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उत्तराखंड का ऐसा अनोखा मंदिर जहां बस चिट्ठी लिखने से पूरी होती है हर मनोकामना, मिलता है न्याय, जानिए पूरी खबर में क्या है कहानी।

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अल्मोड़ा: उत्तराखंड में देवी-देवताओं के कई चमत्कारिक मंदिर हैं तथा यहाँ के मंदिर महज देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना, वरदान के लिए ही नहीं अपितु न्याय के लिए भी जाने जाते हैं। चितई गोलू देवता मंदिर अपने न्याय के लिए दूर-दूर तक मशहूर हैं। यह मंदिर कुमाऊं क्षेत्र के पौराणिक भगवान और शिव के अवतार गोलू देवता को समर्पित है। उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है. वहीं, आज हम आपको ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो जनपद अल्मोड़ा मुख्य शहर से तकरीबन 10 किलोमीटर की दूरी पर है. यह है न्याय के देवता गोल्ज्यू महाराज का मंदिर है। यहां ऐसी मान्यता है कि जब किसी को कोर्ट-कचहरी या फिर अन्य जगहों से न्याय नहीं मिलता है, तो वह यहां आकर गोलू देवता के समक्ष अर्जी लगाता है. दरअसल चितई गोलू देवता मंदिर में लोग न्याय की गुहार लगाने के लिए दूर-दूर से आते हैं. मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं द्वारा लिखी गईं चिट्ठियां बताती हैं कि गोल्ज्यू महाराज के न्याय पर लोगों की कितनी गहरी आस्था है।

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यहां मंदिर परिसर में आपको असंख्य घंटियों के साथ हजारों चिट्ठियां देखने को मिल जाएंगी. चितई गोलू देवता मंदिर में हर महीने हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। आपको बता दें कि अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ मार्ग पर स्थित गोल्ज्यू देवता (गोलू) के मंदिर में देश विदेश से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. कहा जाता है कि गोल्ज्यू भैरव यानि शिव का एक रूप हैं, जो कि गोल् देवता के अवतार में यहां पूजे जाते हैं. मंदिर में हजारों अद्भुत घंटे-घंटियों का संग्रह है. जिन लोगों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं, वे यहां घंटी चढ़ाते हैं. यानी मंदिर की घंटियां लोगों को न्याय मिलने या उनकी मनोकामना पूरी होने की गवाह हैं।

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कहा जाता है कि धीरे-धीरे उनके न्याय की खबरें सब जगह फैलने लगी. उनके कुमाऊं में कई मंदिर स्थापित किए गए. उनके जाने के बाद भी, जब भी किसी के साथ कोई अन्याय होता तो वो एक चिट्ठी लिखकर उनके मंदिर में टांग देता और जल्द ही उन्हें न्याय मिल जाता. सिर्फ कुमाऊं मे ही नहीं बल्कि, पूरे देश में उन्हें न्याय देवता के रूप में माना जाता है.’काली गंगा में बगायो, गोरी गंगा में उतरो, तब गोरिया नाम पड़ो’ यह लोक काव्य की पंक्तियां गोल् के जागर में गाई जाती है. गोल्ल को कुमाऊं में स्थान व बोली के आधार पर अलग-अलग नाम पर पुकारा जाता है. वे चैघाणी गोरिया, ध्वे गोल्ल, हैड़िया गोल्ल, गोरिल, दूधाधारी, निरंकार और घुघुतिया गोल्ल आदि नामों से लोक मान्यताओं में जीवंत हैं. गोल्ज्यू देवता को लेकर लोगों में काफी आस्था और विश्वास है कि कहीं से न्याय न मिले तो यहां जरूर आते हैं।

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