नेपाल: नेपाल इस समय गहरे राजनीतिक संकट और हिंसा की चपेट में है। राजधानी काठमांडू और आसपास के इलाकों में बीते 48 घंटों से जो घटनाक्रम सामने आ रहा है, उसने पूरे देश को हिला दिया है। एक ओर लोगों के भीतर राजनीतिक असंतोष चरम पर पहुंच गया है, वहीं दूसरी ओर नेताओं पर बर्बर हमलों और आगजनी ने हालात को और भी भयावह बना दिया है। स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अचानक पद से इस्तीफा देकर सेना की सुरक्षा में अपने पद से दूरी बना ली।
पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनाल के घर हमला
सबसे दिल दहला देने वाली घटना नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनाल के घर हुई। प्रदर्शनकारियों ने उनके निवास पर आग लगा दी, जिसमें उनकी पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार बुरी तरह झुलस गईं। उन्हें तुरंत कीर्तिपुर बर्न अस्पताल ले जाया गया, लेकिन गंभीर चोटों के कारण उनकी मौत हो गई। इस घटना ने नेपाल की राजनीतिक अनिश्चितता को एक इंसानी त्रासदी में तब्दील कर दिया है।
शेर बहादुर देउबा और विष्णु पौडेल पर हमला
पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा भी हिंसा का शिकार बने। विरोध करने वालों का एक समूह उनके घर में घुस आया और उन्हें बुरी तरह पीटा। यह घटना न सिर्फ राजनीतिक हिंसा की सीमा को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि अब जनाक्रोश सीधे नेताओं के निजी जीवन तक पहुंच चुका है। इसी कड़ी में वित्त मंत्री विष्णु पौडेल भी प्रदर्शनकारियों के गुस्से का शिकार बने। काठमांडू में उनके घर के पास भीड़ ने उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में दिखाई देता है कि एक प्रदर्शनकारी ने उनके सीने पर लात मारी। यह वीडियो आम लोगों के बीच गुस्से और भय को और भड़का रहा है।
पीएम केपी शर्मा ओली का इस्तीफा और सेना की सुरक्षा
लगातार बिगड़ते हालात और नेताओं पर हो रहे हमलों के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के तुरंत बाद सेना का हेलिकॉप्टर उन्हें राजधानी से निकालकर सुरक्षित स्थान पर ले गया। सूत्रों के अनुसार, ओली का यह कदम देश की जनता के गुस्से को शांत करने की कोशिश है, लेकिन क्या वास्तव में इससे हालात सुधरेंगे, यह कहना मुश्किल है।
हिंसक घटनाओं का बढ़ता दायरा
राजधानी काठमांडू और आसपास के क्षेत्रों में पिछले दो दिनों से लगातार हिंसा भड़क रही है। अब तक 22 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 400 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। ज्यादातर घायलों का इलाज काठमांडू के विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है। शहर में जगह-जगह आगजनी हुई है, कई वाहनों को जला दिया गया है और पुलिस से भिड़ंत की खबरें भी लगातार आ रही हैं।
सुरक्षाबलों की चुनौती
स्थिति काबू में लाने के लिए सुरक्षाबलों को बड़ी तादाद में तैनात किया गया है। दंगाई समूहों पर नियंत्रण पाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस, वाटर कैनन और लाठीचार्ज का इस्तेमाल किया, लेकिन हिंसा फैलाने वाली भीड़ पीछे हटने के बजाय और आक्रामक होती गई। कई इलाकों में तोड़फोड़ के चलते बाजार पूरी तरह से बंद हो चुके हैं और जनता घरों में कैद होने पर मजबूर है।
जनता का गुस्सा और नेताओं की असुरक्षा
नेपाल इस समय जिस दौर से गुजर रहा है, वह राजनीतिक अस्थिरता और जनता की नाराजगी का मिश्रण है। आम लोग नेताओं को उनके वादाखिलाफी, भ्रष्टाचार और कमजोर आर्थिक नीतियों के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। यही वजह है कि गुस्सा सीधे नेताओं की जान तक पर बन आया है। पूर्व प्रधानमंत्रियों और मंत्रियों पर इस तरह के हमले इस बात की गवाही देते हैं कि अब जनता का सब्र पूरी तरह टूट चुका है।