चौखुटिया (अल्मोड़ा)। अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया विकासखंड में शुक्रवार का दिन जनसैलाब की ताकत और जनमानस की पीड़ा का प्रतीक बनकर उभरा। बरसों से बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं और सरकार की लगातार उपेक्षा से त्रस्त स्थानीय निवासी आखिरकार सड़कों पर उतर आए। बोल पहाड़ी, हल्ला बोल के गगनभेदी नारों ने पूरे चौखुटिया क्षेत्र को आंदोलित कर दिया। कस्बे की गलियों से लेकर तहसील मुख्यालय तक एक ही आवाज गूंज रही थी—अब बहुत हुआ, स्वास्थ्य का हक चाहिए। इसी गूंज ने शासन-प्रशासन की वर्षों पुरानी नींद तोड़ दी। आंदोलन में बुजुर्गों से लेकर युवा, महिलाओं से लेकर व्यापारी तक शामिल दिखे। हर किसी की जुबान पर एक ही सवाल था—“हमारे बच्चों का इलाज कहां हो?”—यह सवाल किसी एक व्यक्ति का नहीं, पूरे चौखुटिया की पीड़ा बन चुका है।
पिछले कई वर्षों से चौखुटिया क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति लगातार गिरती जा रही है। उप-जिला अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी है। उपकरण पुराने हो चुके हैं, दवाओं की उपलब्धता सीमित है, और गंभीर मरीजों को हल्द्वानी या रानीखेत भेजना मजबूरी बन चुका है। कई बार तो एंबुलेंस तक समय पर नहीं पहुंचती, जिससे मरीजों की जान जोखिम में पड़ जाती है। पहाड़ी मार्गों और खराब सड़कों की वजह से कई जिंदगियां रास्ते में ही दम तोड़ देती हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि चौखुटिया जैसे महत्वपूर्ण विकासखंड में आज भी स्वास्थ्य सुविधाएं न्यूनतम स्तर पर हैं। गांवों में संचालित उप-स्वास्थ्य केंद्र अक्सर बंद रहते हैं। स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती फाइलों में सीमित रह जाती है।
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ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि प्रसव जैसी आपात स्थितियों में उन्हें घंटों पैदल चलना पड़ता है। इस उपेक्षा ने जनता के सब्र का बांध तोड़ दिया है। आंदोलन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि सरकारें वादे तो बहुत करती हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नजर नहीं आता। हर चुनाव में नेताओं ने अस्पतालों के उन्नयन, नई सुविधाओं और एंबुलेंस सेवाओं का वादा किया, मगर परिणाम हमेशा जीरो रहा। वक्ताओं ने चेताया कि यदि अब भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया, तो यह आंदोलन पूरे कुमाऊं में व्यापक जनआंदोलन का रूप ले सकता है। जनसभा में युवाओं की भागीदारी विशेष रूप से दिखाई दी। कई स्थानीय संगठनों व छात्र समूहों ने इसे “जनस्वास्थ्य के अधिकार की लड़ाई” बताया। सोशल मीडिया पर भी इस आंदोलन की तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हुए, जिससे पूरे राज्य में संदेश गया कि चौखुटिया अब चुप नहीं बैठेगा।
स्थानीय व्यापारियों ने भी शासन से मांग की है कि जल्द से जल्द पर्याप्त डॉक्टरों की नियुक्ति की जाए, अस्पताल को आधुनिक उपकरणों से लैस किया जाए, और चौखुटिया से हल्द्वानी तक सुरक्षित रैफरल व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। साथ ही, गांव-गांव में मोबाइल हेल्थ यूनिट भेजने की मांग उठी ताकि ग्रामीण जनता तक तत्काल चिकित्सा सुविधा पहुंच सके।आंदोलन की संगठन समिति ने साफ कहा है कि यह विरोध किसी दल या व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि वर्षों से चली आ रही उदासीन नीतियों के खिलाफ है। जनता अब विकास के नाम पर सिर्फ नारों से संतोष नहीं करेगी। आंदोलनकारियों ने चेताया कि जब तक ठोस कार्रवाई दिखाई नहीं देती, तब तक विरोध जारी रहेगा।जैसे-जैसे शाम हुई, चौखुटिया की पहाड़ियों में “बोल पहाड़ी, हल्ला बोल” के नारे अब भी गूंज रहे थे। यह केवल नारों की आवाज नहीं, बल्कि एक चेतावनी थी—कि अगर सरकार अब भी नहीं जागी, तो ये आवाजें पूरे राज्य में गूंजेंगी। चौखुटिया ने अब तय कर लिया है—स्वास्थ्य सुविधा उसका अधिकार है, और इस अधिकार के लिए वह अब हर मोर्चे पर लड़ाई लड़ने को तैयार है।
