देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सोशल मीडिया पर अपने डांस और रील वीडियो से अक्सर विवादों में रहने वाली सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर तनु रावत एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने जय राम आश्रम परिसर के एक फ्लैट में अर्धनग्न वस्त्रों में वीडियो शूट किया, जो इंटरनेट पर सामने आते ही तेजी से वायरल हो गया। वीडियो के सामने आने के बाद कई हिंदू संगठनों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है और प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है।
जानकारी के अनुसार, तनु रावत ने हाल ही में एक डांस वीडियो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अपलोड किया था, जिसमें वह विवादित परिधान में नजर आईं। दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो जय राम आश्रम परिसर के भीतर स्थित एक फ्लैट में शूट किया गया। जैसे ही यह वीडियो सार्वजनिक हुआ, कई संगठनों ने इसे धार्मिक स्थल की पवित्रता के साथ खिलवाड़ करार देते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी।
 
हिंदू संगठनों का कहना है कि आश्रम जैसे पवित्र स्थल का इस्तेमाल इस तरह के वीडियो के लिए नहीं होना चाहिए। उनके अनुसार, ऐसे वीडियो न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं, बल्कि समाज में गलत संदेश भी भेजते हैं। कुछ संगठनों ने तनु रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। इस विरोध के बीच देहरादून पुलिस ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, वीडियो की लोकेशन और समय की पुष्टि की जा रही है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि वास्तव में यह शूट आश्रम परिसर के अंदर हुआ या किसी निजी स्थान पर।
 
वहीं, इस मामले में सोशल मीडिया पर भी लोगों की मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कई लोग तनु रावत का बचाव करते हुए कह रहे हैं कि कंटेंट निर्माण एक रचनात्मक प्रक्रिया है, जिसे सीमाओं में बांधना उचित नहीं होगा। कुछ यूजर्स का कहना है कि आज के दौर में सोशल मीडिया कला और अभिव्यक्ति का माध्यम बन चुका है और कलाकारों को अपनी रचनात्मक आज़ादी मिलनी चाहिए। दूसरी ओर, विरोध करने वालों का कहना है कि किसी धार्मिक स्थल की पवित्रता के साथ समझौता नहीं किया जा सकता, चाहे मकसद मनोरंजन का ही क्यों न हो।
इस विवाद के बाद आश्रम प्रशासन ने भी इस मामले पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि यदि यह वीडियो वास्तव में आश्रम परिसर के भीतर शूट किया गया है, तो यह गंभीर उल्लंघन है। प्रशासन ने स्थानीय पुलिस से इस घटना की सच्चाई सामने लाने और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की अपील की है। तनु रावत फिलहाल इस विषय पर चुप्पी साधे हुए हैं। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब वह अपने किसी वीडियो को लेकर विवादों में आई हों। इससे पहले भी कई बार उनके वीडियो धार्मिक और सामाजिक समूहों की आलोचना का कारण बन चुके हैं। बावजूद इसके, उनका सोशल मीडिया पर बड़ा फैन बेस बना हुआ है, जो उनकी हर पोस्ट पर प्रतिक्रिया देता है।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि सोशल मीडिया पर सामग्री निर्माण की स्वतंत्रता और उसकी सीमाएं कहां तक होनी चाहिए। मनोरंजन और अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर क्या धार्मिक आस्थाओं का सम्मान भूल जाना उचित है? यह विवाद न केवल तनु रावत के लिए बल्कि पूरे डिजिटल इन्फ्लुएंसर समुदाय के लिए एक चेतावनी साबित हो सकता है। फिलहाल पुलिस जांच में जुटी है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही सत्य सामने आ जाएगा। इसके बाद ही यह तय हो पाएगा कि मामला वास्तव में धार्मिक स्थल से जुड़ा उल्लंघन था या केवल सोशल मीडिया पर फैली एक गलतफहमी। यह विवाद समाज के दो पक्षों – धार्मिक श्रद्धा और आधुनिक डिजिटल अभिव्यक्ति – के बीच चल रहे उस अदृश्य संघर्ष को फिर से सामने लेकर आया है, जहां सीमाओं का निर्धारण अभी भी अस्पष्ट है।
 
  
		 
		
 
									 
					

