नई दिल्ली: दिवाली के जश्न की चमक के बाद दिल्ली-एनसीआर की फिजाओं में फिर जहरीलापन घुल गया है। पटाखों के धुएं और ठंडी हवाओं की धीमी गति ने राजधानी को गैस चैंबर में बदल दिया है। दीपावली के दूसरे दिन यानी बुधवार को दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘बेहद खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया। इससे लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल हो गया है और आसमान घने स्मॉग की परत से ढका हुआ दिखा।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली का औसत AQI 531 तक पहुंच गया, जो बेहद खतरनाक स्तर माना जाता है। नरेला में AQI 551, अशोक विहार में 493, आनंद विहार में 394, आरके पुरम में 368 और ITO इलाके में 269 दर्ज किया गया। मंगलवार रात तक वायु गुणवत्ता लगातार गिर रही थी और बुधवार सुबह तक शहर का अधिकांश हिस्सा रेड जोन में पहुंच गया। देर रात तक चली आतिशबाजी और बढ़ती ठंड इसके मुख्य कारण रहे।
 
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद कई जगहों पर आधी रात के बाद तक पटाखे जलाए गए। अदालत ने केवल रात 8 से 10 बजे तक ग्रीन पटाखों की अनुमति दी थी, लेकिन लोगों ने इस नियम का पालन नहीं किया। परिणामस्वरूप, दिवाली की रात में PM2.5 का स्तर 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया, जो 2021 के बाद सबसे अधिक था। दिल्ली के साथ-साथ नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव और फरीदाबाद की हवा भी ‘बहुत खराब’ स्थिति में बनी हुई है। एनसीआर के इन इलाकों में भी AQI 400 के पार दर्ज किया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम की स्थिति, कम हवा की गति और पराली जलाने की घटनाएं इस प्रदूषण के बढ़ने में अहम भूमिका निभा रही हैं।
यह भी पढ़ें:राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) स्थापना दिवस: भारत की काली बिल्लियों की अमर गाथा
 
दिल्ली सरकार ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के दूसरे चरण को लागू कर दिया है। इसके तहत निर्माण कार्यों पर निगरानी, डीजल वाहनों की जांच, पानी के छिड़काव और सड़कों की सफाई जैसे कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि, इस स्तर के प्रदूषण को तुरंत नियंत्रित करना संभव नहीं है। पर्यावरण विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि लोग सुबह-शाम बाहर निकलने से बचें, एन95 मास्क पहनें और बच्चों व बुजुर्गों को प्रदूषण के सीधे संपर्क से दूर रखें।
हर साल दिवाली के बाद कुछ इसी तरह की स्थिति देखने को मिलती है, लेकिन इस बार प्रदूषण का स्तर पिछले चार वर्षों में सबसे खराब बताया जा रहा है। वर्ष 2021 में जहां दिवाली के बाद दिल्ली का AQI 382 दर्ज किया गया था, वहीं इस साल यह 500 के पार चला गया। यह साफ बताता है कि प्रदूषण नियंत्रण के सारे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। इस समय जरूरत है कठोर कदम उठाने की—चाहे वह पराली जलाने पर रोक हो, वाहन उत्सर्जन नियंत्रण हो या पटाखों पर सख्त निगरानी। जब तक इन पर ठोस कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब तक राजधानी की सांसें ऐसी ही ‘ज़हरीली’ बनी रहेंगी।
 
  
		 
		
 
									 
					

