द्वाराहाट: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के विकासखंड द्वाराहाट में स्वर्गपूरी पांडव खोली महाभारत काल से जुड़े हुए पांडव का प्रसिद्ध मंदिर हैI आपको बता दे कि पांडव खोली नाम से ही प्रतीत होता है कि यह स्थान महाभारत युद्ध के विजेता पांडू पुत्र पांचो पांडव (युधिष्ठिर, भीमसेन, अर्जुन, नकुल तथा सहदेव) के नाम से प्रसिद्ध है। यहां की ऐसी मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान पांचो पांडव अपनी पत्नी द्रोपति के साथ यहां पर रुके थे और कुछ लोग बताते हैं कि पांडवों ने यहां पर भगवान शिव के देवालय की स्थापना की थी जिसमें भगवान शिव एवं पांचो पांडव की मूर्तियां स्थापित है एवं यहां पर कृष्ण भगवान का भी एक काफी सुंदर मंदिर हैI
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ऐसे नाम पड़ा कौरवछीना
इस बीच कौरवों के गुप्तचरों ने पांच साधुओं के दूनागिरि पर्वमाला की तलहटी पर मौजूदगी का संदेश दिया। गार्गी नदी पार का कौरव पीछा करते हुए दूनागिरि की तलहटी पर पहुंचे। मगर आगे नहीं बढ़ सके। इसीलिए द्वाराहाट से करीब 16 किमी आगे इस स्थल का नाम कौरवछीना (आंचलिक भाषा में कोरीछीना) पड़ गया। लोकमत के अनुसार कौरव व उनकी सेना यहां से आगे नहीं बढ़ सकी। अब कौरवछीना को कुकुछीना के नाम से जाना जाता है।
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भीम की गुदड़ी है अद्भुत
कहते हैं कि पांडवखोली की अध्यात्मिक गुफा में ध्यानमग्न भीम अक्सर अपनी रजाई को सुखाने के लिए पर्वत शिखर पर फैला देते थे। इस अद्भुत पूरे मैदान को आज भी भीम की गुदड़ी के नाम से जाना जाता है।