नई दिल्ली: सीपी राधाकृष्णन भारत के 15वें उपराष्ट्रपति बने हैं, जिनकी सैलरी, शक्तियां और सुविधाएं जानकर सचमुच दंग रह जाएंगे। उपराष्ट्रपति का वेतन वास्तव में शून्य होता है, लेकिन वे राज्यसभा के सभापति के पद पर हर महीने ₹4 लाख और कई सुविधाएं पाते हैं। उनकी शक्तियां भारतीय लोकतंत्र में बेहद अहम हैं—राज्यसभा का संचालन, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में कार्यभार संभालना, और संसद की मर्यादा सुनिश्चित करना।
सीपी राधाकृष्णन: देश के 15वें उपराष्ट्रपति
सीपी राधाकृष्णन ने 9 सितंबर 2025 को हुए चुनाव में इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों के अंतर से हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। उन्हें कुल 452 प्रथम वरीयता के वोट मिले। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी। उनका चयन जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति पद के लिए हुआ.
उपराष्ट्रपति का वेतन और सुविधाएं
- भारतीय उपराष्ट्रपति को कोई नियमित सैलरी नहीं मिलती.
- राज्यसभा के सभापति की जिम्मेदारी निभाने के लिए ही हर माह ₹4 लाख की सैलरी मिलती है.
- इसके अलावा वे सरकारी आवास, बुलेटप्रूफ गाड़ी, Z+ (स्पेशल) सुरक्षा, मुफ्त चिकित्सा, यात्रा, सरकारी वाहन और अन्य भत्ते पाते हैं.
- यह वेतन और भत्ते संसद के अधिकारियों के वेतन और भत्ते अधिनियम, 1953 के तहत तय होते हैं.
उपराष्ट्रपति की शक्तियां और जिम्मेदारियां
- उपराष्ट्रपति भारतीय संसद के उच्च सदन, राज्यसभा के सभापति होते हैं.
- सदन की कार्यवाही को नियंत्रित करना, मर्यादा बनाए रखना, और संसद के नियमों का पालन सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है.
- राज्यसभा में संविधान की व्याख्या और निर्णय देने का पूर्णाधिकार उपराष्ट्रपति के पास होता है.
- वे समितियों के अध्यक्ष नियुक्त कर सकते हैं, सवाल-जवाब के स्तर पर सांसदों की उत्पादकता बढ़ा सकते हैं, और विवाद की स्थिति को नियंत्रित कर सकते हैं.
- अगर राष्ट्रपति का पद खाली हो जाए तो उपराष्ट्रपति अगले छह महीने तक राष्ट्रपति का कार्यभार भी संभाल सकते हैं.
- उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत आवश्यक होता है.
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उपराष्ट्रपति पद की विशेषताएं
- पांच साल का कार्यकाल होता है, लेकिन नए उपराष्ट्रपति के शपथ लेने तक पद पर बने रह सकते हैं.
- उन्हें संसद के अन्य सदस्य के समान लाभ का कोई अन्य पद ग्रहण करने की अनुमति नहीं है.
- संसद में कोई विधेयक या महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए उपराष्ट्रपति की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है.
- संसद की कार्यवाही में विवाद, सवाल-जवाब, विशेषाधिकार उल्लंघन और समितियों के गठन से जुड़ी शक्तियां उन्हीं के पास रहती हैं.
उपराष्ट्रपति की भूमिका और प्रभाव
सीपी राधाकृष्णन का चयन देश के लोकतंत्र के लिए नये बदलावों का संकेत है। उनकी भूमिका आम नागरिकों से लेकर सरकार तक के लिए बेहद अहम होती है। राज्यसभा की नीतियां, देश के महत्वपूर्ण विधेयक, और सदन की मर्यादा उनके ही नेतृत्व में सुनिश्चित होती है।