रुद्रप्रयाग: विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा के शुरुआत होने के अब चंद घंटे शेष रह गए हैं। यात्रा का बेहतर संचालन हो सके, इसके लिए तैयारियां भी पूरी हो चुकी हैं। इसी क्रम में सोमवार को गगनभेदी जयकारों के बीच बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली पंचगद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से केदारनाथ धाम के लिए रवाना हुई। पहले दिन डोली यात्रा विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंची। धाम के कपाट दो मई को सुबह 7 बजे खुलेंगे। जबकि, 4 मई को बदरीनाथ और 30 अप्रैल को सुबह साढ़े 10 बजे गंगोत्री व यमुनोत्री धामों को कपाट देश-दुनिया के यात्रियों के लिए खुलेंगे।
बीते रविवार, 27 अप्रैल को भगवान के क्षेत्रपाल भैरवनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की गई थी. इसके बाद आज सोमवार को मंत्रोच्चारण और विधिविधान से पूजा संपन्न होने के बाद बाबा केदार की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल से अपने ग्रीष्मकालीन धाम के लिए प्रस्थान कर गई. डोली यात्रा में सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे, जो हर हर महादेव और जय केदार के जयघोष कर वातावरण को भक्तिमय बना रहे थे।
यात्रा क्रम के अनुसार, आज डोली का प्रथम पड़ाव गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर रहेगी, जहां रात्रि विश्राम किया जाएगा. इसके बाद 29 अप्रैल को डोली गुप्तकाशी से प्रस्थान कर द्वितीय पड़ाव फाटा पहुंचेगी. 30 अप्रैल को फाटा से प्रस्थान कर डोली तृतीय पड़ाव गौरीकुंड के गौरा देवी मंदिर पहुंचेगी. सभी स्थानों पर श्रद्धालुओं द्वारा बाबा केदार की अगवानी एवं पूजा-अर्चना की जाएगी।
ग्रीष्मकालीन यात्रा का विधिवत शुभारंभ होगा
एक मई को डोली गौरीकुंड से अंतिम चरण की यात्रा तय करते हुए केदारनाथ धाम पहुंचेगी. 2 मई को शुभ मुहूर्त व वृष लग्न में प्रातः 7 बजे विधिविधान के साथ बाबा केदार के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे. इसके साथ ही केदारनाथ धाम में छह महीने तक चलने वाली ग्रीष्मकालीन यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो जाएगा।
धाम में कपाटोद्घाटन के अवसर पर भव्य आयोजन की तैयारियां चल रही हैं. बाबा केदार के मंदिर को 10 क्विंटल से अधिक फूलों से भव्य रूप से सजाया जा रहा है. मंदिर प्रांगण में सुरक्षा व्यवस्था और तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं। प्रशासन ने यात्रियों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं, भोजनालय, विश्राम स्थल और अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की हैं. साथ ही यात्रा मार्गों पर विशेष निगरानी और यातायात व्यवस्था के इंतजाम किए गए हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
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