उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश इस समय नदियों के उफान से जूझ रहा है। यमुना, गंगा और उनकी सहायक नदियों के बढ़ते जलस्तर ने आगरा, मथुरा, अलीगढ़, शाहजहांपुर, पीलीभीत, कानपुर देहात, इटावा, औरैया, फर्रुखाबाद और कन्नौज समेत कई जिलों में भारी तबाही मचाई है। बाढ़ ने न केवल ग्रामीण इलाकों को अपनी चपेट में लिया है बल्कि शहरों की कालोनियों को भी डुबो दिया है। सैकड़ों गांव टापू बन गए हैं और लाखों लोग विस्थापन की मार झेल रहे हैं।
आगरा में बाढ़ का सबसे बड़ा असर
यमुना के उफान ने ताजनगरी आगरा में सबसे अधिक संकट खड़ा कर दिया है। यहां दयालबाग से जीवनी मंडी तक और यमुना पार में टेढ़ी बगिया से कछपुरा तक करीब 50 से ज्यादा कॉलोनियों और मोहल्लों में पानी भर गया है। हालत यह है कि लोग घरों की छतों और ऊपरी मंजिलों में कैद होकर रह गए हैं। नाव और अस्थायी बेड़े ही अब लोगों तक राहत पहुंचाने का जरिया बने हुए हैं। सदर, एत्मादपुर, फतेहाबाद और बाह तहसील क्षेत्र के लगभग 60 गांवों में खेत खलिहान जलमग्न हो गए हैं। किसानों की फसल तबाह हो रही है और मवेशियों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाना बड़ी चुनौती बन गया है।
मथुरा और पड़ोसी जिलों की स्थिति
मथुरा में भी यमुना के उफान ने शहर और देहात में जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। मंदिर नगरी के घाट जलमग्न हो गए हैं और आसपास बसी बस्तियां पानी में डूबी हैं। अलीगढ़, शाहजहांपुर और पीलीभीत जैसे जिलों में गांवों की कच्ची सड़कें टूट गई हैं, जिससे आवाजाही ठप हो गई है। बच्चे बूढ़े और महिलाएं किसी तरह सुरक्षित स्थानों की तलाश में जुटे हैं। इटावा और औरैया जिलों में भी ग्रामीण इलाकों की स्थिति गंभीर है। नदी किनारे बसे घर पानी में समा गए हैं और हजारों ग्रामीणों को प्रशासन स्कूलों व अस्थायी राहत शिविरों में भेज रहा है।
कालोनियों तक पहुंचा पानी
इस बार बाढ़ ने केवल ग्रामीण इलाकों को ही नुकसान नहीं पहुंचाया, बल्कि शहरी इलाकों में भी कहर बरपाया है। आगरा की प्रमुख कॉलोनियां, मथुरा की बस्तियां और कन्नौज, फर्रुखाबाद जैसे जिलों की नगरीय बस्तियां पानी की चपेट में हैं। घुटनों से लेकर कमर तक पानी घरों और गलियों में भरा है। इससे भूख-प्यास और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
राहत और बचाव कार्य
राज्य सरकार ने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की कई टीमें प्रभावित जिलों में तैनात की हैं। ये टीमें नावों और मोटरबोट के जरिए बाढ़ग्रस्त इलाकों तक पहुंच कर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर निकाल रही हैं। हजारों लोगों को पहले ही स्थानांतरित किया जा चुका है जबकि और लोगों को निकालने का काम जारी है। राहत शिविरों में पीने का पानी, खाने-पीने का सामान और आवश्यक दवाओं का इंतजाम किया जा रहा है। प्रशासन के साथ स्थानीय सामाजिक संगठन और स्वयंसेवक भी राहत पहुंचाने में जुटे हैं।