हरियाणा: हरियाणा के फरीदाबाद में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक बड़ी आतंकवाद-रोधी कार्रवाई को अंजाम देते हुए भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की है। यह कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के सहयोग से की गई, जिसमें एक किराए के मकान से लगभग 300 किलो आरडीएक्स, दो एके-47 राइफलें, 84 कारतूस और कुछ संदिग्ध रासायनिक पदार्थ जब्त किए गए। पुलिस का मानना है कि यह बरामदगी किसी बड़े आतंकी नेटवर्क से जुड़ी हो सकती है, जो देश के महत्वपूर्ण शहरों में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की साजिश रच रहा था।सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक टीम ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में हाल ही में की गई कार्रवाई के दौरान एक अहम सुराग हासिल किया था। कुछ दिन पहले अनंतनाग निवासी डॉक्टर आदिल अहमद को गिरफ्तार किया गया था, जिस पर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के साथ संबंध रखने का आरोप है। उसकी निशानदेही पर पुलिस को हरियाणा के फरीदाबाद में एक किराए के मकान की जानकारी मिली, जहां से यह विस्फोटक सामग्री बरामद की गई।
मकान मालिक से पूछताछ में पता चला कि आरोपी ने लगभग दो महीने पहले फर्जी पहचान पत्र के सहारे कमरा किराए पर लिया था। उसने खुद को एक मेडिकल प्रतिनिधि बताया था और ज्यादातर समय बाहर रहता था। स्थानीय लोगों के अनुसार, आरोपी बहुत कम बोलता था और खुद में ही रहता था, जिससे किसी को उस पर कोई शक नहीं हुआ।छापेमारी के दौरान पुलिस ने मकान की दीवारों के अंदर छिपाए गए पैकेटों में विस्फोटक सामग्री, राइफलें और कारतूस बरामद किए। टीम में मौजूद बम निरोधक दस्ते ने मौके पर सभी संदिग्ध सामग्रियों को सुरक्षित तरीके से हटाया और जांच के लिए फॉरेंसिक टीम को सौंपा।
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फिलहाल बरामद आरडीएक्स का खाका और रासायनिक पदार्थों की प्रकृति की जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इनका उपयोग कहां और किस प्रकार किया जाना था।पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह बरामदगी किसी बड़े आतंकी मॉड्यूल का हिस्सा हो सकती है जो जम्मू-कश्मीर के बाहर सक्रिय था। इस केस में अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की टीमें भी शामिल हो गई हैं। एजेंसियां यह जानने की कोशिश कर रही हैं कि इतने बड़े पैमाने पर विस्फोटक सामग्री हरियाणा तक कैसे पहुंची और किन स्थानीय संपर्कों ने इसमें मदद की।फरीदाबाद पुलिस ने इस ऑपरेशन के बाद इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है और किराये पर मकान देने वालों से सभी किरायेदारों के दस्तावेजों की दोबारा जांच के निर्देश जारी किए हैं।
स्थानीय थाना अधिकारियों को कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति अगर बिना उचित पहचान पत्र के किसी मकान या दुकान में रहता या काम करता पाया जाए, तो उसकी तुरंत जांच की जाए।इस पूरे मामले ने एक बार फिर आतंकी नेटवर्क के फैलाव और उनकी नई रणनीतियों पर सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर भारत में इस तरह के ठिकानों का इस्तेमाल अक्सर लॉजिस्टिक सपोर्ट या अस्थायी ठहराव के रूप में किया जाता है। जांच एजेंसियां अब यह तलाशने में जुटी हैं कि क्या इस ठिकाने का इस्तेमाल किसी खास हमले की तैयारी के लिए किया जा रहा था या यह केवल विस्फोटक सामग्री छिपाने का अड्डा था।फिलहाल जम्मू-कश्मीर पुलिस आरोपी डॉक्टर आदिल अहमद से गहन पूछताछ कर रही है और उसके नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश जारी है। आने वाले दिनों में इस मामले में कई और खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है, जो देश की सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े कई बड़े सवालों के जवाब दे सकते हैं।
