नई दिल्ली: दिल्ली की हवा हाल ही में बेहद जहरीली हो गई है, खासकर बवाना क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 403 तक पहुंच गया है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक माना जाता है। इसके अलावा अन्य इलाकों जैसे आनंद विहार (368), रोहिणी (371), अलीपुर (362), अशोक विहार (372), चांदनी चौक (367), आईटीओ (380), जहांगीरपुरी (371), द्वारका सेक्टर-8 (313) में भी वायु गुणवत्ता की स्थिति खराब बनी हुई है। राजधानी की हवा सांस लेने में मुश्किल कर रही है और यह स्थिति सर्दी के मौसम में और खराब होने की संभावना है। प्रदूषण का मुख्य कारण पराली जलाना, ठंडी हवा के साथ कोहरे का छाना और वाहनों व उद्योगों से होने वाला प्रदूषण बताया जा रहा है। विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य संबंधी गंभीर खतरों के लिए आगाह किया है, विशेषकर सांस, हृदय रोगों वाले लोगों के लिए यह स्थिति खतरनाक है। दिल्ली सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नियंत्रण के प्रयास जारी हैं, लेकिन अभी तक स्थिति में कोई बड़ी राहत नहीं मिली है।
राजधानी दिल्ली की हवा इन दिनों सांस लेने के लिए बेहद खतरनाक स्थिति में पहुंच गई है। बवाना में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 403 रिकॉर्ड किया गया है, जो गंभीर श्रेणी में आता है और स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक माना जाता है। इसके साथ ही शहर के कई अन्य इलाकों में भी वायु प्रदूषण का स्तर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया है, जिससे दिल्लीवासियों की परेशानी बढ़ गई है।वायु प्रदूषण में इस तगड़े उछाल का मुख्य कारण ठंड के मौसम में बढ़ती स्मॉग और पराली जलाने की घटना है। पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा पराली जलाने से निकलने वाला धुआं दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रवेश करता है, जिससे प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ जाता है। इसके अलावा वाहनों की आवाजाही, निर्माण कार्यों से निकलने वाली धूल और औद्योगिक गतिविधियां भी प्रदूषण में इजाफा करती हैं।
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, बवाना में जो AQI 403 तक पहुंच चुका है, वह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक होता है। इसके अलावा आईटीओ में 380, अशोक विहार में 372, आनंद विहार में 368, जहांगीरपुरी में 371 जैसे इलाकों में भी प्रदूषण का स्तर उच्च बना हुआ है। इस तरह की स्थिति में सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन, गले में खराश, हृदय और फेफड़ों के रोगियों के लिए विशेष खतरा उत्पन्न हो जाता है।मौसम विभाग के अनुसार, ठंडी हवा के साथ कोहरे का छाना इस प्रदूषण की समस्या को और बढ़ा रहा है क्योंकि इससे प्रदूषित वायु एक जगह घिरी रहती है और फैल नहीं पाती। आने वाले दिनों में हवा की गुणवत्ता और खराब होने की संभावना जताई जा रही है, जिससे दिल्लीवासियों को विशेष सतर्कता बरतनी होगी।
पर्यावरण विशेषज्ञ भी लोगों से बिना जरूरी घर से बाहर न निकलने और मास्क पहनने की सलाह दे रहे हैं।राजधानी सरकार और विभिन्न एजेंसियां वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठा रही हैं। हाल ही में निर्माण और विध्वंस स्थलों, कूड़ा निस्तारण स्थलों और डीजी सेट्स का निरीक्षण बढ़ा दिया गया है। सख्त नियम लागू कर गाड़ियां और उद्योगों पर नजर रखी जा रही है, परंतु प्रदूषण कम करने में फिलहाल कोई महत्वपूर्ण सुधार नहीं दिख रहा।पर्यावरण मंत्री ने कहा है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए समन्वित प्रयास जारी हैं, पर असमय और अत्यधिक प्रदूषण की वजह से जनता को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर पर बच्चों, बुजुर्गों और सांस रोगी व्यक्तियों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। यदि आवश्यक हो तो वे घर के अंदर ही रहें और बाहर निकलते समय मास्क लगाएं।
यह दौर दिल्ली के लिए चुनौतीपूर्ण है क्योंकि प्रदूषण की इस गंभीर समस्या से निपटना केवल सरकारी प्रयासों से नहीं होगा, बल्कि नागरिकों का भी सहयोग आवश्यक है। सभी को मिलकर प्रदूषण नियंत्रण के नियमों का पालन करना होगा और पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता बढ़ानी होगी। तभी कहीं जाकर राजधानी में साफ हवा का सपना साकार हो सकेगा।इस मौसम में दम घोंटती यह जहरीली धुंध दिल्लीवासियों के स्वास्थय पर अनमोल संकट बन कर रही है, जिसका प्रभाव लंबी अवधि तक देखना होगा। प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस और व्यापक कदम उठाना अब सबसे जरूरी आवश्यकता बन गया है।
