नई दिल्ली: वैश्विक अर्थव्यवस्था इस समय बड़े बदलावों और चुनौतियों के दौर से गुजर रही है। विश्वभर के देश लगातार आर्थिक अस्थिरता, ऊर्जा संकट और वित्तीय असंतुलन से जूझ रहे हैं। ऐसे माहौल में यह स्वाभाविक है कि निवेशक और उद्योग जगत के सामने गहरी चिंताएं खड़ी हों। लेकिन इसी जटिल परिदृश्य के बीच भारत की स्थिति अपेक्षाकृत मजबूत दिखाई दे रही है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को आयोजित एक कार्यक्रम में स्पष्ट किया कि भारत की अर्थव्यवस्था बाहरी झटकों का सामना करने में सक्षम है और निरंतर मजबूती की ओर बढ़ रही है।
सीतारमण ने अपने संबोधन में कहा कि आज पूरी दुनिया अनिश्चितता के वातावरण से गुजर रही है। कोविड महामारी से उबरने के बाद, वैश्विक व्यापार और ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला पर भू-राजनीतिक तनाव का असर दिखाई दे रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध, पश्चिम एशिया में अशांति, यूरोपीय देशों में मंदी का खतरा और अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों में तनाव ने हालात को और जटिल बना दिया है। इन सबके बावजूद भारत न केवल स्थिर है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपने योगदान को और बढ़ा रहा है।
भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती
भारत के मजबूत बुनियादी ढांचे, सुधारात्मक नीतियों और बढ़ते निवेश माहौल ने देश को स्थिर बनाए रखा है। विदेशी निवेश में निरंतर वृद्धि हो रही है। स्टार्टअप इकोसिस्टम दुनिया में सबसे बड़ा बनकर उभरा है, जिसने रोजगार और आर्थिक गतिविधियों को नई ऊंचाई दी है। महंगाई पर भी सरकार ने अपेक्षाकृत नियंत्रित दृष्टिकोण अपनाया है। यह सच है कि महंगाई कई बार आम जनता के लिए चिंता का विषय बनती है, लेकिन वैश्विक औसत की तुलना में भारत में खुदरा महंगाई दर का स्तर संतुलित नजर आता है। इस दौरान वित्त मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार ने आधारभूत संरचना पर बड़े पैमाने पर निवेश किया है। रेलवे, सड़क, बंदरगाह और ऊर्जा क्षेत्रों में किए गए सुधार देश को लंबी अवधि तक लाभ पहुंचाएंगे। डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं ने विदेशी निवेशकों का भरोसा और मजबूत किया है।
भविष्य की चुनौतियां और अवसर
फिर भी यह कहना गलत होगा कि भारत के सामने कोई चुनौती नहीं है। उच्च युवाशक्ति को प्रशिक्षित करना, कृषि क्षेत्र को आधुनिक तकनीक से जोड़ना, ऊर्जा आयात पर निर्भरता घटाना और रोजगार सृजन को और बढ़ाना भारत के लिए आने वाले समय की बड़ी जिम्मेदारी होगी। ऊर्जा सुरक्षा भी आने वाले वर्षों में भारत की विकास गति को प्रभावित कर सकती है। लेकिन चुनौतियों के बावजूद भारत का रुख सकारात्मक और दूरदर्शी है। हरित ऊर्जा पर बड़ा निवेश, सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं का विस्तार, पेट्रोल-डीजल पर आयात निर्भरता कम करने की रणनीति और ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देना इस बात का इशारा है कि भारत केवल वर्तमान से नहीं बल्कि भविष्य की तैयारियों से भी लैस है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह दावा कि भारत की स्थिति मजबूत है, केवल राजनीतिक बयान नहीं बल्कि वास्तविक तथ्यों पर आधारित प्रतीत होता है। जब पूरी दुनिया अस्थिरता और मंदी की आशंका से जूझ रही है, तब भारत का स्थिर और दृढ़ रहना यह दर्शाता है कि नीतिगत सुधार, निवेश माहौल और जनता की सहभागिता ने एक मजबूत आर्थिक ढांचा तैयार किया है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि अब केवल एक उभरते बाजार तक सीमित नहीं रही, बल्कि दुनिया अब भारत को एक भरोसेमंद और सक्षम आर्थिक शक्ति मानने लगी है। यदि यही रफ्तार जारी रही तो आने वाले दशक में भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था की धुरी के रूप में सामने आ सकता है।