द्वाराहाट: जननायक विपिन चंद्र त्रिपाठी की 21वीं पुण्यतिथि द्वाराहाट के शीतलपुष्कर मैदान में आज श्रद्धापूर्वक मनाई जाएगी। इस आयोजन का उद्देश्य उनके अतुलनीय संघर्ष, विकास कार्यों और सामाजिक समर्पण को याद करना है।
उत्तराखंड की राजनीति के अद्भुत योद्धा, जननायक विपिन चंद्र त्रिपाठी की 21वीं पुण्यतिथि 30 अगस्त को द्वाराहाट के शीतलपुष्कर मैदान में श्रद्धा, सम्मान और विचार विमर्श के साथ मनाई जाएगी। द्वाराहाट क्षेत्र और समूचे उत्तराखंड के विकास में उनका योगदान आज भी नई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
विपिन चंद्र त्रिपाठी जीवन परिचय
स्व. विपिन त्रिपाठी का जन्म 23 फरवरी 1945 को द्वाराहाट के ग्राम दैरी में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में और माध्यमिक शिक्षा मुक्तेश्वर में हुई। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्हें डॉ. राममनोहर लोहिया, आचार्य नरेन्द्र देव के विचारों से प्रेरणा मिली। यही उनकी राजनैतिक व सामाजिक दिशा बनी।
उत्तराखंड आंदोलन में भूमिका
विपिन त्रिपाठी उत्तराखंड पृथक राज्य आंदोलन के अग्रणी नेता रहे। उन्होंने 1989 में वन अधिनियम और भूमि संरक्षण आंदोलन में निर्णायक भूमिका निभाई, जेल गए, भूख हड़ताल की और स्थानीय प्रशासन व शासन पर निरंतर दबाव बनाकर अनेक जनहित के मुद्दे उठाए। उनकी सोच और प्रयासों से गैरसैंण को राज्य की स्थायी राजधानी बनाने की पहल हुई। राज्य आंदोलन का ‘ब्लू प्रिंट’ तैयार करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही।
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शिक्षा व विकास
द्वाराहाट क्षेत्र को शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक विकास का केंद्र बनाने के लिए विपिन त्रिपाठी ने विशेष प्रयास किए। उन्होंने अपने पदों का सदुपयोग जनहित के लिए किया – कई बार भूख हड़ताल और आमरण अनशन तक किया, राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलिटेक्निक, महाविद्यालय स्वीकृत कराए। गांव-गांव में लोगों को डेरी, फलोत्पादन, सब्जी उत्पादन के लिए प्रेरित किया।
राजनीतिक सिद्धांत
श्री बिपिन त्रिपाठी सत्ता सुख से हमेशा दूर रहे और ईमानदार, स्वच्छ व सादगीपूर्ण राजनीति के लिए प्रसिद्ध रहे। वे उत्तराखंड क्रांति दल के दीर्घकालीन अध्यक्ष रहे, पर व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से ऊपर राज्य और जनहित के लिए संघर्षशील रहे। उन्होंने मजदूरों, किसानों के हितों की आवाज हमेशा बुलंद की।
सामाजिक और सांस्कृतिक जागरूकता
विपिन त्रिपाठी ने द्वाराहाट की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण तथा ऐतिहासिक मेलों की परंपरा को पुनर्जीवित करने में मुख्य भूमिका निभाई। उनकी जिद, दूरदर्शिता और तर्कशील दृष्टिकोण उन्हें एक प्रेरणादायक जननायक बनाते हैं।
पुण्यतिथि आयोजन का महत्व
21वीं पुण्यतिथि पर शीतलपुष्कर मैदान में श्रद्धांजलि सभा, विचार गोष्ठी व विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। आयोजन में उनके विचारों, योगदान और संघर्षशील जीवन को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा। क्षेत्रीय नेता, सामाजिक संगठन और विद्यार्थी उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लेंगे।
जननायक विपिन चंद्र त्रिपाठी ने अपनी पूरी ऊर्जा और उत्साह जनसमर्थन, विचारधारा, ईमानदारी और संघर्ष के साथ प्रदेश के विकास के लिए समर्पित किया। उनकी पुण्यतिथि पर उनके आदर्शों को अपनाने और क्षेत्रीय विकास का संकल्प लेना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।