राजस्थान: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले से सामने आई एक सनसनीखेज घटना ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। यह मामला न केवल रिश्तों के बंधनों को शर्मसार करता है बल्कि समाज में व्याप्त बदलती सोच और अपराध की भयावह तस्वीर भी पेश करता है।
जंगल में मिली मासूम
भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ थाना क्षेत्र में कुछ दिन पहले एक चरवाहे को जंगल में एक बच्ची मिली। बच्ची पत्थरों के नीचे दबाई हुई थी और उसके मुंह पर फेवीक्विक लगाया गया था। आरोप है कि उसकी मां ने उसके मुंह में पत्थर ठूंस दिए और होंठों को गोंद से चिपका दिया, ताकि वह रो न सके और वहीं दम तोड़ दे। लेकिन किस्मत से, चरवाहे की सतर्कता और समय पर दी गई सूचना से उस बच्ची की जान बच गई।
पुलिस जांच और चौंकाने वाला खुलासा
पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत जांच शुरू की। जब सच सामने आया तो हर कोई दंग रह गया। यह कृत्य बच्ची की अपनी मां ने ही उसके नाना के साथ मिलकर रचा था। पुलिस ने जांच में पाया कि युवती के अवैध संबंधों से यह बच्ची जन्मी थी। इस रिश्ते के उजागर होने के डर और सामाजिक बदनामी से घबराकर उसने अपने पिता के साथ मिलकर इस मासूम को मौत के हवाले करने की साजिश रची।
गिरफ्तार हुए मां-बेटी के रिश्ते में काले साए
पुलिस ने चित्तौड़गढ़ जिले के भैंसरोडगढ़ थाना क्षेत्र निवासी 22 वर्षीय युवती और उसके पिता को गिरफ्तार कर लिया है। यह खबर सुनते ही ग्रामीणों में आक्रोश और हैरानी की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों का कहना है कि किसी भी स्थिति में जन्म लेने वाला बच्चा निर्दोष होता है और उसके जीवन के साथ ऐसा खिलवाड़ करना नरसंहार से कम नहीं।
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समाज और कानून के लिए सवाल
यह घटना न केवल एक आपराधिक प्रकरण है बल्कि समाज के सामने कई सवाल खड़े करती है।
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क्या सामाजिक बदनामी के डर से रिश्तों को निभाने वाले लोग इतना क्रूर कदम उठा सकते हैं?
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समाज कब तक ऐसी मानसिकता को ढोता रहेगा जहाँ अवैध संबंधों का डर एक मासूम की जिंदगी से खेल जाए?
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महिलाओं की शिक्षा और जागरूकता के बावजूद ऐसे अपराध क्यों बार-बार सामने आते हैं?
पुलिस अब इस मामले में आगे की जांच कर रही है और आरोपियों को अदालत में पेश किया जाएगा। कानून के कठोर हाथ इन दरिंदे रिश्तों को कड़ी सजा देंगे, जिससे आने वाले समय में कोई और ऐसी हिमाकत न कर सके।
मानवता के नाम पर कलंक
मां वह होती है जो बच्चा जन्म लेने से पहले ही उसे अपनी जिंदगी मानकर चलती है, उसकी सांसों में जीती है। लेकिन यहां मां ने ही सनक और सामाजिक भय में आकर अपने ही खून को मौत की नींद सुलाने की पूरी योजना बना डाली। साथ ही नाना जैसे रिश्ते को भी इस काले सच ने तार-तार कर दिया। यह घटना समाज के लिए एक आईना है। अवैध संबंधों, सामाजिक दबाव और बदनामी से बचने की सोच जब अपराध का रूप ले ले, तो यह पूरे समाज की जिम्मेदारी बन जाती है कि जागरूकता फैलाई जाए। हर मासूम का जीना उसका अधिकार है और उसके जीवन की रक्षा हर हाल में होना चाहिए।