नैनीताल: एक ओर जहां देश तकनीक और तरक्की के नए कीर्तिमान हासिल कर रहा है, वहीं दूसरी ओर शादियां होनी मुश्किल हो गई है। आपको बता दे कि जनपद नैनीताल जैसे पर्यटन स्थल से महज कुछ किलोमीटर दूर बसे गांव अब भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. स्थिति इतनी गंभीर है कि यहां के युवाओं की शादी तक अटक गई है. कारण सिर्फ बुनियादी सुविधाओं और सड़क का न होना।
सौलिया गांव के युवाओं की शादी सिर्फ इसलिए नहीं हो पा रही है क्योंकि वहां तक पहुंचने का कोई बेहतर साधन नहीं है. गांववाले बताते हैं कि बरसों से चुनाव आते ही नेता सड़क का वादा करते हैं, लेकिन हर बार जीतने के बाद सब भूल जाते हैं. यहां की लड़कियां सुंदर और गुणी होते हुए भी कुंवारी बैठी हैं, वहीं यहां लड़कों की शादी भी नहीं हो रही है क्योंकि कोई भी अभिभावक अपनी बेटी को ऐसे गांव में नहीं भेजना चाहता जहां एंबुलेंस तक न पहुंच सके।
ग्रामसभा गैरीखेत में हालात और भी चिंताजनक हैं. आजादी के बाद से अब तक यहां सड़क नहीं बन पाई है. ग्रामीणों को रोजाना 10 किलोमीटर का पहाड़ी सफर तय करके नैनीताल शहर पहुंचना पड़ता है. यदि कोई बीमार हो जाए तो आज भी उसे डोली में बैठाकर नीचे लाना पड़ता है. स्थानीय निवासी बताते हैं कि बुनियादी सुविधाओं के अभाव में न केवल रिश्ते नहीं आ रहे, बल्कि पलायन भी तेज हो गया है.
ग्रामीणों ने किया बहिष्कार का ऐलान
धारी ब्लॉक के बबियाड ग्रामसभा के तोक बिरसिंग्या के सामाजिक कार्यकर्ता रमेश टमटा का कहना है कि देश को आज़ाद हुए 75 साल हो चुके हैं, लेकिन हमारे गांव में अब तक पक्की सड़क नहीं आई. चुनाव के समय नेता वादे करते हैं, लेकिन जीतने के बाद कोई नहीं लौटता. अब तो हालात ये हैं कि रिश्ते तक आने बंद हो गए हैं. नैनीताल जिले में ऐसे दर्जनों गांव है जो आज भी बिना सड़क और बुनियादी सुविधाओं के जीवन जीने के लिए मजबूर हैं. वहीं अब इनमें से कई गांवों के लोग अब पंचायत चुनाव में खुलकर विरोध में उतर आए हैं. उनका सीधा ऐलान है कि सड़क नहीं, तो वोट नहीं. गांववालों की यह नाराजगी सिर्फ एक सड़क के लिए नहीं, बल्कि अपने अस्तित्व और भविष्य के लिए है।
यह भी पढ़ें: पहले चरण का मतदान कल, 17,829 प्रत्याशियों का भाग्य होगा मतपेटियों में कैद।
रिश्ते आने हो गए बंद
अब तो स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि कुंवारे लड़कों और लड़कियों के लिए रिश्ते आने बंद हो गए हैं। नैनीताल जिले के ऐसे कोई एक दो नहीं बल्कि दर्जनों गांव आज भी बिना सड़क और बुनियादी सुविधाओं के जीवन जीने पर मजबूर है। वहीं कई गांव के लोग अब पंचायत चुनाव में खुलकर विरोध करने पर उतर आए हैं उनका कहना है कि सड़क नहीं तो वोट नहीं।