रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के ऊंचाई वाले पर्वतीय इलाकों में मौसम ने करवट ले ली है। बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में सीजन की पहली भारी बर्फबारी ने इन पवित्र स्थलों को सफेद चादर से ढक दिया है। चारों ओर फैली बर्फ और मंदिरों की दिव्य आभा से देवभूमि का अद्भुत नजारा श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों के मन को मोह रहा है। पहाड़ी चोटियों से लेकर घाटियों तक हर ओर बर्फ की चमक दिखाई दे रही है, जिससे पूरे क्षेत्र का वातावरण अत्यंत मनमोहक और शांत हो गया है।बदरीनाथ धाम में मंगलवार की रात से ही हिमपात का सिलसिला शुरू हो गया था जो बुधवार सुबह तक जारी रहा। कुछ ही घंटों में मंदिर परिसर और आसपास के इलाके पूरी तरह सफेद बर्फ से ढक गए।

केदारनाथ धाम में भी लगातार बर्फ गिरने से तापमान शून्य डिग्री के आसपास पहुंच गया है। ठंडी हवाओं और बर्फ की परतों के बीच बाबा केदार के दरबार की आकर्षक छवि सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रही है।मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में ऊंचाई वाले इलाकों में और अधिक बर्फबारी की संभावना है। वहीं निचले इलाकों में ठंड में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों में तापमान में 4 से 5 डिग्री की गिरावट आई है। स्थानीय प्रशासन ने बर्फबारी के चलते यात्रियों को सावधानी बरतने की अपील की है और ऊंचाई की ओर जाने वाले मार्गों पर यात्रा फिलहाल न करने की सलाह दी है।

मंदिर परिसर, पैदल मार्ग, और आसपास की पर्वत चोटियां बर्फ से ढक गई हैं, जिससे केदारपुरी का नजारा बेहद मनमोहक और दिव्य दिखाई दे रहा है। यह सीजन की पहली बर्फबारी है, जो 23 अक्तूबर को कपाट बंद होने के बाद हुई है। लगातार बर्फबारी के चलते तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है और क्षेत्र में ठंड का असर बढ़ गया है। धनोल्टी, औली, मुनस्यारी और हर्षिल जैसी जगहों पर सर्दी पर्यटन की तैयारी तेज कर दी गई है। बर्फबारी से प्रभावित इलाकों में बिजली और संचार लाइनें कुछ स्थानों पर ठप हो गई हैं, जिन्हें बहाल करने के लिए जिला प्रशासन की टीमें जुटी हुई हैं। लोगों से अनुरोध किया गया है कि वे अनावश्यक रूप से ऊंचाई वाले इलाकों की ओर न जाएं और अत्यधिक ठंड से बचाव के उपाय अपनाएं।इस मौसम ने जहां असुविधाएं लाई हैं।

वहीं उत्तराखंड की अद्भुत प्राकृतिक छटा को और निखार दिया है। सफेद बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाएं, मंदिरों की घंटियों की गूंज और ठंडी हवाओं में भरा भक्ति भाव—यह सब मिलकर देवभूमि की पावनता को और बढ़ा देते हैं। यही कारण है कि बदरीनाथ-केदारनाथ की यह बर्फबारी सिर्फ एक मौसमीय घटना नहीं, बल्कि प्रकृति और आस्था के अद्वितीय संगम का प्रतीक बन गई है।
