देहरादून: चुनाव आयोग के एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) के नाम पर उत्तराखंड में ठगी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। कई लोगों के मोबाइल पर बिना वजह OTP आने लगे हैं, जो फर्जी कॉलर द्वारा भेजे जा रहे हैं। चुनाव आयोग और साइबर पुलिस ने स्पष्ट किया है कि एसआईआर प्रक्रिया के दौरान बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) को OTP की जरूरत नहीं होती। ऐसे मामलों में सतर्क रहना बेहद जरूरी है, खासकर जब ऑनलाइन प्रक्रिया स्वयं करनी हो, तभी आपको OTP मिलेगा, और वह भी खुद भरने पर।
एसआईआर ठगी का तरीका
ठग खुद को चुनाव आयोग या बीएलओ बताकर फोन करते हैं और कहते हैं कि आपका नाम वोटर लिस्ट में अपडेशन के लिए एसआईआर फॉर्म भरना जरूरी है। इसके बाद वे आपको OTP भेजकर वह मांगते हैं या फर्जी लिंक भेजते हैं, जिसे क्लिक करते ही मोबाइल हैक हो जाता है। इससे आपके बैंक अकाउंट, यूपीआई, और अन्य डेटा चुराए जा सकते हैं। चुनाव आयोग ने साफ किया है कि एसआईआर के नाम पर कोई भी अधिकारी आपसे OTP नहीं मांगेगा। केवल आप स्वयं ही ऑनलाइन फॉर्म भरते समय OTP का उपयोग कर सकते हैं।
उत्तराखंड में स्थिति
उत्तराखंड में अभी एसआईआर प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है, इसलिए यहां फिलहाल कोई भी OTP मांगना फर्जी है। चुनाव आयोग के मुख्य अधिकारी कार्यालय ने जागरूकता बढ़ाने के लिए कहा है कि बीएलओ केवल एनेमरेशन फॉर्म देंगे, उसे भरकर जमा कराना होता है, किसी भी OTP या लिंक पर क्लिक करने की जरूरत नहीं है। साइबर पुलिस भी इस नए ठगी ट्रेंड पर ध्यान दे रही है और सतर्क रहने का आग्रह कर रही है।
OTP आने पर करें ये चेक
- यदि आपको किसी भी तरह का चुनाव आयोग या एसआईआर से OTP आता है, और आपने खुद कोई ऑनलाइन फॉर्म नहीं भरा है, तो इसे साझा न करें।
- शक हो तो तत्काल चुनाव आयोग के आधिकारिक टोल-फ्री नंबर 1950 पर कॉल करके सत्यापित करें।
- किसी भी संदिग्ध कॉल, संदेश या लिंक से दूरी बनाए रखें।अपना बैंक अकाउंट और मोबाइल पर लगे ऐप्स की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
ठगी से बचाव के उपाय
- चुनाव आयोग से संबंधित प्रक्रिया केवल आधिकारिक वेबसाइटों या पोर्टल्स से करें।अनजान नंबरों से आए कॉल या मैसेज पर OTP न दें।
- फर्जी एप या लिंक डाउनलोड न करें।
- साइबर अपराध को तुरंत संबंधित पुलिस या राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल पर रिपोर्ट करें।
यह ठगी का नया तरीका है, जो एसआईआर के नाम पर लोगों को निशाना बना रहा है। सतर्कता और सही जानकारी से ही आप इस खतरे से बच सकते हैं। चुनाव आयोग की ही आधिकारिक सूचना पर भरोसा करें और बिना पुष्टि कोई कार्रवाई न करें।
