एक सशक्त राजनेता,एक संवेदनशील कवि, और विराट व्यक्तित्व वाले वह महानायक, जिन्होंने अपने अद्भुत नेतृत्व से पूरी दुनिया को दिखाई थी भारत की ताकत,उन्हीं महापुरुष पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी की 100वी जयंती पर उन्हें हम नमन करते हैं।
इस बार 25 दिसंबर 2024 को भारत के यशस्वी पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म शताब्दी वर्ष है। ये भारत माँ के एक ऐसे सच्चे सपूत हैं जिनका जीवन आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है।
अटल बिहारी वाजपेयी: जीवन परिचय
अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर मे हुआ था। उनकी माता जी का नाम कृष्णा वाजपेयी और पिता जी का नाम पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी था। उनके पिता अध्यापक थे और उसके अतिरिक्त वे हिन्दी व ब्रज भाषा के प्रतिष्ठित कवि भी थे। अटल जी मे भी काव्य रचना के गुण वंशानुगत थे।
अटल जी की बी॰ए॰ की शिक्षा ग्वालियर के लक्ष्मीबाई कालेज में हुई। उन्होंने एम॰ए कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र विषय से किया। उन्होंने कानपुर मे ही एल•एल•बी• की पढ़ाई भी शुरू कर दी परन्तु संघ से लगाव के कारण उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और स्वयंसेवक बन कर पूर्ण निष्ठा से संघ के कार्य में लग गए।
छात्र जीवन से ही अटल जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय सदस्य थे, शुरुआत में वे स्वयंसेवक के रूप में शामिल हुए और बाद में विस्तारक,पूर्णकालिक कार्यकर्ता के पद तक पहुंचे। संघ से जुड़ने के बाद उन्होंने संकल्प लिया आजीवन अविवाहित रहकर देश सेवा करने का। वाजपेयी जी अपने पूरे जीवन अविवाहित रहे। उन्होंने पांचजन्य , राष्ट्र धर्म, स्वदेश तथा वीर अर्जुन जैसी कई पत्र-पत्रिकाओं के संपादन का कार्य भी किया।
राजनीति का सफर: लोकसभा से प्रधानमंत्री तक का मार्ग
सन् 1952 में उन्होंने पहली बार लखनऊ से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन उस समय उन्हें सफलता नहीं मिली। उसके बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और 1957 में वे पहली बार बलरामपुर (उत्तर प्रदेश) से लोकसभा के सदस्य बने। सन् 1957 से 1977तक वे जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। 1977 से 1979 तक वे विदेश मन्त्री रहे तब विदेश मे भारत और अटल जी की एक अद्भुत छवि बनी। 1980 मे इन्होने जन संघ पार्टी को छोड़ दिया क्योंकि अटल जी अपने आदर्शो से ऊपर किसी को नहीं मानते थे। फिर उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना मे मदद की जिसके बाद 6 अप्रैल 1980 में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व अटल बिहारी वाजपेयी जी को दिया गया।
1996 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार प्रधानमंत्री बने। 13 दिनों में संसद में पूर्ण बहुमत हासिल नहीं करने के कारण उनकी सरकार गिर गई। 1998 मे दोबारा हुए लोकसभा चुनाव में अटल जी की पार्टी को अच्छी सीटें मिलीं उसके बाद वे कुछ अन्य पार्टियों के सहयोग से फिर प्रधानमंत्री बने।
इसी समय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने एनडीए का गठन किया था जिसमें बहुत सी पार्टियां शामिल थी। अटल जी ये सरकार भी सिर्फ 13 महीनों तक ही चल सकी , क्योंकि जयललिता की पार्टी ने बीच में ही एनडीए सरकार का साथ छोड़ दिया, जिसके कारण एनडीए सरकार गिर गई। उसके बाद 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर से सत्ता में आई और इस बार अटल जी ने अपना प्रधानमंत्री का कार्यकाल पूरा किया। संसद में अटल जी की ओजस्वी वाणी को सुनकर पक्ष हो या विपक्ष सभी दलों के नेता उनका सम्मान करते थे।
