्थान पर चंद्रभागा नदी देख सकते हैं जो उनके स्वर्गीय गठबंधन का प्रमाण है। उनके द्वारा अलग-अलग बनाई गई झीलें सूरज ताल और चंद्रताल आज भी रहस्य है|
- चंद्र ताल की प्रसिद्ध झील का उल्लेख हिंदू पौराणिक कथाओं में भी मिलता है। यह व्यापक रूप से माना जाता है कि भगवान इंद्र (वर्षा के पूज्य देवता) का रथ युधिष्ठिर को इसी स्थान पर उनके स्वर्ग निवास पर ले गया था।
- स्थानीय लोग मानते हैं कि यह झील चांद की किरणों से बनी है और रात को यहां परियां आती हैं।
चंद्रताल की खासियत:-
चंद्रताल झील को हिमाचल प्रदेश की सबसे खूबसूरत झीलों में से एक माना जाता है इसे यह दर्जा ऐसी ही नहीं मिला आपको बता दे की चंद्रताल झील का पानी का स्तर साल भर में बदलता रहता है, कभी यह बड़ी होती है तो कभी छोटी।यह सुन्दर झील दिन चढ़ने के साथ लाल-नारंगी से लेकर नीले और चमकदार पन्ना तक के असंख्य रंगों को दर्शाती है। इस झील के बदलते रंग यहां आने वाले पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है, रात को चाँद इसके काँच के समान स्वच्छ जल पर चाँदनी की चमक बिखेरता है और पूरे परिवेश को चाँदी के जादू में भिगो देता है। झील को चारो ओर से घेरने वाली विशाल पहाड़ियाँ ऊँची खड़ी हैं जो मानो ऐसा लगता है कि इस रहस्य्मय झील के रहस्य को और गहराई से जानने की कोशिश कर रही हों।
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चेनाब का उद्गम:-
आपको बता दे कि चंद्र ताल से चंद्र नदी का उद्गम होता है और सूरज ताल से भागा नदी का। लाहौल स्पीति के जिला मुख्यालय केलांग से 7 किमी दूर, पत्तन घाटी के टाण्डी गांव के पास दोनों मिल कर चंद्रभागा नदी का रूप ले लेती हैं जो कि जम्मू-कश्मीर में जाकर चेनाब कहलाने लगती है।
चंद्रताल कब खुलती है?
चंद्रताल झील की यात्रा का सबसे अच्छा समय जून से सितंबर के बीच होता है। इस समय मौसम सुहावना होता है और झील तक पहुंचने का रास्ता भी खुला होता है। सर्दियों में यहाँ बर्फबारी होती है और झील तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।
चंद्रताल के आस-पास देखने वाली खूबसूरत जगहें:-
कुंजुम दर्रा:-
कुंजुम पास, चंद्रताल झील के रास्ते में आने वाला एक प्रमुख स्थान है दर्रे और झील के बीच लगभग 9 किमी की दूरी है यह पास समुद्र तल से लगभग 4,590 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसे स्पीति और लाहौल घाटी को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण मार्ग के रूप में जाना जाता है। कुंजुम पास से हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों और आसपास के ग्लेशियरों का शानदार नजारा देखा जा सकता है। यहाँ एक छोटा सा मंदिर भी है, जिसे कुंजुम माता के नाम से जाना जाता है। स्थानीय लोग यहाँ यात्रा शुरू करने से पहले आशीर्वाद लेने आते हैं। यहाँ आने वाले हर एक पर्यटक इस नज़ारे को अपनी आँखो में कैद करना चाहता है|
बारालाचा ला दर्रा:-
यदि आप ट्रेकिंग के शौकिनी है तो यह जगह आपके ट्रेकिंग के अनुभव को और बड़ा देगी 16,040 फीट की ऊंचाई पर स्थित बारालाचा ला स्पीति घाटी के सबसे खतरनाक दर्रों में से एक है। बारालाचाला मनाली और लेह के मध्य बीच रास्तें में आता है और चंद्रताल झील से 60 किमी की दूरी पर स्थित है। इसे “पासेस के राजा” के नाम से भी जाना जाता है। बारलाचा ला से सूरजताल झील और हिमालय की ऊँची चोटियों का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है। यह स्थान बाइकरों और एडवेंचर प्रेमियों के बीच बहुत लोकप्रिय है। झील से बारालाचा ला दर्रे तक पहुँचने के लिए 2-3 दिन का ट्रेक करना पड़ता है।
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सूरज ताल:-
