देहरादून: देहरादून जिले के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सहस्रधारा में देर रात अचानक बादल फटने की घटना ने पूरे इलाके में अफरा-तफरी मचा दी। देर रात हुई इस प्राकृतिक आपदा में तेज़ बहाव के साथ आए पानी और मलबे ने मुख्य बाज़ार को पूरी तरह अपनी चपेट में ले लिया। देखते ही देखते गाड़ियाँ, सामान और ज़मीन पर रखी दुकानदारी का सारा समान बहाव में बहने लगा। कई होटल और दुकानों को भारी नुकसान पहुँचा है, वहीं स्थानीय लोगों के मुताबिक इस घटना ने उन्हें 2010 की बाढ़ की दर्दनाक यादें ताज़ा करा दी हैं।
देर रात गूंजा कहर का शोर
स्थानीय लोगों के अनुसार लगभग रात 11 बजे के आसपास तेज़ बारिश के साथ पहाड़ों से अचानक पानी का बहाव बढ़ा और देखते ही देखते सहस्रधारा नाले का जलस्तर कई गुना बढ़ गया। पानी के साथ भारी मात्रा में मलबा, पत्थर और लकड़ी के लट्ठे भी बहते आए और मुख्य बाज़ार के इलाके में घुस गए। घटना इतनी अचानक हुई कि कई होटल और दुकानों के भीतर मौजूद सामान को बाहर निकालने तक का समय नहीं मिल पाया।
होटल और दुकानों को भारी नुकसान
मुख्य बाज़ार में बने कई होटल और गेस्ट हाउस इस मलबे की चपेट में आए। कई दुकानों में रखा खाने-पीने का सामान, कपड़े और अन्य वस्तुएँ बहाव में बह गईं। व्यापारी संगठनों ने बताया कि लगभग दर्जनों कारोबारियों का लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। कुछ होटल ऐसे हैं जिनकी दीवारें पानी के दबाव से टूट गईं और कमरों तक में मलबा भर गया।
पर्यटक भी फंसे
चूँकि सहस्रधारा हमेशा पर्यटकों से गुलज़ार रहता है, ऐसे में घटना के समय भी दर्जनों सैलानी होटलों में ठहरे हुए थे। अचानक पानी और मलबा आने से उनमें हड़कंप मच गया। पुलिस और प्रशासन की मदद से कुछ पर्यटकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया। गनीमत रही कि फिलहाल किसी जानमाल के नुकसान की खबर नहीं आई, लेकिन स्थानीय लोग इसे बेहद भयावह अनुभव बता रहे हैं।
प्रशासन की रेस्क्यू और राहत कार्यवाही
सूचना मिलते ही देहरादून प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग की टीमें मौके पर पहुँचीं। रातभर राहत व बचाव कार्य जारी रहा। जेसीबी की मदद से मलबा हटाने और नाले का बहाव सामान्य करने की कोशिश की गई। सुबह तक कई दुकानदार और होटल मालिक अपने नुकसान का आकलन करने में जुटे रहे। प्रशासन ने आश्वस्त किया है कि प्रभावित व्यापारियों और लोगों को राहत देने के लिए हर संभव मदद मुहैया कराई जाएगी।
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स्थानीय लोगों का आक्रोश और भय
स्थानीय लोगों का कहना है कि सहस्रधारा क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से लगातार अतिक्रमण और अनियोजित निर्माण कार्य बढ़ा है। पहाड़ की ढलानों पर होटल और दुकानें बन जाने के चलते प्राकृतिक जलधाराओं का प्रवाह बाधित होता है और बादल फटने जैसी आपदाएँ और ज्यादा भयावह हो जाती हैं। उन्होंने मांग की है कि प्रशासन पर्यटन को बढ़ावा देने से पहले सुरक्षा पहलुओं पर गंभीरता से विचार करे।
वैज्ञानिक नज़रिए से
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय उत्तराखंड में मानसून अपने अंतिम चरण में बरस रहा है और उच्च हिमालयी व तराई क्षेत्रों में कई बार तीव्र संवहनीय स्थिति (intense convection) बनने लगती है, जिससे बादल फटने जैसी घटनाएँ होती हैं। सहस्रधारा का क्षेत्र पहाड़ी ढलानों और संकरे जलधाराओं के कारण अचानक बहाव बढ़ने के लिए बेहद संवेदनशील है।
व्यापारियों की परेशानी और नुकसान का आकलन
सहस्रधारा बाज़ार में करीब 40 से अधिक दुकानें और छोटे होटल हैं। व्यापारी संघ का अनुमान है कि केवल पिछली रात के हादसे में करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। दुकानदारों ने बताया कि उनका साल भर की कमाई इसी मौसम पर निर्भर रहती है, क्योंकि सितंबर तक पर्यटकों की संख्या अधिक होती है। ऐसे में यह नुकसान उनके लिए आर्थिक संकट खड़ा कर सकता है।
सरकार और प्रशासन से उम्मीदें
स्थानीय व्यापारियों और नागरिकों ने सरकार से मांग की है कि प्रभावित कारोबारियों का विशेष आकलन कर उनके लिए मुआवजे की व्यवस्था की जाए। साथ ही सहस्रधारा क्षेत्र में ठोस आपदा प्रबंधन योजना बनाई जाए, जिसमें नालों की सफाई, स्थायी सुरक्षात्मक दीवारें और अतिक्रमण हटाने की कड़ी कार्रवाई शामिल हो।