नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली एनसीआर में आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए नागरिक प्रशासन को कड़े निर्देश जारी किए हैं। सुको के निर्देशों में आवारा कुत्तों को पकड़ने, कुत्तों को जीवाणु रहित करने और उन्हें आश्रय गृह में रखने के निर्देश शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों के खिलाफ कार्रवाई करने में अड़ंगा डालता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई करें।
बीस लोगों को बनाया अपना शिकार
आवारा कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ते जा रहा है, अब यह कुत्ते लोगों को काटने लगे है। उन्होंने बताया कि रविवार को पुराने बस अड्डे व बेला क्षेत्र में इन कुत्तों ने राह चलते लोगों के साथ साथ बाइक सवार लोगों को काटा है जिनकी संख्या में बीस से अधिक है। उन्होंने बताया कि कुछ लोगों को उपचार के लिए मेडिकल कालेज में लाया गया है और कुछ निजी क्लीनिक से उपचार करवा रहे है।
दरअसल, एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स के रूल नंबर 20 आवारा कुत्तों को खाना खिलाने से सम्बंधित है. इसमें कहा गया है कि रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, अपार्टमेंट ओनर एसोसिएशन या स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने इलाके में रहने वाले आवारा कुत्तों को खाना खिलाने के लिए जरूरी व्यवस्था करें।
यह भी पढ़ें: CBFC की कैंची चली War 2 पर, कियारा के सीन कट | रिलीज़ डेट, बदलाव और पूरी डिटेल
वकील की ओर से दलील दी गई कि म्युनिसिपलटी की ओर से ग्रेटर नोएडा में तो यह व्यवस्था की गई है लेकिन नोएडा में नहीं. ऐसी जगहों पर जहां लोगों का ज़्यादातर आना जाना नहीं होता, वहां भी खाना खिलाने के लिए जगह चिन्हित की जा सकती है।
बेंच ने कहा कि आप सुबह साइकिलिंग के लिए निकलिए. देखिए कि क्या आपको नज़र आता है. आवारा कुत्तों के चलते सुबह पैदल चलने वाले ही नहीं, बल्कि साइकिल राइडर और दुपहिया वाहन चालक को भी जोखिम बना रहता है. बहरहाल कोर्ट ने इस याचिका को पहले से लंबित याचिका के साथ जोड़ दिया।
जस्टिस पारदीवाला ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘नसबंदी हो चुकी है या नहीं, सबसे पहली चीज है कि समाज आवारा कुत्तों से मुक्त होना चाहिए। एक भी आवारा कुत्ता शहर के किसी इलाके या बाहरी इलाकों में घूमते हुए नहीं पाया जाना चाहिए।
हमने नोटिस किया है कि अगर कोई आवारा कुत्ता एक जगह से पकड़ा जाता है और उसकी नसबंदी करके उसे उसी जगह छोड़ दिया जाता है, ये बेहद बेतुका है और इसका कोई मतलब नहीं बनता। आवारा कुत्ते क्यों वापस उसी जगह छोड़े जाने चाहिए और किस लिए?’