दिवाली 2025: भारत का सबसे बड़ा और भव्य पर्व दीपावली बुराई पर अच्छाई की, अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है। यह पर्व सिर्फ एक दिन का नहीं बल्कि पाँच दिनों तक चलता है, जिनमें से प्रत्येक का अपना खास महत्व होता है। दीपावली 2025 में धनतेरस से लेकर भाईदूज तक लोग इन पावन अवसरों को पूरे उत्साह और श्रद्धा से मनाएंगे। आइए जानते हैं इस बार दिवाली कब है, क्या हैं अहम तिथियां, और इन दिनों का धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व।
दिवाली 2025 की प्रमुख तिथियां
- धनतेरस: 17 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार)
- नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली): 19 अक्टूबर 2025 (रविवार)
- दीपावली (लक्ष्मी पूजा): 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार)
- गोवर्धन पूजा: 21 अक्टूबर 2025 (मंगलवार)
- भाई दूज: 23 अक्टूबर 2025 (गुरुवार)
धनतेरस 2025 (शुक्रवार, 17अक्टूबर)
दीपावली का प्रारंभ धनतेरस से होता है। इसे धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश और औषधियाँ लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन बर्तन, चाँदी, सोना या वाहन ख़रीदने की परंपरा है। दिवाली के जिस पंचपर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है. इस दिन भगवान धन्वंतरि की जयंती मनाई जाती है. इस साल धनतेरस का पावन पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 17 अक्टूबर 2025, शनिवार के दिन मनाया जाएगा. इस दिन धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 07:16 से लेकर 08:20 बजे तक रहेगा. इस दिन भगवान कुबेर के साथ भगवान धन्वंतरि की विशेष रूप से पूजा की जाती है, ताकि पूरे साल सुख-सौभाग्य और आरोग्य बना रहे. धनतेरस के दिन नये समान खरीदने की भी परंपरा है।
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इस दिन पूजन में दीपक, धूप, धन्वंतरि जी, यमराज और धन की देवी लक्ष्मी का आह्वान किया जाता है।
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कहा जाता है कि इस दिन नया सामान खरीदना शुभ फल और समृद्धि लाता है।
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नरक चतुर्दशी / छोटी दिवाली 2025 (रविवार, 19 अक्टूबर)
दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली मनाई जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध कर धरती को भय से मुक्त किया था। दिवाली के पंचपर्वों में दूसरा दिन नरक चतुर्दशी का होता है, जिसे लोग छोटी दिवाली भी कहते हैं. यह पर्व उत्तर भारत में हनुमान जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन अर्धरात्रि में मां अंजना के गर्भ से हनुमान जी का जन्म हुआ था. हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन मुख्य द्वार पर चौमुखा दीया जलाने से नर्क से मुक्ति मिलती है.
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शाम को घरों और आँगन में दीप जलाए जाते हैं।
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इस दिन स्नान व दीपदान का विशेष महत्व है। अपामार्ग के पत्तों से स्नान करने की परंपरा भी कही गई है।
लक्ष्मी पूजन / दीपावली 2025 (सोमवार, 20 अक्टूबर)
दीपावली का मुख्य दिन लक्ष्मी पूजन के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं। व्यापारी वर्ग और गृहस्थ इस दिन अपने धन-धान्य में वृद्धि की प्रार्थना करते हैं।
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भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी और कुबेर की विशेष पूजा की जाती है।
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घर को दीपों और रंगोली से सजाकर समृद्धि का आह्वान किया जाता है।
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व्यापारियों के लिए यह दिन नए लेखा-जोखा शुरू करने का भी होता है।
लक्ष्मी पूजा 2025 का मुहूर्त:
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पूजा का शुभ समय: शाम 06:10 बजे से 08:25 बजे तक (समय: 2 घंटे 15 मिनट)
गोवर्धन पूजा 2025 (मंगलवार, 21 अक्टूबर)
दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर वृंदावनवासियों को इंद्रदेव के प्रकोप से बचाने की स्मृति में मनाया जाता है।
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इस दिन घर-घर गोबर या मिट्टी से गोवर्धन का स्वरूप बनाया जाता है।
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अन्नकूट का आयोजन कर भगवान कृष्ण को विविध पकवानों का भोग लगाया जाता है।
भाई दूज 2025 (गुरुवार, 23 अक्टूबर)
दीपावली के पाँचवें और अंतिम दिन भाई दूज मनाई जाती है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए तिलक करती हैं।
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बहनें भाइयों को तिलक कर मिठाइयाँ खिलाती और आरती उतारती हैं।
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बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और जीवनभर रक्षा करने का वचन निभाते हैं।
दीपावली पर्व का महत्व
दीपावली केवल एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपराओं और पारिवारिक एकजुटता का प्रतीक है। यह समय होता है–
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घर की साफ-सफाई करने और नकारात्मक शक्तियों को दूर करने का।
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परिवार और समाज में मेल-जोल बढ़ाने का।
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दान और जरूरतमंदों की सहायता करने का।
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आध्यात्मिक दृष्टि से अपने भीतर के अंधकार को मिटाकर सकारात्मक ऊर्जा और प्रकाश का स्वागत करने का।