द्वाराहाट: दूनागिरी क्षेत्र के कुकुछीना गांव में रहने वाली प्रियंशी पटेल आज समाज में बदलाव की नई मिसाल बन चुकी हैं। उनकी शुरू की गई पहल “मेरा अधिकार” न केवल एक संगठन है, बल्कि यह उन महिलाओं और बच्चों के लिए उम्मीद की किरण बन गई है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं। समाज में महिलाओं की भूमिका को सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया यह अभियान आज ग्रामीण इलाकों में मील का पत्थर साबित हो रहा है।
प्रियंशी पटेल का मानना है कि महिलाएं तभी सशक्त हो सकती हैं जब उन्हें आत्मनिर्भर बनने के साधन और अवसर प्रदान किए जाएं। “मेरा अधिकार” इसी सोच को वास्तविक रूप देने की दिशा में एक ठोस कदम है। इस पहल के तहत न केवल महिलाओं और बच्चियों को मुफ्त सैनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराए जा रहे हैं, बल्कि उन्हें कौशल विकास, कंप्यूटर प्रशिक्षण, पुस्तकालय सुविधा, प्रिंटिंग सेवाएं और ताइक्वांडो कक्षाएं जैसी जरूरी सुविधाएं भी दी जा रही हैं।
महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में नया अध्याय
“मेरा अधिकार” का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों की लड़कियों को समाजिक बंधनों से मुक्त कर आत्मनिर्भर बनाना है। यहां उन्हें उन सभी संसाधनों तक पहुंच मिलती है जो आमतौर पर शहरों में ही उपलब्ध होते हैं।
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स्वास्थ्य के क्षेत्र में, मुफ्त सैनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराकर प्रियंशी ने किशोरियों के बीच मासिक धर्म स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ाया है। इससे वे न केवल स्वस्थ रह पा रही हैं, बल्कि स्कूल जाने में भी झिझक महसूस नहीं करतीं।
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शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में, कंप्यूटर प्रशिक्षण और पुस्तकालय सुविधा ने ग्रामीण लड़कियों की पढ़ाई के प्रति उत्साह बढ़ाया है। अब वे न सिर्फ शिक्षा प्राप्त कर रही हैं बल्कि डिजिटल युग में कदम भी बढ़ा रही हैं।
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आत्मरक्षा और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए, ताइक्वांडो कक्षाओं से लड़कियां अपने भीतर नई शक्ति और सुरक्षा की भावना महसूस कर रही हैं।
समाज में सकारात्मक बदलाव की शुरुआत
“मेरा अधिकार” अभियान ने धीरे-धीरे स्थानीय महिलाओं को भी अपने पैरों पर खड़ा होने की प्रेरणा दी है। कई महिलाएं यहां सिलाई, हस्तकला और अन्य छोटे रोजगारों से जुड़कर आर्थिक रूप से सशक्त बन चुकी हैं। इससे न केवल उनके घर की आय बढ़ी है बल्कि समाज में उनका आत्म-सम्मान भी ऊँचा हुआ है। स्थानीय लोग बताते हैं कि प्रियंशी पटेल का यह प्रयास पूरे क्षेत्र में जागरूकता और आत्मनिर्भरता की अलख जगा रहा है। महिलाएं अब अपने अधिकारों के प्रति सजग हो रही हैं और सामाजिक कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेने लगी हैं।
प्रेरणा का स्रोत
प्रियंशी पटेल कहती हैं — हमारा उद्देश्य केवल सहायता प्रदान करना नहीं, बल्कि महिलाओं और लड़कियों में आत्मनिर्भरता की भावना विकसित करना है। मेरा अधिकार के माध्यम से वह यह संदेश देने में सफल रही हैं कि छोटे स्तर पर शुरू की गई पहल भी बड़े सामाजिक बदलाव ला सकती है। भविष्य में प्रियंशी इस मिशन को और विस्तार देने की योजना बना रही हैं ताकि उत्तराखंड के अधिक से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं इस पहल का हिस्सा बन सकें। उनका यह कदम न केवल दूनागिरी बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए गर्व की बात बन गया है।