कवि हृदय: अटल जी की कविताएँ और उनका साहित्यिक योगदान
अटल बिहारी वाजपेयी जी को काव्य रचना के गुण विरासत में मिले हैं। वो जितने प्रकाण्ड राजनीतिज्ञ थे उतने ही प्रकाण्ड कवि भी थे।अटल जी का प्रसिद्ध काव्यसंग्रह “मेरी इक्यावन कविताएँ” है।अटल जी की पहली कविता “ताजमहल” थी। ताजमहल कविता मे उन्होंने ताजमहल खूबसूरती पर कुछ नहीं लिखा और न ही मुमताज के लिए शाहजहां का जो प्यार था उसपर कोई लाइन लिखी। उन्होंने यह कविता उन कारीगरों के लिखी थी जिन्होंने भव्य ताजमहल का निर्माण किया था।
अटल जी ने कहा था :-
“मेरी कविता जंग का ऐलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं। वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय-संकल्प है। वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है”
अटली जी की पहली कविता की कुछ पंक्तियाँ –
‘यह ताजमहल, यह ताजमहल
यमुना की रोती धार विकल
कल कल चल चल
जब रोया हिंदुस्तान सकल
तब बन पाया ताजमहल
यह ताजमहल, यह ताजमहल।
कैसा सुंदर अति सुंदरतर…
ताजमहल, यह ताजमहल,
कैसा सुंदर अति सुंदरतर।
जब रोया हिंदुस्तान सकल,
तब बन पाया यह ताजमहल
अटल जी की प्रसिद्ध कविताएं
1-गीत नया गाता हूँ।
टूटे हुए तारों से फूटे वासंती स्वर
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात, कोयल की कुहुक रात
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अंतर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
2-गीत नहीं गाता हूँ
बेनक़ाब चेहरे हैं,
दाग़ बड़े गहरे हैं
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
लगी कुछ ऐसी नज़र
बिखरा शीशे सा शहर
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
पीठ मे छुरी सा चांद
राहू गया रेखा फांद
मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
3–रग-रग हिन्दू मेरा परिचय
मैं शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार-क्षार।
डमरू की वह प्रलय-ध्वनि हूं जिसमें नचता भीषण संहार।
रणचण्डी की अतृप्त प्यास, मैं दुर्गा का उन्मत्त हास।
मैं यम की प्रलयंकर पुकार, जलते मरघट का धुआंधार।
फिर अन्तरतम की ज्वाला से, जगती में आग लगा दूं मैं।
यदि धधक उठे जल, थल, अम्बर, जड़, चेतन तो कैसा विस्मय?
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!
मैं आदि पुरुष, निर्भयता का वरदान लिए आया भू पर।
पय पीकर सब मरते आए, मैं अमर हुआ लो विष पी कर।
अधरों की प्यास बुझाई है, पी कर मैंने वह आग प्रखर।
हो जाती दुनिया भस्मसात्, जिसको पल भर में ही छूकर।
भय से व्याकुल फिर दुनिया ने प्रारंभ किया मेरा पूजन।
मैं नर, नारायण, नीलकंठ बन गया न इस में कुछ संशय।
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!
मैं अखिल विश्व का गुरु महान्, देता विद्या का अमरदान।
मैंने दिखलाया मुक्ति-मार्ग, मैंने सिखलाया ब्रह्मज्ञान।
मेरे वेदों का ज्ञान अमर, मेरे वेदों की ज्योति प्रखर।
मानव के मन का अंधकार, क्या कभी सामने सका ठहर?
मेरा स्वर नभ में घहर-घहर, सागर के जल में छहर-छहर।
इस कोने से उस कोने तक, कर सकता जगती सौरभमय।
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!
मैं तेज पुंज, तमलीन जगत में फैलाया मैंने प्रकाश।
जगती का रच करके विनाश, कब चाहा है निज का विकास?
शरणागत की रक्षा की है, मैंने अपना जीवन दे कर।
विश्वास नहीं यदि आता तो साक्षी है यह इतिहास अमर।
यदि आज देहली के खण्डहर, सदियों की निद्रा से जगकर।
गुंजार उठे उंचे स्वर से ‘हिन्दू की जय’ तो क्या विस्मय?