यह पवित्र झील, जिसे सूर्य देव की झील भी कहा जाता है, यह भारत की तीसरी सबसे ऊँची झील है। बारालाचा ला दर्रे के नीचे स्थित, इस झील तक आप चंद्रताल झील से 2 से 3 दिनों की ट्रेकिंग करके प्रकृति के इस अद्भुत चमत्कार को देख सकते हैं।
काजा:-
काजा, स्पीति घाटी का मुख्य कस्बा है और चंद्रताल झील से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एक प्रमुख पर्यटक स्थल है जहाँ आप स्थानीय बाजारों में खरीदारी कर सकते हैं, स्थानीय व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं, और स्पीति की स्थानीय संस्कृति को करीब से देख सकते हैं। काजा के आसपास के मठ और गाँव जैसे की मठ, हिक्किम, और कॉमिक गाँव भी देखने लायक हैं।
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सिसु:-
चंद्रताल झील से सिसु तक पहुँचने में लगभग 3-4 घंटे का समय लग सकता है, लाहौल स्पिति की खूबसूरत जगह सिसु अपने मुख्य जलप्रपात के लिए जाना जाता है। अगर कोई पर्यटक लाहौल स्पिति तक घूमने पहुंचता है तो बह इस जलप्रपात को देखना नहीं भूलता है। सिसु लाहौल स्पिति की खूबसूरत घाटी 3170 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मार्ग बेहद दर्शनीय है, जहाँ आपको बर्फ से ढकी चोटियाँ, हरे-भरे मैदान, और ऊँचे पहाड़ी दर्रे देखने को मिलते हैं।
बारा शिगरी ग्लेशियर:-
चंद्रताल झील से लगभग 30-35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बारा शिगरी ग्लेशियर हिमाचल प्रदेश में स्थित और लाहौल घाटी का सबसे बड़ा ग्लेशियर माना जाता है। 25 किलोमीटर लंबा और 3 किलोमीटर चौड़ा यह बर्फीला रत्न व्हाइट सेल, इंद्रसेन, कुलु मकालू और पार्वती पीक की हिमालयी विशाल चोटियों के बीच बसा यह बेदाग सौंदर्य हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी नदी चिनाब नदी को पोषण देता है। लाहौल जिले की चंद्रा घाटी में स्थित यह ग्लेशियर बटाल से 4 किलोमीटर और रोहतांग दर्रे से 40 किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसा माना जाता है कि चंद्रताल झील इसी ग्लेशियर से निकली है।
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यात्रा के लिए सर्वश्रेष्ठ समय:-
चंद्रताल झील की यात्रा का सबसे अच्छा समय जून से सितंबर के बीच होता है। इस समय मौसम सुहावना होता है और झील तक पहुंचने का रास्ता भी खुला होता है। सर्दियों में यहाँ बर्फबारी होती है और झील तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। सितंबर इस क्षेत्र की खूबसूरती का जश्न मनाने का सबसे अच्छा समय है। पतझड़ का मौसम आपको साफ नीले आसमान के अनंत विस्तार के बीच हिमालयी वनस्पतियों के इंद्रधनुषी रंगों से मोहित कर देता है।
कैसे पहुँचें:-
बस से:-
चन्द्रतल के लिए आमतौर पर दो बसें चलती हैं। यह दोनों बसें मनाली होते हुए कुल्लू से काजा के लिए चलती हैं बाटाल को पार करने के बाद आपको चंद्रताल डायवर्जन पॉइंट पर उतरना होगा और इस जगह से चंद्रताल लगभग 14 की दूरी पर है यहाँ तक आप ट्रेकिंग के द्वारा या रास्ते में चलतीं हुई कार टेक्सी की मदद से पहुंच सकते हैं।
नोट:- जानकारी के लिए आपको बता दें कि सड़क मार्ग से दिल्ली से चंद्रताल तक दो मुख्य मार्ग हैं। जो कि एक दिल्ली से मनाली जाता है, और दूसरा दिल्ली से शिमला से किन्नौर से स्पीति घाटी तक जाता है। आप इनमें से अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी रास्ते से आ सकते हैं।
हवाईजहाज द्वारा:-
मनाली के सबसे नजदीकी भुंतर हवाई अड्डा है। जो कि चंद्रताल झील से लगभग 180 किमी दूरी पर है|
ट्रेन द्वारा:-
चंद्रताल से नजदीकी एक मात्र ही रेल्वे स्टेशन है जो मंडी के पास जोगिंदर नगर में स्थित है। चंद्रताल से यह रेलवे स्टेशन लगभग 290 किमी की दूरी पर स्थित है।