झारखंड । 583 पदों पर आयोजित उत्पाद सिपाही की भर्ती प्रक्रिया में 22 अगस्त से शारीरिक दक्षता परीक्षा आरंभ की गई। जिसमें पुरुष अभ्यर्थियों (candidates) को 60 मिनट में 10 किमी की दौड़ का प्रावधान है और महिला अभ्यर्थियों के लिए 40 मिनट में 5 किमी दौड़ का, जिसे 2017 में ही संसोधित किया गया है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि अब तक इस दौड़ में 12 अभ्यर्थी अपनी जान गवां चुके हैं। जिनमें अधिकांश अभ्यर्थी 25 वर्ष से कम आयु के थे। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इन सभी अभ्यर्थियों (candidates) की मौत का कारण हार्ट अटैक है। डॉकटर्स का कहना है कि दौड़ने से ब्लड प्रेशर बढ़ रहा है और वे हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं।
सीएम ने 3 दिनों तक स्थगित कराई परीक्षा :
झारखंड के मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है की उत्पाद सिपाही की नियुक्ति प्रक्रिया में दौड़ के दौरान प्रतिभागियों की असामयिक मृत्यु दुखद है । उन्होंने पूर्ववर्ती सरकार द्वारा बनाई नियमावली की तुरंत समीक्षा का निर्देश दिया है। एहतियात के तौर पर उन्होंने परीक्षा को 3 दिनों के लिए स्थगित कराया।
क्या कहते हैं डॉक्टर :
डॉकटर्स का कहना है कि बिना प्रैक्टिस दौड़ रहे हैं युवा , जो कि ठीक नहीं है । हार्ट अटैक के दौरान काफी पसीना आता है । इस सिम्पटम्स को कई कैंडीडेट समझ नहीं पा रहे हैं । 10 किमी की दौड़ उन्हे पूरी करनी है, यह सोच कर लगातार दौड़ रहे हैं। बीपी बढ़ रहा है, तो उन्हे लगता है कि दौड़ने से पसीना बह रहा है। जब असहजता महसूस हो तो तुरंत बैठ जाना चाहिए ।
: डॉ. शुभम शेखर मेडिकल ऑफिसर, सदर अस्पताल रांची
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30 अगस्त तक 1,27,772 अभ्यर्थियों ने शारीरिक परीक्षा में हिस्सा लिया है, जिनमे 78023 सफल रहे हैं। इन 12 मौतों की वजह चाहे कुछ भी रही हो, सैकड़ों पदों की भर्ती के लिए लाखों आवेदनों का आना देश में बेरोजगारी की बढ़ती दर को दिखाता है। रोजगार पाने के लिए सारे युवा जान का जोखिम लेकर इन भर्तियों में शामिल हो रहे हैं। बढ़ती बेरोजगारी को कम करने के लिए देश की सरकार के पास कोई अहम समाधान नजर नहीं आ रहा है। आजादी के कई वर्षों बाद भी भारत में रोजगार की कमी का होना अपने आप में गंभीर विषय है। कुछ लोगों का मानना है कि इसके पीछे जनसंख्या का लगातार बढ़ना है लेकिन ये वो कारण नहीं हो सकता क्यों कि जहाँ अधिक लोग हैं वहाँ व्यापार, उद्योग के लिए भी अवसर अधिक हैं, जिनका फायदा बाहरी देशों की बड़ी – बड़ी कम्पनियां उठा रही हैं।
एक उदाहरण के तौर पर जर्मनी देश को देखते हैं जहां शुरुआती समय में रोजगार का हाल हमारे आज के दिनों की तरह था। जहां हर दफ्तर के बाहर आवेदकों की लंबी कतारें देखने को मिलती थी क्यों कि रोजगार की कमी थी। बाद के कुछ वर्षों में जर्मनी की सरकार ने इसे देखते हुए पार्ट टाइम जॉब को तवज्जो दी। बड़ी कंपनियों से बात कर के पार्ट टाइम जॉब्स् की तरफ लोगों को आकर्षित किया। इसका नतीजा रहा कि इसे महिलायें भी आसानी से कर पाती थी, जो साथ में घर को भी संभालने का काम करती थी। इस तरह परिवार की जिम्मेदारी सिर्फ एक व्यक्ति के कंधों से उतर कर सभी सदस्यों में बंट गई थी। जिससे जीवन आसान हो गया और आज जर्मनी विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन गया है।