हरेला पर्व 2024: उत्तराखंड अपने तीज-त्योहारों, लोक पंरपराओं, लोक पर्वों के लिए विश्वविख्यात है. यहां मनाए जाने वाले लोक पर्वों में प्रकृति के प्रति अनूठा प्रेम दिखता है। प्रकृति से प्रेम करना सिखाता एक ऐसा ही त्योहार हरेला पर्व 2024 है। उत्तराखंड के लोक पर्वों में से एक हरेला को गढ़वाल और कुमाऊं दोनों मंडलों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है. वैसे तो हरेला सालभर में तीन बार मनाया जाता है, लेकिन इनमें सबसे विशेष महत्व रखने वाला हरेला पर्व सावन माह के पहले दिन मनाया जाता है. लोक परंपराओं के अनुसार, पहले के समय में पहाड़ के लोग खेती पर ही निर्भर रहते थे. इसलिए सावन का महीना आने से पहले किसान ईष्टदेवों व प्रकृति मां से बेहतर फसल की कामना व पहाड़ों की रक्षा करने का आशीर्वाद मांगते थे।
ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि पर्वतीय अंचल में हरेला कहीं 10 दिन तो कहीं 11 दिन पूर्व बोया जाता है। ऐसे में आज और कल इसकी बुआई होगी। गेहूं, धान, जौ आदि पांच या सात प्रकार के अनाज को मिलाकर टोकरियों में बोया जाएगा। शुक्रवार को लोगों ने हरेले के लिए बाजार से बीज, टोकरियों की खरीदारी की। 15 जुलाई को विधि-विधान से डिकरों का पूजन के साथ ही हरेले की गुड़ाई की जाएगी और 16 जुलाई को इसे शिरोधार्य किया जाएगा। हरेला पर्व के दिन सुबह सबसे पहले पकवानों के साथ हरेला काटकर ईष्ट देव को अर्पित करने की परंपरा है और इसके बाद पारिवारिक सदस्यों का बड़े-बुजुर्ग हरेला से सिर पूजन करेंगे।
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