नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में गुरुवार की सुबह एक बार फिर तेज़ बारिश के साथ हुई, जिसने लोगों के रोज़मर्रा के जीवन में बड़ी मुश्किलें खड़ी कर दीं। लंबे समय से सूखी धरती को भले ही राहत की नमी मिली हो, लेकिन जब लगातार बारिश यमुना जैसी नदियों के जलस्तर को खतरे के निशान से ऊपर ले जाती है तो यह राहत चिंता में बदल जाती है। गुरुवार सुबह से दिल्ली-एनसीआर के कई हिस्सों में भारी बारिश दर्ज की गई। इसके चलते यातायात प्रभावित हुआ, कई इलाकों में जलभराव से हालात बिगड़े और सबसे बड़ी समस्या बनी यमुना नदी का उफान।
यमुना का उफान और बाढ़ की स्थिति
मौसम विभाग के अनुसार सितंबर में भी औसत से अच्छी बारिश होने के आसार हैं। फिलहाल स्थिति यह है कि यमुना नदी खतरे के निशान को पार कर चुकी है। यमुना बाजार, मजनू का टीला, मयूर विहार, गीता कॉलोनी और झरोड़ा कलां जैसे इलाके पाँच से दस फुट तक पानी में डूबे हुए हैं। निचले इलाकों के घरों-दुकानों में पानी घुसने से लोग बेबस नजर आ रहे हैं।
प्रशासन की ओर से कुछ क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य शुरू कराए गए हैं। नावों और बड़ी गाड़ियों की मदद से प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाया जा रहा है। लेकिन सवाल यह है कि हर साल यमुना के उफान और बारिश की वजह से जो बाढ़ आती है, उससे निपटने के लिए स्थायी समाधान क्यों नहीं निकल सका?
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प्रभावित इलाकों का हाल
1. यमुना बाजार व मजनू का टीला
उत्तर दिल्ली के इन इलाकों में पानी लगातार बढ़ता जा रहा है। घरों में रखे सामान डूब चुके हैं। कई लोग अपने सिर पर ज़रूरी सामान और छोटे बच्चों को लेकर सुरक्षित जगहों की तलाश में हैं।
2. गीता कॉलोनी
यहां निचले इलाकों में बने मकानों में पानी घुस गया है। लोग सबसे ज़्यादा दिक्कत पीने के पानी और बिजली कटौती की वजह से झेल रहे हैं।
3. मयूर विहार व झरोड़ा कलां
इन कॉलोनियों में लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी सड़क मार्गों के बंद होने से हो रही है। वाहन पानी में फँस गए हैं और लोग दफ्तर या स्कूल नहीं पहुँच पा रहे।
यातायात और उड़ानों पर असर
दिल्ली-एनसीआर में बारिश की सबसे बड़ी समस्या ट्रैफिक जाम के रूप में सामने आती है। सुबह से ही कई जगहों पर लंबा जाम देखने को मिला। मुख्य मार्गों पर जलभराव से गाड़ियाँ रेंग-रेंग कर चल रही थीं। इधर, खराब मौसम और कम दृश्यता के कारण दिल्ली एयरपोर्ट पर भी कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें प्रभावित हुईं। यात्रियों को एयरपोर्ट पर घंटों इंतज़ार करना पड़ा। रेलगाड़ियाँ भी समय से नहीं चल पाईं, क्योंकि कई छोटे स्टेशनों के पास ट्रैक पर पानी भर गया।
प्रशासनिक तैयारी और चुनौतियाँ
दिल्ली सरकार और जिला प्रशासन ने दावा किया है कि राहत शिविर लगाए गए हैं। प्रभावित लोगों को खाने, पीने के पानी और दवाइयों की सुविधा दी जा रही है। NDRF और बाढ़ नियंत्रण विभाग सक्रिय हैं। हालांकि, ज़मीनी हकीकत यह है कि राहत कार्य प्रभावित इलाकों तक पूरी तरह नहीं पहुँच पा रहे। बड़ी संख्या में लोग अब भी बिना सरकारी मदद के खुद ही जूझ रहे हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि हर साल मानसून के दौरान यमुना में पानी बढ़ने और निचले इलाकों में बाढ़ आने के बावजूद व्यवस्थाएँ समय रहते क्यों दुरुस्त नहीं होतीं।
आम नागरिकों की मुश्किलें
- बारिश और बाढ़ से सबसे ज्यादा परेशानी आम नागरिकों को उठानी पड़ रही है।
- रोज़ कमाने-खाने वाले लोग अपने काम पर नहीं जा पा रहे हैं।
- छोटे दुकानदारों का सामान पानी में बह गया है।
- बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है क्योंकि स्कूलों तक पहुँचना मुश्किल हो गया है।
- कई क्षेत्रों में इंटरनेट और बिजली ठप पड़ चुकी है।
ऐसे हालात में लोगों को यह चिंता भी है कि बाढ़ का पानी उतरने के बाद बीमारियों का खतरा और बढ़ेगा। जलजनित रोग, डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियाँ फैलने का जोखिम हमेशा बना रहता है।