हल्द्वानी: कुमाऊं के सबसे बड़े एमबीपीजी कालेज हल्द्वानी को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का नोडल केंद्र बनाया गया है। केंद्र स्थापित किए जाने के साथ ही यहां अगस्त अंतिम सप्ताह से विद्यार्थियों के लिए आउटरीच प्रोग्राम प्रारंभ किए जा रहे हैं। इनमें चार और 13 सप्ताह के पाठ्यक्रम आनलाइन संचालित किए जाएंगे। आईआईआरएस आउटरीच प्रोग्राम के प्रोग्राम कॉर्डिनेटर डॉ. हरीश कर्नाटक ने बताया कि इसरो की ओर से हर साल स्पेस रिसर्च, रिमोट साइंस आदि पर निशुल्क ऑनलाइन कोर्स कराए जाते हैं। भारत के 3,500 से अधिक कॉलेज इससे जुड़े हैं। दुनिया के 170 देशों के दो लाख से अधिक शिक्षार्थी अवेयरनेस ओरिएंटेड पाठ्यक्रमों का लाभ लेते हैं। इसमें यूजी, पीजी के शिक्षार्थी और पीएचडी के शोधार्थियों को एडवांस टेक्नोलॉजी की जानकारी दी जाती है। विद्यार्थी अपनी-अपनी पसंद के अनुसार पाठ्यक्रम चुन सकते हैं। इसमें इसरो और बाहर के भी एक्सपर्ट ऑनलाइन क्लास देते हैं। ट्रेनिंग आधुनिक और अपडेट टॉपिक पर होती है। इससे बच्चों को गाइडेंस मिलती है कि किसी विषय में कॅरिअर के अवसर क्या हैं।
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पारंपरिक डिग्री पाठ्यक्रमों के साथ किया जा सकता है
इसरो नोडल केंद्र के समन्वयक डॉ. नरेंद्र कुमार सिजवाली ने बताया कि रिमोट सेंसिंग और डिजिटल इमेज एनालिसिस में चार सप्ताह का, बेसिक्स ऑफ रिमोट सेंसिंग, ज्योग्राफिकल इनफॉरमेशन सिस्टम (GIS), और ग्लोबल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम (GNSS) में 13 सप्ताह का पाठ्यक्रम शुरू होगा। ये पाठ्यक्रम ऑनलाइन माध्यम से संचालित होंगे और इसमें एमबीपीजी कॉलेज सहित क्षेत्र के सरकारी एवं निजी शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत विद्यार्थी पंजीकरण करवा सकते हैं।
न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता इंटरमीडिएट
डा. सिजवाली ने बताया कि इसरो के संबंधित आउटरीच कार्यक्रम में पंजीकरण प्रारंभ हो चुके हैं। इन पाठ्यक्रमों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता इंटरमीडिएट रखी गई है, जिससे स्नातक, स्नातकोत्तर (सामान्य एवं प्रोफेशनल) और पीएचडी कर रहे विद्यार्थी भी इन पाठ्यक्रमों को कर सकते हैं।
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