देहरादून: उत्तराखंड में जल्द ही यूनिफॉर्म सिविल कोड UCC (समान नागरिक संहिता) लागू कर दिया जाएगा। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इंडिया टीवी से खास बातचीत में बताया कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) इसी महीने यानी जनवरी में ही लागू किया जाएगा। सीएम धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता नियमावली को मंजूरी मिल चुकी है। उत्तराखंड कैबिनेट ने 20 जनवरी को इसकी मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की जनता ने यूसीसी के लिए हमें जनादेश दिया है। हम वादा पूरा कर रहे हैं। किसी भी धर्म के लोगों टारगेट नहीं कर रहे है। यूसीसी लागू होने से तुष्टिकरण की राजनीति करने वालों को परेशानी हो रही है।
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घोषणा से कानून बनने तक का सफर
- 12 फरवरी 2022 को विस चुनाव के दौरान सीएम धामी ने यूसीसी की घोषणा की।
- मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में यूसीसी लाए जाने पर फैसला।
- मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति बनी।
- समिति ने 20 लाख सुझाव ऑफलाइन और ऑनलाइन प्राप्त किए।
- 2.50 लाख लोगों से समिति ने सीधा संवाद किया।
- 02 फरवरी 2024 को विशेषज्ञ समिति ने ड्राफ्ट रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी।
- 06 फरवरी को विधानसभा में यूसीसी विधेयक पेश हुआ।
- 07 फरवरी को विधेयक विधानसभा से पारित हुआ।
- राजभवन ने विधेयक को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा।
- 11 मार्च को राष्ट्रपति ने यूसीसी विधेयक को अपनी मंजूरी दी।
- यूसीसी कानून के नियम बनाने के लिए एक समिति का गठन।
- नियमावली एवं क्रियान्वयन समिति ने हिंदी और अंग्रेजी दोनों संस्करणों में आज 18 अक्तूबर 2024 को राज्य सरकार को नियमावली साैंपी।
- 20 जनवरी 2025 को नियमावली को कैबिनेट की मंजूरी मिली।
यूसीसी लागू होगा तो यह आएंगे बदलाव
- सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक ही कानून।
- 26 मार्च 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक व शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
- ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण की सुविधा।
- पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 25,000 रुपये का जुर्माना।
- पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से भी वंचित रहेंगे।
- विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष होगी।
- महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं।
- हलाला और इद्दत जैसी प्रथा खत्म होगी। महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी।
- कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा।
- एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
- पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी।
- संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार होंगे।
- जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा।
- नाजायज बच्चों को भी उस दंपती की जैविक संतान माना जाएगा।
- गोद लिए, सरगोसी से असिस्टेड री प्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी से जन्मे बच्चे जैविक संतान होंगे।
- किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे।
- कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है।
- लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा।
- युगल पंजीकरण रसीद से ही किराया पर घर, हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे।
- लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे।
- लिव इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
- अनिवार्य पंजीकरण न कराने पर छह माह के कारावास या 25 हजार जुर्माना या दोनों का प्रावधान होंगे।
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26 जनवरी को लागू करने का ऐलान कर सकती है सरकार
सीएम धामी ने संकेत दिया कि समान नागरिक संहिता (UCC) इसी महीने के अंत में लागू किया जाएगा। उन्होंने यह तो नहीं बताया कि किस तारीख हो यूसीसी लागू किया जाएगा लेकिन इतना संकेत जरुर दिया कि सरकार गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) पर यूसीसी लागू करने की घोषणा कर सकती है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उनकी सरकार यूसीसी इसी महीने लागू करने की तैयारी कर रही है। यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनेगा। यूसीसी की गंगा देवभूमि से निकल रही है।
लिव इन रिलेशन में रहने वालों को हम मना नहीं कर रहेः धामी
पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हम पर्सनल लॉ में दखल नहीं दे रहे हैं। सबके लिए समान व्यवस्था लागू कर रहे हैं। हलाला, बहु विवाह जैसी कुप्रथाओं से मुक्ति मिलनी चाहिए। यूसीसी में महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखा गया है। हम लिव इन रिलेशन में रहने से किसी को मना नहीं कर रहे। माता-पिता को अपने बच्चों की जानकारी होनी चाहिए। इसलिए लिव इन में रहने वालों को अपने माता-पिता से इजाजत लेनी होगी। हमने श्रद्धा-आफताब जैसे केसों की स्टडी की है। प्राइवेसी खत्म करना नहीं, सुरक्षा हमारा उद्देश्य है।
पहचान छिपाकर रह रहे लोगों के खिलाफ एक्शन होगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि का मूल स्वरूप बने रहना चाहिए। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण अच्छा नहीं है। कुछ लोगों ने धर्म की आड़ में धार्मिक स्थल, मजार बना दिया। अतिक्रमण से साढ़े 5 हजार एकड़ जमीन मुक्त कराया गया है। उत्तराखंड में मदरसों की जांच के हमने आदेश दिए। बांग्लादेशियों, रोहिंग्या लिंक की जांच के आदेश भी दिए हैं। पहचान छिपाकर रह रहे लोगों के खिलाफ एक्शन होगा।
तकनीकी हेल्प डेस्क स्थापित
वेबसाइट पर पंजीकरण के दौरान किसी भी तरह की तकनीकी गड़बड़ी को तुरंत दूर करने के लिए तकनीकी हेल्प डेस्क स्थापित की गई है. आईटीडीए द्वारा विकसित यह पोर्टल नागरिकों को सरल और सुरक्षित पंजीकरण प्रक्रिया प्रदान करेगा, जो समान नागरिक संहिता के प्रभावी क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
पुख्ता तैयारी और उच्च सुरक्षा मानक
वेबसाइट को साइबर अटैक से सुरक्षित रखने के लिए इसे नेशनल डाटा सेंटर से होस्ट किया गया है. इससे साइबर अटैक की स्थिति में भी डाटा सुरक्षित रहेगा. इस पोर्टल को लॉन्च करने से पहले आईटीडीए ने व्यापक तैयारियां की हैं. सुरक्षा ऑडिट और सोर्स कोड रिव्यू के बाद यह वेबसाइट सभी आधुनिक सुरक्षा मानकों पर खरी उतरी है। नितिका खंडेलवाल के मुताबिक रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को आसान और त्वरित बनाने के लिए वेबसाइट की प्रोसेसिंग स्पीड को उच्च स्तर पर रखा गया है।