देहरादून: अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया से शुरू हुई स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर निकली पदयात्रा मंगलवार को राजधानी देहरादून पहुंची। इस पदयात्रा ने न केवल क्षेत्र की स्वास्थ्य व्यवस्था की सच्ची तस्वीर सामने रखी, बल्कि पर्वतीय जनजीवन की समस्याओं को भी सरकार के दरबार तक पहुंचाया। लंबे सफर और कठिन रास्तों को पार करते हुए यह प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिला और क्षेत्र के अस्पतालों में संसाधनों की कमी, डॉक्टरों की अनुपलब्धता और स्वास्थ्य ढांचे में सुधार को लेकर विस्तृत ज्ञापन सौंपा।
पदयात्रा की शुरुआत चौखुटिया बाजार से बीते सप्ताह हुई थी, जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता, महिलाओं और युवाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उनका उद्देश्य था सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करना कि पर्वतीय क्षेत्रों में आज भी बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं नागरिकों को नहीं मिल पा रहीं। कई गांवों में न तो डॉक्टर उपलब्ध हैं और न ही प्रसव या आपातकालीन सेवाओं की व्यवस्था है, जिससे ग्रामीणों को छोटी-छोटी बीमारियों में भी अल्मोड़ा या हल्द्वानी का रुख करना पड़ता है।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान कहा कि चौखुटिया क्षेत्र का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र वर्षों से अधर में लटका है। जांच उपकरणों की कमी, एंबुलेंस सुविधा की दयनीय स्थिति और डॉक्टरों के खाली पद लोगों की पीड़ा को बढ़ा रहे हैं। उन्होंने मांग रखी कि क्षेत्रीय अस्पताल को सुसज्जित बनाने के साथ-साथ डॉक्टरों की नियमित नियुक्ति की जाए। इसके अलावा हर ब्लॉक में महिला एवं बाल स्वास्थ्य केंद्र को आधुनिक संसाधनों से जोड़ा जाए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिनिधिमंडल की बातें ध्यानपूर्वक सुनीं और आश्वासन दिया कि सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयासरत है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि चौखुटिया क्षेत्र सहित अल्मोड़ा जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का मूल्यांकन कर त्वरित सुधार की कार्ययोजना तैयार करें। सीएम ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि हर नागरिक को समय पर और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा मिले, चाहे वह पहाड़ में हो या मैदान में।
पदयात्रा में शामिल सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बताया कि यह पहल किसी एक व्यक्ति की नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र की आवाज है। गांव-गांव से लोग इस अभियान में जुड़े और अपनी समस्याएं साझा कीं। उनका कहना है कि जब तक ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच नहीं बढ़ेगी, पलायन की समस्या भी बनी रहेगी। अगर बुनियादी सुविधाएं मजबूत होंगी तो ग्रामीणों का विश्वास अपने क्षेत्र पर भी लौटेगा।
इस पदयात्रा ने चौखुटिया से लेकर देहरादून तक के रास्ते में लोगों को सोचने पर मजबूर किया कि असली विकास सिर्फ सड़कों या इमारतों से नहीं, बल्कि इंसान की सेहत और सुरक्षा से होता है। समाज की यह पहल अब सरकार के दरबार तक पहुंच चुकी है, और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में चौखुटिया सहित समस्त पर्वतीय क्षेत्रों के स्वास्थ्य ढांचे में ठोस सुधार देखने को मिलेगा।