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!
दुनिया के वीराने पथ पर जब-जब नर ने खाई ठोकर।
दो आंसू शेष बचा पाया जब-जब मानव सब कुछ खोकर।
मैं आया तभी द्रवित हो कर, मैं आया ज्ञानदीप ले कर।
भूला-भटका मानव पथ पर चल निकला सोते से जग कर।
पथ के आवर्तों से थक कर, जो बैठ गया आधे पथ पर।
उस नर को राह दिखाना ही मेरा सदैव का दृढ़ निश्चय।
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!
मैंने छाती का लहू पिला पाले विदेश के क्षुधित लाल।
मुझ को मानव में भेद नहीं, मेरा अंतस्थल वर विशाल।
जग के ठुकराए लोगों को, लो मेरे घर का खुला द्वार।
अपना सब कुछ लुटा चुका, फिर भी अक्षय है धनागार।
मेरा हीरा पाकर ज्योतित परकीयों का वह राजमुकुट।
यदि इन चरणों पर झुक जाए कल वह किरीट तो क्या विस्मय?
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!
मैं वीर पुत्र, मेरी जननी के जगती में जौहर अपार।
अकबर के पुत्रों से पूछो, क्या याद उन्हें मीना बाजार?
क्या याद उन्हें चित्तौड़ दुर्ग में जलने वाला आग प्रखर?
जब हाय सहस्रों माताएं, तिल-तिल जलकर हो गईं अमर।
वह बुझने वाली आग नहीं, रग-रग में उसे समाए हूं।
यदि कभी अचानक फूट पड़े विप्लव लेकर तो क्या विस्मय?
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!
होकर स्वतंत्र मैंने कब चाहा है कर लूं जग को गुलाम?
मैंने तो सदा सिखाया करना अपने मन को गुलाम।
गोपाल-राम के नामों पर कब मैंने अत्याचार किए?
कब दुनिया को हिन्दू करने घर-घर में नरसंहार किए?
कब बतलाए काबुल में जा कर कितनी मस्जिद तोड़ीं?
भूभाग नहीं, शत-शत मानव के हृदय जीतने का निश्चय।
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!
मैं एक बिंदु, परिपूर्ण सिन्धु है यह मेरा हिन्दू समाज।
मेरा-इसका संबंध अमर, मैं व्यक्ति और यह है समाज।
इससे मैंने पाया तन-मन, इससे मैंने पाया जीवन।
मेरा तो बस कर्तव्य यही, कर दूं सब कुछ इसके अर्पण।
मैं तो समाज की थाती हूं, मैं तो समाज का हूं सेवक।
मैं तो समष्टि के लिए व्यष्टि का कर सकता बलिदान अभय।
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!
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भारत रत्न और अन्य सम्मान
अटल बिहारी वाजपेयी जी को 2015 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। राजनेता होने के साथ ही वे एक कोमल हृदय के कवि थे। अटल जी को मिले सम्मान कुछ इस प्रकार हैं –
- 1992 मे पद्म विभूषण
- 1994 मे लोकमान्य तिलक पुरस्कार
- 1994 मे श्रेष्ठ सासंद पुरस्का
- 1994 मे भारत रत्न पण्डित गोविन्द वल्लभ पन्त पुरस्कार
- 2015 मे बांग्लादेश सरकार द्वारा ‘फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड’,
अटल जी का निधन और उनकी विरासत
अटल बिहारी वाजपेयी जी को 11जून 2018 में किडनी संक्रमण एवं कुछ अन्य स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं की वजह से एम्स में भर्ती कराया गया था। जहाँ 16 अगस्त 2018 की शाम को उनका स्वर्गवास हो गया ।
अटल जी ने सम्पूर्ण विश्व को बताया की भारत भी पररमाणु परिक्षण कर सकता है उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में जाकर हिन्दी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया। ऐसे सिद्धहस्त कवि एवं ओजस्वी अधिनायक , जिन्होंने भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न देश घोषित किया। ऐसे कुशल नायक की जयंती पर उन्हें शत शत नमन।